बारिश से तबाही: हिमाचल में 74 की मौत, 10000 करोड़ का नुक़सान
शिमला में एक शिव मंदिर के मलबे से एक और शव निकाला गया। गुरुवार को चंबा ज़िले में दो और लोगों की मौत हो गई। इन मौतों के साथ ही बारिश से प्रभावित हिमाचल प्रदेश में अब तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 74 हो गई। इनमें से 21 मौतें शिमला में तीन बड़े भूस्खलनों- समर हिल में शिव मंदिर में और फागली और कृष्णानगर में हुईं। मंदिर के मलबे में अभी भी आठ लोगों के दबे होने की आशंका है।
शिमला मंदिर में हुए भूस्खलन में सात लोगों का एक परिवार तबाह हो गया। हिमाचल में विनाशकारी बारिश ने न केवल बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया है, बल्कि पूरे परिवारों को भी उजाड़ दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि आगे नुक़सान होने से रोकने के लिए पूरे उपाय किए जा रहे हैं। सड़कों के निर्माण के लिए क़दम उठाए जाने की जानकारी उन्होंने दी है।
प्रदेश में बनने वाली सभी सड़कों में ड्रेनेज और क्रॉस ड्रेनेज बनाना अनिवार्य किया जाएगा। इसकी निगरानी के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी और निगरानी टीमें भी गठित की जाएंगी। ड्रेनेज और क्रॉस ड्रेनेज न होने के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं। जिन सड़कों में निर्माण के समय ड्रेनेज नहीं… pic.twitter.com/fNiUS6R2ib
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) August 18, 2023
मानसून शुरू होने के बाद से 55 दिनों में राज्य में 113 भूस्खलन हुए हैं। 24 जून को मानसून की शुरुआत के बाद से हिमाचल प्रदेश में बारिश से संबंधित घटनाओं में 217 लोगों की मौत हो गई है।
शिमला में भूस्खलन स्थलों पर बचाव अभियान अभी भी जारी है। भारतीय सेना, वायु सेना और अन्य बचाव कर्मियों ने कांगड़ा जिले के फतेहपुर और इंदौरा के पोंग बांध में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से 309 लोगों को निकाला। पिछले तीन दिनों में इन इलाकों से 2074 लोगों को निकाला गया है।
शिमला के समर हिल में रेलवे ट्रैक का एक हिस्सा बह गया है, जिससे ट्रैक हवा में लटक गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार भूस्खलन से लोक निर्माण विभाग को 2,491 करोड़ रुपये और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 1,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को राज्य में बारिश और बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि राज्य को इस मानसून में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा और अनुमान है कि इस सप्ताह और जुलाई में भारी बारिश के दो विनाशकारी दौर में नुकसान लगभग 10,000 करोड़ रुपये है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा है कि हाल के भूस्खलन से क्षतिग्रस्त बुनियादी ढाँचे का पुनर्निर्माण एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार भूस्खलन पारिस्थितिक रूप से नाजुक हिमालय में अवैज्ञानिक निर्माणों, घटते वन क्षेत्र और जलधाराओं के पास संरचनाओं के कारण होता है जो पानी के प्रवाह को अवरुद्ध करते हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी ने शिमला, सोलन, मंडी, चंबा और आसपास के इलाकों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश के साथ कुछ स्थानों पर गरज के साथ मध्यम बारिश की भविष्यवाणी की है। राज्य में रविवार से लगातार तीन दिनों तक भारी बारिश हुई।