हरियाणाः बॉन्ड पॉलिसी पर नया नियम भी MBBS छात्रों को नामंजूर
हरियाणा में एमबीबीएस छात्रों और सरकार के बीच टकराव तेज हो गया है।एमबीबीएस छात्रों ने सरकार द्वारा जारी बॉन्ड फीस के संबंध में नई अधिसूचना को खारिज कर दिया। स्टूडेंट्स ने कहा कि 7 नवंबर को जारी की गई नई अधिसूचना में कुछ भी नया नहीं है। इसमें कहा गया है कि छात्रों को एडमिशन के समय बॉन्ड शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा। लेकिन उसके बाद क्या होगा।
क्या है बॉन्ड शुल्क नोटिफिकेशन
हरियाणा सरकार ने पहले घोषणा की थी कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले एमबीबीएस स्टूडेंट्स को दस लाख रुपये का एक बॉन्ड देना होगा।
इस योजना में 7 नवंबर को बदलाव किया गया और कहा गया कि एडमिशन के समय किसी भी छात्र को दस लाख का बॉन्ड पेपर नहीं देना होगा। लेकिन सरकार के नए नोटिफिकेशन ने भी छात्रों को उलझा दिया है।
अब छात्रों को उस कॉलेज के साथ बॉन्ड-कम- लोन एग्रीमेंट करना होगा। लेकिन उसके साथ शर्त है। बॉन्ड में दी गई रकम को हरियाणा सरकार तभी चुकाएगी, जब एमबीबीएस पास आउट छात्र या एमडी पासआउट छात्र हरियाणा में कम से कम 7 साल तक सरकारी सेवा में डॉक्टर की नौकरी करेगा। लेकिन जो छात्र हरियाणा में सरकारी डॉक्टर की नौकरी नहीं करना चाहते हैं, उन्हें लोन की उस रकम को खुद भरना होगा। हरियाणा सरकार उस पैसे को नहीं चुकाएगी। यानी सीधी सी बात यह है कि हरियाणा सरकार बॉन्ड के रूप में यह गारंटी मांग रही है कि अगर सरकार अपने मेडिकल कॉलेजों को हर छात्र का पैसा देगी तो उनसे हरियाणा में नौकरी की शर्त रखेगी।
इस मुद्दे पर रोहतक पीजीआई, झज्जर मेडिकल कॉलेज, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल, मेवात के मेडिकल कॉलेज आदि में एमबीबीएस छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया। रोहतक में आंदोलन से सरकार खासी परेशान है। क्योंकि हरियाणा में राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रोहतक है। वहां हर समय वीआईपी भी आते हैं, इसलिए सरकार ने कई बार आंदोलनकारी स्टूडेंट्स को उठाने की कोशिश की।
आंदोलनकारी छात्रों ने नए नोटिफिकेशन को खारिज करते हुए कहा कि यह वांछित मकसद को पूरा नहीं करेगा क्योंकि छात्रों को ब्याज के साथ बैंक को लोन का पैसा चुकाना होगा। छात्रों ने मंगलवार शाम को साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। अगर सरकार बॉन्ड नीति को लागू करना चाहती है, तो उसे नौकरी की गारंटी भी देनी होगी और बैंक को छात्रों द्वारा हस्ताक्षरित बॉन्ड समझौते से बाहर करना होगा। 1 नवंबर से रोहतक पीजीआई कैंपस में विरोध प्रदर्शन कर रहे मेडिकल छात्रों ने कहा कि वे इंसाफ पाने के लिए कानूनी सहारा ले सकते हैं।
बता दें कि रोहतक में पिछले शनिवार को सीएम और गवर्नर का प्रोग्राम था। उनके आने से पहले शनिवार तड़के आंदोलनकारी छात्रों को पुलिस ने घेर लिया। छात्रों ने पुलिस पर उनके साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया। हालांकि पुलिस ने हिरासत में लिए गए छात्रों को बाद में रिहा कर दिया, लेकिन उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर बरकरार है।
आईएमए का समर्थन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बुधवार को हरियाणा के एमबीबीएस छात्रों के आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की।आईएमए ने कहा कि वो आंदोलनकारी छात्रों के पुलिस दमन की सख्त निन्दा करती है। आईएमए ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर से आग्रह किया है कि वो इस दिशा में सही कदम उठाएं। छात्रों को जब सरकार की बॉन्ड पॉलिसी नहीं पसंद है तो सरकार को उसे वापस ले लेना चाहिए।
Indian Medical Association (IMA) stands with the protesting doctors of Haryana and denounces the state's harshness and oppressive actions. We request Haryana CM that a constructive discourse must be established to consider the demand and that the bond system be scrapped/modified. pic.twitter.com/pskA2lGGVZ
— ANI (@ANI) November 9, 2022
हरियाणा के छात्रों के आंदोलन को आरएमएल दिल्ली, एम्स दिल्ली के अलावा रेजीडेंट डॉक्टरों के संगठन, कुछ अन्य डॉक्टरों के संगठन का समर्थन मिल चुका है। दक्षिण भारत के डॉक्टरों की संस्था ने भी उनके आंदोलन का समर्थन किया है।