हाथरस भगदड़ कांड को जिस तरह यूपी सरकार ने दबाया, उसका सच सामने आ गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना के बाद हाथरस जाकर कहा था कि इस कांड की जांच हर पहलू से की जाएगी, इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं थी, किसी भी दोषी को नहीं छोड़ा जाएगा। लेकिन हाथरस की अदालत में सौंपी गई 3,200 पन्नों की पुलिस चार्जशीट में स्व-घोषित धर्मगुरु सूरजपाल, जिन्हें भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है, का नाम शामिल नहीं है। उसे 2 जुलाई को फुलराई गांव में हुई भगदड़ से संबंधित 11 आरोपियों में सूचीबद्ध नहीं किया गया है, जिसमें दो महिला स्वयंसेवक भी शामिल हैं। हाथरस भागदड़ कांड में 121 लोगों की मौत हो गई थी।
सूरजपाल, जिन्हें नारायण साकार हरि भी कहा जाता है, का घटना के तुरंत बाद दर्ज की गई एफआईआर में भी उल्लेख नहीं किया गया था। आरोपपत्र में जिन लोगों के नाम हैं, वे हैं देव प्रकाश मधुकर (कार्यक्रम के मुख्य आयोजक), मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू देवी, मंजू यादव, राम लधेते, उपेन्द्र सिंह, संजू कुमार, राम प्रकाश शाक्य, दुर्वेश कुमार और दलवीर सिंह। मधुकर को एफआईआर और आरोप पत्र दोनों में प्राथमिक आरोपी के रूप में पहचाना गया है।
मायावती का कड़ा रुख
बसपा प्रमुख मायावती ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। मायावती ने गुरुवार को एक्स पर लिखा- यूपी के हाथरस में 2 जुलाई को हुए सत्संग भगदड़ काण्ड में 121 लोगों जिनमें अधिकतर महिलाओं व बच्चों की मृत्यु के सम्बंध दाखिल चार्जशीट में सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति, जिससे साबित है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण है, जो अनुचित। मायावती ने आगे लिखा है-मीडिया के अनुसार सिकन्दराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर 2,300 पेज की चार्जशीट में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है, किन्तु बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित? ऐसे सरकारी रवैये से ऐसी घटनाओं को क्या आगे रोक पाना संभव? आमजन चिन्तित।बहरहाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार सिंह ने पुष्टि की कि मंगलवार को 11 चिन्हित व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया था। त्रासदी के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने भगदड़ की जांच के लिए एक विशेष जांच दल और एक न्यायिक आयोग का गठन किया। हाथरस के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में अगली निर्धारित सुनवाई के दौरान 4 अक्टूबर को आरोपियों को आरोप पत्र प्रदान किया जाएगा।
हाथरस पुलिस ने सूरजपाल के प्रति 'उदार' होने के दावों को खारिज कर दिया है, यह कहते हुए कि जांच अभी जारी है। एएसपी अशोक कुमार सिंह ने कहा कि “जांच एक सतत प्रक्रिया है और इस मामले में भी जारी है। अभी दायर आरोपपत्र के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”
आरोपियों के बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह ने कहा कि आरोपियों को अभी तक आरोप पत्र की प्रतियां नहीं मिली हैं, अदालत ने उनकी उपलब्धता के लिए 4 अक्टूबर की तारीख तय की है।
एपी सिंह ने कहा- “मामले में नामजद और गिरफ्तार किए गए 11 लोगों में से, दो महिला आरोपियों, मंजू देवी और मंजू यादव ने, इलाहाबाद हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत प्राप्त कर ली है, लेकिन केवल एक ही जेल से बाहर है। मंजू यादव जमानत पर है।” फुलराई गांव में धार्मिक कार्यक्रम में 200,000 से अधिक लोगों के शामिल होने के दौरान 80,000 भक्तों की सभा की अनुमति का अनुरोध करके अधिकारियों को धोखा देने के आरोप में मधुकर और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराएं शामिल हैं, विशेष रूप से 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 126(2) (गलत तरीके से रोकना), 223 (किसी आदेश की अवज्ञा करना) एक लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित), और 238 (साक्ष्यों के गायब होने का कारण)।
यह भगदड़ सूरजपाल के नेतृत्व में एक सत्संग के दौरान हुई, जो उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की पटियाली तहसील के बहादुर नगर गांव से है। त्रासदी के 15 दिन बाद 17 जुलाई को वह बहादुर नगर में फिर से प्रकट हुए और अपने सत्संग में हुई मौतों पर दुख व्यक्त करने के लिए मीडिया से बात की। समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक वीडियो बयान में भोले बाबा ने कहा, ''2 जुलाई की घटना के बाद मैं बहुत दुखी हूं। भगवान हमें इस दर्द को सहने की शक्ति दे। कृपया सरकार एवं प्रशासन पर विश्वास बनाये रखें। मुझे विश्वास है कि अराजकता पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।” बता दें कि इस बाबा पर चुनाव में भाजपा के लिए प्रचार करने का आरोप है। भाजपा के तमाम नेताओं से इसके मधुर संबंध हैं।