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हरियाणाः भाजपा में बगावत, दलबदलुओं को टिकट, परिवारवाद हावी, कई इस्तीफे

हरियाणाः भाजपा में बगावत, दलबदलुओं को टिकट, परिवारवाद हावी, कई इस्तीफे

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने बुधवार शाम को 67 लोगों की पहली सूची जारी की। लेकिन इसके बाद गुरुवार को भाजपा के पुराने नेताओं के इस्तीफे भी दिखाई गिए। इस्तीफा देने वालों का आरोप है कि पार्टी ने दो गिन पहले शामिल हुए दलबदलुओं तक को टिकट दिया लेकिन पुराने विधायकों और नेताओं को पूछा ही नहीं गया। ऐसी ही स्थिति केंद्र शासित जम्मू कश्मीर भाजपा में बनी थी।

बीजेपी ने 67 नामों की पहली सूची जारी कि और इसी के साथ पार्टी को पूरे राज्य में बगावत का सामना करना पड़ा है।ओबीसी मोर्चा प्रमुख करण देव कंबोज, किसान मोर्चा प्रमुख सुखविंदर श्योराण और रतिया विधायक लक्ष्मण नापा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राज्य में भाजपा सरकार में मंत्री रणजीत सिंह ने भविष्य की रणनीति तय करने के लिए समर्थकों की बैठक बुलाई है। रणजीत सिंह ने "भाजपा के साथ या उसके बिना" चुनाव लड़ने की कसम खाई है।

भाजपा में बीजेपी के टिकट के दावेदारों में जिस बात को लेकर गुस्सा बढ़ रहा है, वह कम से कम 10 लोगों का नामांकन है, जो हाल ही में भाजपा में शामिल हुए थे। इसमें जेजेपी के तीन पूर्व विधायक, एक पूर्व मंत्री के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्ति रानी शर्मा शामिल हैं। ये सभी हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए और इन्हें टिकट से नवाजा गया।

मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की बागवत

हरियाणा के बिजली मंत्री और पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला ने टिकट नहीं मिलने के बाद बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है। रणजीत ने डबवाली से चुनाव लड़ने के भाजपा के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। वो रानिया से आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे। इसकी घोषणा उन्होने अपने समर्थकों के बीच गुरुवार को की। अपनी ताकत दिखाने के लिए वो 8 सितंबर को रानिया में रोड शो करने जा रहे हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें हिसार से टिकट दिया था लेकिन रणजीत लोकसभा चुनाव हार गए थे। भाजपा ने रानिया से इस बार सतपाल कांबोज को टिकट दिया है। हालांकि 2019 में रणजीत सिंह रानिया विधानसभा सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीता था, लेकिन बाद में वो भाजपा में शामिल हो गए थे।

 - Satya Hindi

रणजीत सिंह चौटाला की भाजपा से बगावत। निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। रणजीत ताऊ देवीलाल के छोटे बेटे हैं।

विभिन्न जिलों से आ रही रिपोर्टों में कहा गया है कि रोहतक जिले के महम से टिकट के प्रबल दावेदार वरिष्ठ नेता शमशेर खरखड़ा ने पहलवान दीपक हुड्डा के नामांकन के बाद पार्टी छोड़ दी। इसी तरह, एक अन्य प्रमुख दलित नेता सीमा गैबीपुर ने उकलाना से जेजेपी के अध्यक्ष अनूप धानक के नामांकन के बाद इस्तीफा दे दिया।

नारनौंद से जेजेपी के पूर्व विधायक राम कुमार गौतम को सफीदों से पार्टी का टिकट मिलने से भाजपा नेता और पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य भी नाराज हैं। वह निर्दलीय चुनाव लड़ने का विकल्प तलाश रहे हैं। इस बीच, वरिष्ठ नेता जय भगवान शर्मा थानेसर में अपनी ताकत दिखा रहे हैं, जहां से पार्टी ने राज्य मंत्री सुभाष सुधा पर फिर से भरोसा जताया है।

पृथला से टेक चंद शर्मा का नामांकन मौजूदा निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत को पसंद नहीं आया, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों से भाजपा सरकार का समर्थन कर रखा था। रावत भाजपा से टिकट रूपी इनाम की उम्मीद कर रहे थे।

भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रमुख करण देव कंबोज ने अपने इस्तीफे में आरोप लगाया कि भाजपा दीन दयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा प्रतिपादित अपनी मूल विचारधारा से भटक गई है। भाजपा उन गद्दारों को पुरस्कृत कर रही है जिन्होंने वर्षों से पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। कंबोज ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का अपना विकल्प खुला रखते हुए कहा, "जबकि मेरे जैसे प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को दरकिनार किया जा रहा है, विधानसभा चुनाव की पूर्व संध्या पर पार्टी में शामिल होने वालों को टिकटों से पुरस्कृत किया जा रहा है।"

भाजपा पर परिवारवाद का आरोपः भाजपा दिनरात उठते बैठते कांग्रेस, सपा और आरजेडी को परिवारवाद बढ़ाने के लिए कोसती थी। लेकिन अब भाजपा भी इन्हीं दलों के रास्ते पर चल पड़ी है। वो केंद्रीय मंत्रियों के बेटे-बेटियों, भाई और अन्य रिश्तेदारों को धड़ल्ले से टिकट दे रही है। दक्षिण हरियाणा में अहीरवाल के अटेली विधानसभा क्षेत्र में कड़ी लड़ाई देखने को मिल सकती है, जहां भाजपा ने केंद्रीय मंत्री और प्रभावशाली अहीर नेता राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को मैदान में उतारा है। जेजेपी ने पूर्व मंत्री और भाजपा नेता राव नरबीर सिंह की भतीजी आयुषी यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने अटेली से मौजूदा बीजेपी विधायक सीताराम यादव का टिकट काट दिया है।

आरती राव का यह पहला चुनाव होगा। हालाँकि, उन्होंने 2019 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के टिकट के लिए भी कोशिश की थी। इस बार आरती ने पहले ही चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी लेकिन उन्होंने चुनाव क्षेत्र का नाम गुप्त रखा था। हालाँकि, उन्होंने कहा था कि अटेली उन दो जिलों में से एक है जहां से वह विधानसभा चुनाव लड़ने पर विचार कर रही हैं।

भाजपा के टिकटों को लेकर जम्मू कश्मीर में भी बवाल मचा था। नेशनल कॉन्फ्रेंस थोड़कर दो हफ्ते पहले भाजपा में आए देवेंद्र सिंह राणा को टिकट दिया गया है। देवेंद्र की खासियत यह है कि वो केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह के भाई हैं। इससे पहले उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है। जम्मू में पार्टी के अंदर कई इस्तीफे हो गए। पुराने कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा दलबदलुओं की पार्टी बनती जा रही है। जो टिकट वितरण हुआ है उसमें दलबदलुओं की ही चली है।

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