मोदी राज के 13 एम्स : आठ बने ही नहीं, पाँच को धेला भी नहीं

03:58 pm Jan 02, 2019 | मुकेश कुमार सिंह - सत्य हिन्दी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी शायद ही याद हो कि वह बीते साढ़े चार साल में देश में कितने एम्स खोलने का एलान कर चुके हैं इस सवाल का सीधा और सटीक जवाब आपको गूगल जी भी नहीं दे पाते! मोदी राज में घोषित नये एम्स का ताज़ा स्टेटस क्या है इस कौतूहल का समाधान आगे करेंगे। फ़िलहाल, ख़बर है कि 17 दिसम्बर 2018 को मोदी कैबिनेट ने मदुरै (तमिलनाडु) और बीबीनगर (तेलंगाना) के लिए नये एम्स को मंज़ूरी दे दी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत मंज़ूर हुए दोनों एम्स पर क्रमशः 1264 और 1028 करोड़ रुपये ख़र्च होंगे।

दिलचस्प बात है कि ‘तेज़ी से कड़े फ़ैसले लेने वाली मोदी सरकार’ के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तमिलनाडु एम्स का एलान 2016 के बजट भाषण में किया था। सरकार को यही तय करने में क़रीब पौने तीन साल लग गए कि नया एम्स मदुरै में बनेगा। इसके निर्माण के लिए 45 महीने की मियाद तय हुई है। बीबीनगर एम्स के बारे में तो इतना ब्यौरा भी सुलभ नहीं है। हालाँकि, मोदी कैबिनेट ने तेलंगाना एम्स को सैद्धान्तिक मंज़ूरी अप्रैल 2018 में दे दी थी। लेकिन इतने दिनों में अभी तो सिर्फ़ यही तय हो पाया है कि लागत 1028 करोड़ रुपये होगी और शहर कौन-सा होगा, जहाँ यह एम्स बनेगा। अभी तो काग़ज़ पर भी कोई समय-सीमा यानी डेडलाइन तय नहीं है। बस, कोरा एलान है!

नए एम्स बनाने का एलान बग़ैर तैयारी के कर दिया गया। नतीजा यह हुआ कि ज़्यादातर एम्स पर काम ही शुरू नहीं हुआ है। इससे नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज के तरीके का भी पता चलता है।

 ‘फेंकते रहो’ नीति की आत्मा

ये एलान ही मोदी राज की ‘फेंकते रहो’ नीति की आत्मा है। अब ज़रा इस आत्मा से जुड़े इसके अजर-अमर तत्व को भी जान लीजिए। मई 2018 में अपनी चौथी सालगिरह से ऐन पहले, मोदी कैबिनेट ने देश में 20 नये एम्स यानी अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान बनाने का एलान किया था। इससे पहले मोदी राज के गुज़रे चार सालों में 13 एम्स बनाने की घोषणा हो चुकी थी।

4 मार्च 2018 को बीजेपी ने ट्वीट किया था कि “परिवार राज से स्वराज: 2014 तक 7 एम्स बने। मोदी सरकार के 48 महीने में 13 एम्स मंज़ूर हुए।” जून 2018 में आरटीआई के जवाब में मोदी सरकार ने कहा कि ‘13 में से एक भी एम्स शुरू नहीं हुआ है!’

अब लगे हाथ जून 2018 तक इन 13 एम्स के काम की क्या प्रगति हुई, इसका जायज़ा लेते हैं –

  • गोरखपुर एम्स: जगह तय, 1,011 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, मार्च 2020 का लक्ष्य और 10% से कम फ़ंड जारी।
  • नागपुर एम्स: जगह तय, 1,577 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, 15% फ़ंड जारी।
  • कामरूप एम्स: जगह तय नहीं, 1,123 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अप्रैल 2021 का लक्ष्य, सिर्फ़ 5 करोड़ रुपये जारी।
  • गुजरात एम्स: अभी तक शहर का नाम ही तय नहीं, कोई फ़ंड जारी नहीं, कोई डेडलाइन तय नहीं।
  • बिहार एम्स: 2015 के चुनावी साल में बजट में एलान, तीन साल बाद भी स्थान तय नहीं, कोई डेडलाइन तय नहीं, कोई फ़ंड जारी नहीं।
  • गुंटूर एम्स: जगह तय, 1,618 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, 15% फ़ंड जारी।
  • कल्याणी एम्स: जगह तय, 1,754 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, अक्टूबर 2020 का लक्ष्य, 16% फ़ंड जारी।
  • बठिंडा एम्स: जगह तय, 925 करोड़ रुपये की लागत, जून 2020 का लक्ष्य, 4% फ़ंड जारी।
  • जम्मू एम्स: सम्बा ज़िले के विजयपुर में प्रस्तावित, कोई बजट और कोई डेडलाइन तय नहीं।
  • कश्मीर एम्स: पुलवामा ज़िले के अवन्तिपुरा में प्रस्तावित, कोई बजट और कोई डेडलाइन तय नहीं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के दोनों एम्स के नाम पर 91 करोड़ रुपये का फ़ंड जारी हुआ।
  • बिलासपुर एम्स: जगह तय, 1,350 करोड़ रुपये की लागत मंज़ूर, दिसम्बर 2021 का लक्ष्य, नरेन्द्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2017 को शिलान्यास किया, लेकिन कोई फ़ंड जारी नहीं!
  • तमिलनाडु एम्स: अभी तक शहर का नाम ही तय नहीं, कोई फ़ंड जारी नहीं, कोई डेडलाइन तय नहीं।

यहाँ 13वें नम्बर पर जिस ‘तमिलनाडु एम्स’ का ज़िक्र है, उसकी क़िस्मत अब जाकर पलटी है! इसे ही अब ‘मदुरै एम्स’ का नाम मिला है।