गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जुड़े भारतीय कफ सीरप के उत्पादन पर रोक लगाने का आदेश दिया गया है। हरियाणा सरकार ने सोनीपत स्थित दवा निर्माता कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड को यह आदेश दिया है।
एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा के खाद्य एवं औषधि प्रशासन यानी एफडीए और केंद्र सरकार के दवा नियामक, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन यानी सीडीएससीओ के संयुक्त निरीक्षण में मेडेन फार्मास्युटिकल्स की विनिर्माण सुविधा में 12 उल्लंघन पाए गए। उन्होंने कहा है कि इसी कारण कंपनी को परिचालन बंद करने के लिए एक नोटिस जारी किया गया है।
इसने आदेश में कहा है कि मेडेन ने विनिर्माण और परीक्षण का पूरा रिकॉर्ड नहीं रखा था। आदेश में कहा गया है, 'जांच दल द्वारा विभिन्न दस्तावेजों की जांच की गई, जो स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि फर्म अपने निर्माण और परीक्षण गतिविधियों में ड्रग नियम, 1945 की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर रही है।'
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि मेडेन फार्मास्युटिकल्स की सुविधा से दवाओं के नमूने परीक्षण के लिए कोलकाता में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला भेजे गए हैं और इसके परिणाम अभी भी नहीं आए हैं।
बता दें कि हाल ही में ख़बर आई थी कि उस सीरप निर्माण को लेकर हरियाणा खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने अलर्ट किया था। गाम्बिया में बच्चों की मौत के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा भारतीय फार्मा कंपनी मेडेन फार्मास्युटिकल्स को लेकर आगाह किया गया था।
डब्ल्यूएचओ के बाद हरियाणा सरकार के ड्रग्स अधिकारियों ने कंपनी की दवा के निर्माण को लेकर पड़ताल की है। अधिकारियों ने नियमों के उल्लंघन किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया है।
हरियाणा के दवा नियंत्रक ने मेडेन फार्मास्यूटिकल्स को कारण बताओ नोटिस में पूछा है कि उसका विनिर्माण लाइसेंस रद्द क्यों न कर दिया जाए? कंपनी को 14 अक्टूबर तक कारण बताओ नोटिस का जवाब देना है।
अधिकारियों ने उल्लंघन के 12 बिंदुओं को विस्तृत रूप से ज़िक्र किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने सोनीपत में निर्माण सुविधा के निरीक्षण के दौरान ये खामियाँ पाई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉग बुक लापता हो गया है। मेडेन फार्मास्युटिकल्स विवादास्पद कफ सीरप के निर्माण और परीक्षण के संबंध में उपकरणों की लॉग बुक दिखाने में विफल रही।
दवा के निर्माण में इस्तेमाल किए गए प्रोपलीन ग्लाइकॉल, सोर्बिटोल सॉल्यूशन और सोडियम मिथाइलपरबेन के बैच नंबर का उल्लेख नहीं किया गया था। मेडेन फार्मास्युटिकल्स ने चार कफ सीरप के लिए प्रक्रिया का सत्यापन और विश्लेषणात्मक विधि का सत्यापन नहीं किया है।
बता दें कि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ़्ते कहा था कि जिस कफ सीरप से गाम्बिया में बच्चों की मौत हुई है उसको केवल निर्यात के लिए बनाया गया था और उसे भारत में नहीं बेचा गया। इस मामले में भारत सरकार ने भी उस कफ सीरप के मामले की जाँच के आदेश दिए थे।
भारत में जाँच के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने उसी दौरान सोनीपत स्थित एक फर्म द्वारा निर्मित चार कफ सीरप के नमूने जांच के लिए कोलकाता में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला को भेज दिए थे। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने पिछले हफ़्ते बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि यूएन एजेंसी भारत के दवा नियामक और दवा निर्माता के साथ उन मौतों की जाँच कर रही है। रिपोर्टों में कहा गया कि गुर्दे को हुए नुक़सान के बाद वे मौतें हुई हैं।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की ओर से ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को बीती 29 सितंबर को इन कफ सीरप को लेकर अलर्ट भेजा गया था। इसके बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इस मामले में जांच शुरू की।