नूंह के एक अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और उनकी तीन साल की बेटी को तब छुपना पड़ा था जब जिले में हिंसा के दौरान भीड़ हमले कर रही थी। भीड़ के हमले से बचने के लिए उन्होंने कार छोड़कर छुपकर अपनी जान बचाई। भीड़ ने उनकी कार पर हमला किया और आग लगा दी थी। इसको लेकर एफ़आईआर दर्ज कराई गयी है।
सिटी नूंह पुलिस स्टेशन में मंगलवार को दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि यह घटना सोमवार को घटी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट यानी एसीजेएम अंजलि जैन और उनकी बेटी को सोमवार को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा, क्योंकि हमलावर पथराव और गोलीबारी कर रहे थे। जज, उनकी बेटी और एक गनमैन को नूंह के पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में शरण लेनी पड़ी। बाद में कुछ अधिवक्ताओं ने उन्हें बचाया।
एसीजेएम, नूंह की अदालत में प्रोसेसर सर्वर के रूप में काम करने वाले टेक चंद की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। एफआईआर के मुताबिक, सोमवार दोपहर करीब एक बजे एसीजेएम, उनकी तीन साल की बेटी और गनमैन सियाराम अपनी फॉक्सवैगन कार से दवा खरीदने नलहर स्थित एसकेएम मेडिकल कॉलेज गए थे। दोपहर करीब 2 बजे जब वे मेडिकल कॉलेज से लौट रहे थे तो दिल्ली-अलवर रोड पर पुराने बस स्टैंड के पास करीब 100-150 दंगाइयों ने उन पर हमला कर दिया।
एफ़आईआर में कहा गया है, 'दंगाई उन पर पथराव कर रहे थे। कुछ पत्थर कार के पिछले शीशे पर लगे और दंगाइयों ने इलाके में गोलियां चला दीं। हम चारों कार सड़क पर छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए भागे। हम पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में छिप गए और बाद में कुछ वकीलों ने हमें बचाया। अगले दिन, जब मैं कार देखने गया, तो मुझे पता चला कि दंगाइयों ने उसे जला दिया था।'
यह एफ़आईआर नूंह में सोमवार को भड़की सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में अब तक दर्ज की गई 41 एफआईआर में से एक है। एक अन्य एफआईआर में मारे गए दो होम गार्ड और पुलिस अधिकारियों पर हमले की बात कही गई है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जैसा कि हिंसा को रोकने में मदद करने के लिए नूंह जाने का आदेश दिया गया था, गुड़गांव के खेड़की दौला से पुलिस कर्मियों और दो होम गार्डों के साथ बस जब नूंह में साइबर पुलिस स्टेशन के पास अनाज मंडी पहुंची तो भीड़ ने उन्हें रोक लिया।
एफ़आईआर में कहा गया है, 'जब हमारा वाहन साइबर पुलिस स्टेशन नूंह के पास अनाज मंडी गेट पर पहुंचा, तो बड़ी संख्या में लोग घातक हथियारों के साथ सड़क पर दिखाई दिए। उन्होंने सड़क पर पत्थर फेंके और हमारा रास्ता रोका और पथराव शुरू कर दिया। ये पत्थर पुलिसकर्मियों को लगे और गाड़ियों के शीशे टूट गये। पत्थरों से टकराने के बाद मेरी गाड़ी पलट गई और हमें पत्थरों, लाठियों और लोहे की रॉड से पीटा गया। पुलिस कर्मियों के मोबाइल फोन और पर्स छीन लिए गए। आत्मरक्षा की कार्रवाई में पुलिस दल के एक कर्मी ने हवा में गोली चलाई और किसी तरह पुलिस कर्मियों की जान बचाई।'