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झारखंड: क्या खुद को उद्धव ठाकरे बनने से बचा पाएंगे सोरेन?

झारखंड: क्या खुद को उद्धव ठाकरे बनने से बचा पाएंगे सोरेन?

क्या झारखंड में ऑपरेशन लोटस के डर से महागठबंधन ने अपने विधायकों को बाहर भेजा है? क्या इससे ऑपरेशन लोटस का खतरा टल जाएगा?

महाराष्ट्र और बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद अब झारखंड में सियासी उलटफेर की आशंका है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड की महागठबंधन की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। बीजेपी ऑपरेशन लोटस के तहत महाराष्ट्र की तरह हेमंत सरकार को गिरा कर सत्ता हथियाने की कोशिशों में जुटी है। ऐसे में हेमंत सोरेन के सामने अपने और अपने सहयोगी दलों के विधायकों को टूटने से बचाने की बड़ी चुनौती है। 

ऐसे में सवाल पैदा हो रहा है कि क्या हेमंत सोरेन खुद को उधव ठाकरे बनने से बचा पाएंगे?

झारखंड में क्यों है महाराष्ट्र जैसे प्रयोग की आशंका?

झारखंड में महाराष्ट्र जैसे प्रयोग की आशंका तभी से व्यक्त की जा रही है जब महाराष्ट्र में बीजेपी ने शिवसेना से एकनाथ शिंदे को बगावत करा कर उधव ठाकरे को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया था। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के लिए कई दिनों तक चले घटनाक्रम के बीच ही कुछ बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि महाराष्ट्र के बाद झारखंड में भी इसी तरह सत्ता परिवर्तन होगा। तभी से आशंका व्यक्त की जा रही है कि बीजेपी झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस को तोड़ सकती है। ऐसा करके वो हेमंत सोरेन सरकार को गिरा कर अपनी सरकार बना सकती है। चूंकि बीजेपी महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में ऐसे प्रयोग कर चुकी है। लिहाज़ा हेमंत सोरेन बीजेपी की कमियों को हलके में लेने के बजाय अपनी सरकार बचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करने मे जुट गए हैं।

कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश के सबूत

हाल ही में कांग्रेस को तोड़ने की कोशिशों के पक्के सबूत मिले हैं। बताया जाता है कि बीजेपी ने कांग्रेस के विधायकों को पाला बदलने के लिए मोटी रकम देने की पेशकश की है। कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कश्यप और नमन बिक्सल नकदी के साथ पकड़े गए हैं। कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर से दल बदल कानून के तहत इन तीनों विधायकों की सदस्यता रद्द करने की शिकायत की है। स्पीकर ने तीनों विधायकों को नोटिस भेजकर 1 सितंबर तक अपना पक्ष रखने का समय दिया है। कांग्रेस आलाकमान को भी आशंका है कि उसके कुछ और विधायक में बीजेपी के संपर्क में हो सकते हैं। इस घटना क बाद हेमंत सोरेन को अपनी पार्टी में भी टूट का डर सताने लगा है। बीजेपी के मैनेजर दबी जुबान में कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई विधायकों के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं।

रायपुर में सुरक्षित रहेंगे महागठबंधन के विधायक?

झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों के टूटने का खतरा लगातार बना हुआ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी इस बात का एहसास है। वह अपने विधायकों को टूट से बचाने के लिए सुरक्षित जगह की तलाश कर रहे थे। कुछ दिन पहले हेमंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों के साथ रांची से 30 किलोमीटर दूर लतरातू डैम गए थे। फिर वे सभी रांची लौट आए थे। लेकिन ये ख़तरा लगातार बना हुआ है कि विधायक झारखंड में रहे तो बीजेपी का आपरेशन लोटस कामयाब हो सकता है। 

लिहाजा रायपुर में उन्हें अपनी सरकार के सभी विधायक सुरक्षित लगते हैं। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोरन को भरोसा दिलाया है कि रायपुर में उनकी सरकार के सभी विधायक पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है लिहाजा छत्तीसगढ़ पहुंचने के बाद इन दोनों के विधायकों के टूट की संभावनाएं कम हो जाएंगी।

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किसी भी हद तक जा सकती है बीजेपी

सोरेन ने अपन सरकार के सभी विधायको को रायपुर ल जाने का फैसला सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी की किसी भी हद तक जाने की नीति और नीयत को देखते हुए उठाया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के शिवसेना के विधायकों को तोड़ने के लिए पहले बीजेपी ने उन्हें एक-एक करके गुजरात बुलाया। वहां से सभी को चार्टर फ्लाइट से  गोवाहाटी के एक पांच सितारा होटल में रखा। कई दिनों तक गुवाहाटी मे रखने के बाद उन्हें गोवा लाया गया। इन तीनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकारे हैं। 

बीजेपी ने महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने के लिए अपनी तीन राज्य सरकारों के प्रभाव का इस्तेमाव किया। अब हेमंत सोरेन अपनी सरकार बचाने के लिए अपनी सहयोगी कांग्रेस की सरकार का सहारा ले रहे हैं। उन्हें पता हो कि बगैर कांग्रेस की मदद के से वो खुद को उद्धव ठाकरे बनने से नहीं बचा पाएंगे।

क्यों खतरा मंडरा रहा सोरेन की कुर्सी पर?

