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फिर हेमंत सोरेन विवादों में; 5 वर्ष में हलफनामे में उम्र बढ़ गई 7 साल!

फिर हेमंत सोरेन विवादों में; 5 वर्ष में हलफनामे में उम्र बढ़ गई 7 साल!

झारखंड के मुख्यमंत्री और बरहेट सीट के उम्मीदवार हेमंत सोरेन की उम्र पर अब विवाद क्यों है? जानिए, बीजेपी ने अब क्या आरोप लगाया है।

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्र को लेकर विवाद हो गया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि हेमंत सोरेन की उम्र पाँच साल पहले और मौजूदा हलफनामे में 7 साल का अंतर है। इसका आरोप है कि हेमंत सोरेन ने मौजूदा हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 49 बताई है जबकि पाँच साल पहले 2019 के हलफनामे में उन्होंने अपनी उम्र 42 बताई थी। हालाँकि बीजेपी के इन आरोपों को जेएमएम ने खारिज कर दिया है और कहा है कि चुनाव अधिकारी ने दस्तावेजों की जाँच के बाद उनके नामांकन को वैध पाया है। लेकिन इस पूरे मामले में तो आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो ही गए हैं।

हेमंत सोरेन की उम्र के विवाद पर बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने तंज कसते हुए कहा कि जेएमएम का मतलब है 'झोल, मुस्लिम तुष्टिकरण और माफिया'। उन्होंने कहा, 'भ्रष्टाचार के नए मानक स्थापित करने वाली जेएमएम सरकार अब हलफनामों में भी भ्रष्टाचार कर रही है। पिछले 5 सालों में हेमंत सोरेन की उम्र 7 साल बढ़ गई है। इसी तरह उन्होंने भ्रष्टाचार और घोटाले किए'।

बीजेपी के कई नेताओं ने तो सोरेन की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है। वैसे, चुनाव आयोग की वेबसाइट के अनुसार सोरेन की उम्मीदवारी स्वीकार कर ली गई है। यानी चुनाव आयोग ने उनके दस्तावेजों में कुछ भी ग़लत नहीं पाया है। 

इसकी पुष्टि करते हुए बरहेट विधानसभा सीट के निर्वाचन पदाधिकारी सह अपर समाहर्ता गौतम कुमार भगत ने कहा है कि जाँच के दौरान तक किसी ने भी आपत्ति नहीं की थी। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि 'बुधवार को नामांकन पत्रों की जाँच के समय किसी प्रत्याशी ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। स्क्रूटनी पूरी होने के बाद भाजपा प्रत्याशी ने मौखिक शिकायत की। अब इस बारे में कोई भी शिकायत सुनने को निवार्चन आयोग ही अधिकृत है। उन्हें आयोग से इस बारे में शिकायत करनी चाहिए।'

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, 'हेमंत सोरेन हमेशा ऐसे ही करते हैं। चुनाव आयोग से हमने कहा है। ये तो गलत है। एफिडेविट को तो कम से कम ठीक से रखना चाहिए।' हालाँकि, असम के मुख्यमंत्री और झारखंड प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने तो हेमंत के नामांकन पत्र को लेकर तंज कसा है। उन्होंने कहा, 'मैं तो कहता हूँ कि हेमंत सोरेन का नामांकन रद्द नहीं होना चाहिए, जनता ही उनको हराएगी।' 

बीजेपी नेताओं के इन आरोपों पर जेएमएम ने दावा किया है कि हेमंत सोरेन ने कोई जानकारी नहीं छिपाई है और पूरे कागजात दिए हैं।

जेएमएम नेता मनोज पांडेय ने कहा, 'हम कुछ नहीं छिपाते, न ही छिपाने की कोशिश करते हैं। सब कुछ साफ है। दस्तावेज संलग्न हैं और उसका सत्यापन भी हो चुका है। उन्हें अपने सामने बहुत बड़ी हार दिख रही है, मानसिक संतुलन न खोएं, राजनीतिक संयम बनाए रखें, हार-जीत तो चलती रहती है।'

झारखंड के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा, 'बीजेपी उम्मीदवार ने अपने नामांकन में जो गलती की, उसका नामांकन रद्द होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों रद्द नहीं हुआ। ...और जहां तक ​​हमारे मुख्यमंत्री का सवाल है, यह पूरी तरह से बकवास है, इसमें जरा सी भी सच्चाई नहीं है।'

इस विवाद पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा है, 'बीजेपी वाले मुद्दे को भटकाने के लिए नई-नई बातें कहेंगे। हमें पूरा विश्वास है कि हम जीतेंगे और फिर से अपनी सरकार बनाएंगे।'

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