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हरियाणाः भाजपा ने चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष जाट की जगह ब्राह्मण क्यों बनाया

हरियाणाः भाजपा ने चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष जाट की जगह ब्राह्मण क्यों बनाया

हरियाणा में भाजपा ने यह मान लिया है कि जाट उसे वोट नहीं डालेंगे। इसलिए अब वो धीरे-धीरे गैर जाटों को पार्टी में आगे बढ़ा रही है। हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल बडोली की नियुक्ति काफी कुछ बता रही है। हरियाणा भाजपा में लंबे समय तक जाट प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों नायब सिंह सैनी को प्रदेश बनाया गया और उनके सीएम बनने के बाद कहा जा रहा था कि फिर किसी जाट को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद मिलेगा। लेकिन भाजपा ने अब एक ब्राह्मण को यह पद सौंपा है। 

मोहन लाल बडोली को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करके भाजपा ने अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एक और गैर-जाट चेहरे पर भरोसा जताया है। बडोली ब्राह्मण हैं। हालांकि भाजपा पंजाबी और जाट का संतुलन बनाकर चलती रही है। पंजाबी मनोहर लाल खट्टर को 2014 में मुख्यमंत्री बनाने के बाद भाजपा ने हमेशा जाट को ही प्रदेश अध्यक्ष पद दिया। लेकिन अब उसने अपनी रणनीति बदल दी है। 

इस बदलाव से साफ हो गया कि भाजपा दो गैर-जाट चेहरों के साथ चुनाव में उतरेगी। सीएम चेहरे के रूप में नायब सिंह सैनी और राज्य प्रमुख के रूप में ब्राह्मण मोहन लाल बडोली। बीजेपी लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी के लिए गैर-जाटों और शहरी वोटों पर उम्मीद लगाए बैठी है। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा गैर-जाट और ओबीसी नेता और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को आगामी विधानसभा चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किए जाने के कुछ दिनों बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा द्वारा बडोली को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 

भाजपा की इस रणनीति से यह साफ हो गया कि पार्टी हरियाणा मेंओबीसी, एसटी, ब्राह्मण और अन्य गैर जाट जातियों को अपने पाले में लाकर चुनाव लड़ेगी। हरियाणा में पहली बार अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय की 20 जातियों को लाया जा रहा है और उन्हें आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। अभी तक हरियाणा एसटी वर्ग में जातियों की पहचान नहीं की गई थी। यह पूरी तरह से रणनीतिक पैंतरा है। बडोली की नियुक्ति इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भाजपा हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए गैर-जाट और शहरी वोटों के तालमेल पर उम्मीद लगाए बैठी है।

लोकसभा चुनाव 2024 ने हरियाणा में भाजपा को कड़ा सबक दिया। 2019 के विधानसभा चुनाव में उसकी अपने दम पर सरकार नहीं बन पाई थी। अगर दुष्यंत चौटाला की जेजेपी ने 10 विधायकों के साथ 40 विधायकों वाली भाजपा को समर्थन नहीं दिया होता तो दूसरी बार उसकी सरकार नहीं बनती। यानी भाजपा का वोट आधार 2019 में घट गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सिर्फ 5 सांसदों को हरियाणा में जिता पाई। बाकी पांच सांसद विपक्ष के चुने गए। भाजपा और भी सिमट गई। इसलिए अक्टूबर 2024 के विधानसभा चुनाव में वो नई रणनीति के साथ उतरने जा रही है।

जाट फैक्टरः भाजपा सूत्रों का कहना है कि चूंकि हरियाणा में करीब 25 फीसदी वोट शेयर रखने वाले जाट हाल के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के आसपास एकजुट हुए हैं, इसलिए राज्य भाजपा प्रमुख के रूप में एक जाट नेता की नियुक्ति संभव नहीं थी। सूत्रों ने कहा, "हरियाणा में 30% से अधिक मतदाता ब्राह्मण (लगभग 12%) के साथ मिलकर ओबीसी, विधानसभा चुनाव में एक मजबूत संतुलन बनाएंगे। जाट वोट कांग्रेस, जेजेपी और आईएनएलडी के बीच विभाजित हो जाएंगे। ऐसे में भाजपा के लिए स्थितियां बेहतर रहेंगी।"

यही वजह है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को राज्य इकाई प्रमुख की अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए ब्राह्मण चेहरे बडोली पर ध्यान केंद्रित किया। राई (सोनीपत) से मौजूदा विधायक होने के अलावा, बडोली वर्तमान में पार्टी के राज्य महासचिव हैं।

1963 में जन्मे, बडोली 1989 में आरएसएस में शामिल हुए और 1995 में मंडल अध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। 2020 में, उन्हें भाजपा जिला अध्यक्ष और बाद में 2021 में राज्य महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया। जबकि वह पहले भाजपा विधायक थे जो 2019 में जाट बहुल राई विधानसभा क्षेत्र से चुने गए थे। बडोली हाल के संसदीय चुनावों में सोनीपत लोकसभा सीट से कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी से 21,816 वोटों से हार गए थे।

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