दरअसल चुनाव आयोग ने खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोषी ठहराते हुए विधानसभा से उनकी सदस्यता रद्द कर दी है। चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश बंद लिफाफे में झारखंड के राज्यपाल रमश बैस को भज दी है। इसका मतलब यह है कि राज्यपाल की तरफ से उनकी अयोग्यता के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। इसके साथ ही उनका मंत्रिमंडल भंग हो जागा। हालांकि, वह दोबारा शपथ लेकर मुख्यमंत्री बन सकते हैं।

साथ ही छह महीने के भीतर उपचुनाव लड़कर फिर से विधानसभा के लिए निर्वाचित हो सकते हैं। लेकिन राज्यपाल रमेश बैस इस बात को जाहिर नहीं कर रहे हैं कि चुनाव आयोग की सिफारिश में क्या कहा गया है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि चुनाव आयोग ने हेमंत सरेन के कुछ समय तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई है। अगर ऐसा होता है तो फिर हमंत सोरेन को इस्तीफा दे कर किसी और को मुख्यमंत्री बनाना होगा।

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महागठबंधन को बर्खास्तगी का डर

महागठबंधन के नेताओं को डर है कि राज्यपाल की अनुच्छेद-356 इस्तेमाल करके झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगा सकत हैं। महागठबंधन इस सूरत में 24 घंटे में जवाब देने की बात कर रहा है। महागठबंमध के नेताओं पर सवाल उठा रहे है कि चुनाव आयोग की सिफारिश को लेकर राज्यपाल ने अब तक कुछ क्यों नहीं कहा।

उनका आरोप है कि राज्यपाल चुपी साध कर बीजेपी को विधायकों की खरीद-फरोख्त का मौका दे रहे हैं। बीजेपी नेता और राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि आदिवासी उत्थान के नाम पर झूठे वादे कर सोरेन ने सत्ता तो हासिल कर ली, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा लूटने का काम किया। बेरोजगारों को नौकरी, किसानों की ऋण माफी, बेरोजगारी भत्ता सबके सब जुमले ही साबित हुए।

मरांडी के इन तेवरों से साफ लगता है कि बीजेपी हर कीमत पर ऑपरेशन लोटस को सफलल बनाना चाहती है। सत्ता बदलने के स्थिति में बाबूलाल मरांडी बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं।

सोरेन का बीजपी पर हमला

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बीजेपी पर लगातार हमलावर हैं। सोमवार को सोरेन ने केंद्र सरकार और बीजेपी को चुनौती दी कि जितना कुचक्र रचना है रच ले, कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि वह आदिवासी के बेटे हैं और डरने वाले नहीं, लड़ने वाले लोग हैं। सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है। पुलिस, ईडी, इनकम टैक्स, सीबीआई को आदेश देकर उनकी सरकार को रोका जा रहा है।

सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि मीडिया के सूत्रों और सूत्रधारों से डर लगता है। सरकार बनाओ सरकार तोड़ो विधायक बनाओ विधायक बेचो, व्यपारियों का काम सिर्फ खरीदना और बेचना है। हम भी जवाब देंगे और जनता भी जवाब देगी। धर्म और समाज के आधार पर कितने दिन रोटी सकेंगे। देश की सरकार आधे राज्यों से लड़ाई लड़ रही है। ऐसे में देश का कैसे भला होगा। कुछ ऐसे भी हैं, जो बिकने के लिये तैयार हो जाते हैं पर कुछ नहीं बिकते। हर कोई शिंदे नहीं हो सकता।

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पत्नी कल्पना को बना सकते हैं सीएम

झारखंड के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चा है कि अगर हेमंत सोरेन के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई जाती है तो इस सूरत में वह अपनी पत्नी कल्पना सोरन को मुख्यमंत्री बना सकते हैं। यह प्रयोग ठीक उसी तरह होगा जैसे चारा घोटाले में लालू यादव के जेल जाने पर राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया था। राबड़ी देवी ने करीब 7 साल तक सरकार चलाई। कल्पना के नाम पर झारखंड मुक्ति मोर्चा में अंदरूनी खींचतान हो सकती है। दरअसल हेमंत सोरेन की भाभी विधायक हैं। वो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकती हैं। कल्पना सोरेन ओडीशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं। ये पेंच भी फंस सकता है। चर्चा यह भी है कि शिबू सोरेन एक बार फिर बतौर मुख्यमंत्री झारखंड की कमान संभाल सकते हैं। इसक लिए उन्हें छह महीने के भीतर राज्यसभा से इस्तीफा देकर विधानसभा चुनाव लड़ना होगा। इन हालात में बीजेपी फायदा उठाने की फिराक मे है।

हेमंत सरकार के पास है बहुमत

81 सदस्यों वाली झारखंड की विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। बीजेपी के 26, कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के पास एक-एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं। इस तरह हेमंत सोरेन के पास विधानसभा में 51 विधायकों का समर्थन है। नकदी के साथ पकड़े गये तीन विधायकों को हटाकर भी हेमंत सरकार के पास पर्याप्त समर्थन है। दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 30 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है जो बहुमत से 11 कम है। बहुमत के लिए 41 विधायकों का समर्थन चाहिए।

झारखंड में ऑपरेशन लोटस को सफल बनाने के लिए बीजेपी की रणनीति कांग्रेस के कम से कम 12 विधायकों को तोड़ने की थी। लेकिन तीन विधायकों के नकदी के साथ पकड़े जाने से उसकी फिलहाल ये काफी मुश्किल लगता हैं। सभी विधायकों के रायपुर में शिफ्ट हो जाने के बाद बीजेपी के लिए रही सही संभावनाए भी ख़त्म हो जाएंगी। ऐसा लगता है कि फिलहाल तो हेमंत सोरेन खुद को उधव ठाकरे बनने से बचा लेंगे। लेकिन ऑपरेशन लोटस को हर राज्य में कामयाब बनाने में तुली बीजेपी कब कोई शिंदे ढूंढ ले, कहा नहीं जा सकता।

जब सरकार की कमान हेमंत के हाथों में रहेगी तब तक वो बीजेपी से टक्कर लेते रहेंगे। किसी और के हाथों में सत्ता की कमान आने पर बीजेपी खेल कर सकती है।

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