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क्या हेमंत सोरेन के प्रस्तावक को लेकर 'खेला' हो गया?

क्या हेमंत सोरेन के प्रस्तावक को लेकर 'खेला' हो गया?

झारखंड विधानसभा चुनाव में बरहेट सीट से चुनाव लड़ रहे हेमंत सोरेन के प्रस्तावक के साथ ऐसा क्या हो गया कि उनकी उम्मीदवारी रद्द होने तक की आशंका जताई जाने लगी?

चुनाव में उम्मीदवार के प्रस्तावक का पलट जाना ऐसे तो दुर्लभ चीज है, लेकिन लगता है अब स्थिति वैसी नहीं रही। क्या आपको लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के प्रस्तावक के पलटने की घटना याद है? तब प्रस्ताव के पलटने से उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था और बाक़ी निर्दलीय के नाम वापस होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध चुना गया था। अब झारखंड में कुछ उसी तरह की आशंका जताई गई। वह भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्मीदवारी के साथ। तो क्या सच में सोरेन की उम्मीदवारी को ख़तरा है?

इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर यह मुद्दा क्या है। अटकलें लगाई जा रही थीं कि सोरेन के प्रस्तावक मंडल मुर्मू भाजपा के संपर्क में हैं और पार्टी छोड़ सकते हैं। इन अटकलों के बाद ही ऐसा ड्रामा हुआ कि इसमें चुनाव आयोग तक को दखल देना पड़ा। अब इस पर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं।

मुर्मू के बीजेपी नेताओं के साथ नज़दीकी बढ़ने की अटकलों के बीच रविवार को मुर्मू के वाहन का पीछा किया गया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मुर्मू को भारतीय जनता युवा मोर्च के दो नेताओं के साथ कुछ देर के लिए हिरासत में लिया गया और उनको डुमरी पुलिस स्टेशन ले जाया गया। 

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, 'चेकिंग के दौरान पुलिस ने पाया कि मंडल मुर्मू को कुछ अज्ञात व्यक्ति कहीं ले जा रहे थे। जब पुलिस ने उनसे उनके गंतव्य के बारे में पूछा, तो कोई जवाब नहीं मिला।' भट्टाचार्य के अनुसार, गाड़ी चला रहे व्यक्ति ने झारखंड के मुख्य चुनाव अधिकारी के रवि कुमार, एडीजी, ऑपरेशन, संजय लाठकर और आईजी, ऑपरेशन, ए वी होमकर को फोन किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने गिरिडीह जिला प्रशासन और पुलिस को गाड़ी को जाने देने की धमकी दी। इसके पीछे क्या कहानी है, हमें नहीं पता।' 

यह मुद्दा चुनाव आयोग के सामने लाया गया। चुनाव आयोग ने हस्तक्षेप किया। हालांकि, यह मामला मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार तक भी पहुंचा, जिन्होंने बाद में इस घटना को लेकर झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी को फटकार लगाई। सीईसी कुमार ने कहा कि इस घटना में आचार संहिता का पालन नहीं किया गया।

इस बीच गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने बाद में सोशल मीडिया पर मुर्मू की उनके साथ एक तस्वीर पोस्ट की। दुबे ने दावा किया कि यह घटना उसी दिन पहले हुई थी। उन्होंने कहा कि 1855 के विद्रोह के नायक का परिवार 'बांग्लादेशी घुसपैठियों से लड़ने' के लिए भाजपा नेताओं से बात करने के लिए रांची आ रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें 'गिरफ्तार' कर लिया। झारखंड में बांग्लादेशियों की कथित घुसपैठ को बीजेपी ने चुनाव प्रचार का मुख्य मुद्दा बनाया है।

मुर्मू ने दुबे की बात का समर्थन किया। उन्होंने अंग्रेज़ी अख़बार से कहा, 'मेरे पूर्वज स्वतंत्रता सेनानी थे और मैं विभिन्न क्षेत्रों के राजनेताओं से मिलता रहता हूँ। मैंने 27 अक्टूबर की सुबह निशिकांत दुबे से मुलाकात की और अन्य बातों के अलावा नौकरियों और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की। मैं कुछ निजी काम से रांची जा रहा था और घुसपैठ सहित विभिन्न मुद्दों से उन्हें अवगत कराने के लिए भाजपा के कुछ केंद्रीय मंत्रियों से मिलने जा रहा था।'

तो क्या प्रस्तावक के पलटने से सोरेन के नामांकन पर असर पड़ सकता है? अपनी बात पर अड़े झामुमो ने सोरेन के चुनाव को 'प्रभावित' करने का आरोप लगाया। भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर शिकायत की है कि चुनाव अधिकारी भाजपा के साथ 'मिलीभगत' कर रहे हैं। झामुमो के सूत्रों ने माना कि मुर्मू की 'योजनाओं' के बारे में अटकलों के बाद उन्होंने जल्दबाजी में यह कदम उठाया। मुख्यमंत्री कार्यालय को डर है कि मुर्मू के भाजपा में शामिल होने से शर्मिंदगी उठाने के अलावा सोरेन की उम्मीदवारी पर भी सवाल उठ सकते हैं। एक शीर्ष सूत्र ने कहा, 'कुछ अधिकारियों और नेताओं ने कहा कि अगर कोई प्रस्तावक किसी प्रतिद्वंद्वी पार्टी में शामिल होता है या चुनाव लड़ता है, तो ऐसा हो सकता है। हालांकि, पार्टी के अन्य लोगों ने आश्वासन दिया कि किसी की उम्मीदवारी तभी सवालों के घेरे में आती है जब कोई प्रस्तावक नामांकन पत्र पर उसके हस्ताक्षर को चुनौती देता है। यहां ऐसा नहीं था, क्योंकि सब कुछ वीडियो पर था।'

तो सवाल है कि आख़िर बीजेपी मुर्मू को अपने पक्ष में करने के लिए बेताब क्यों है? दरअसल, मुर्मू की अपनी साख है। वह सिद्धो-कान्हू के वंशज हैं, जो ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1855 के संथाल विद्रोह के नायक थे। इसलिए वह दोनों पक्षों के लिए बेहद अहम साबित हो रहे हैं। एक और बात थी जिसको लेकर हेमंत सोरेन परेशान थी। रविवार दोपहर तक भाजपा ने बरहेट सीट के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, जहाँ से सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने सोमवार को ही ऐसा किया, जिसमें गमलीएल हेम्ब्रोम को बरहेट से अपना उम्मीदवार घोषित किया गया।

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