कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची बुधवार देर रात को जारी कर दी। इस सूची में पार्टी ने 84 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है जबकि 6 सीटों पर पार्टी में मंथन चल रहा है। हरियाणा में 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को नतीजे आएँगे। पार्टी ने एक विधायक को छोड़कर अपने सभी पुराने विधायकों को टिकट दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी-सांपला-किलोई सीट से और राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला कैथल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे। सुरजेवाला पिछले साल जींद में हुए उपचुनाव में हार गए थे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजन लाल के बेटे कुलदीप विश्नोई आदमपुर से और उनके दूसरे बेटे चंद्र मोहन पंचकूला सीट से चुनाव लड़ेंगे।
इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की बहू किरण चौधरी को तोशाम सीट से और उनके बेटे रणवीर महिंद्रा को बाढ़रा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है। राज्य के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को गन्नौर से, पूर्व मंत्री गीता भुक्कल को झज्जर सीट से टिकट दिया गया है। इसके अलावा पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी को महम सीट से पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है।
हरियाणा कांग्रेस में जबरदस्त खींचतान है और इसी वजह से पार्टी को उम्मीदवारों की सूची जारी करने में काफ़ी मशक्कत करनी पड़ी। बुधवार को ही पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया था। तंवर ने टिकट बेचने तक के आरोप लगाये थे और भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जोरदार हमला बोला था। चुनाव से ऐन पहले पद से हटाये जाने के कारण तंवर ख़फ़ा हैं और इसका सीधा संदेश यह गया है कि कांग्रेस आलाकमान को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आगे झुकना पड़ा है।
हरियाणा कांग्रेस के बारे में कहा जाता है कि वहाँ कांग्रेस पाँच गुटों में बंटी हुई है। इनमें से एक गुट ख़ुद हुड्डा का, दूसरा अशोक तंवर का, तीसरा वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा का, चौथा कांग्रेस विधायक दल की पूर्व नेता किरण चौधरी का और पाँचवा रणदीप सुरजेवाला का है। कहा जाता है कि इसी जबरदस्त गुटबाज़ी के कारण सुरजेवाला को जींद में हुए उपचुनाव में क़रारी हार का सामना करना पड़ा था।
कुमारी शैलजा पार्टी का दलित चेहरा हैं जबकि हुड्डा की जाट वोटरों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। हरियाणा में क़रीब 19 फीसदी दलित और लगभग 25 फ़ीसदी जाट मतदाता हैं। देखना यह होगा कि क्या हुड्डा-शैलजा की जोड़ी पार्टी को जीत दिला पायेगी। हुड्डा को हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस ख़ेमे में सबसे ज़्यादा ताक़तवर नेता माना जाता है। हुड्डा 10 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और पार्टी की रैलियों में भीड़ जुटाने वाले नेता हैं। लेकिन जिस तरह के हालात पार्टी में हैं, ऐसे में अगर पार्टी नेता एकजुट होकर नहीं लड़े तो कांग्रेस का चुनाव जीतना बेहद मुश्किल है।