क्या ख़ुदकशी के लिए उकसाने का आरोप झेल रहे विधायक गोपाल कांडा को सरकार बचा रही है? क्या सरकारी वकील जान बूझ कर मामले को लटकाए हुए हैं और सुनवाई से बच रहे हैं? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज अजय कुमार कुहार ने साफ़ शब्दों मे कह दिया है कि मामले की सुनवाई में सरकार की दिलचस्पी नहीं है।
क्या है मामला?
गोपाल कांडा के एमडीएलआर एअरलाइन्स की एअर होस्टेस गीतिका शर्मा ने 5 अगस्त 2012 को आत्महत्या कर ली। उन्होंने इसके पहले एक सुसाइड नोट लिख छोड़ा, जिसमें कांडा पर बलात्कार, यौन शोषण और आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कांडा की सहयोगी अरुणा चड्ढा पर भी गंभीर आरोप लगाए।
इन दोनों पर मुक़दमा मई 2013 में शुरू हुआ। उन आरोपों में अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध का आरोप भी जोड़ दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट ने 25 जुलाई, 2013 को बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोपों को निरस्त कर दिया। पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप पर सुनवाई शुरू हई।
नौ दिन चले ढ़ाई कोस
पर नौ दिन चले ढ़ाई कोस की तर्ज पर यह सुनवाई चल रही है। अब तक कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस ने ख़बर दी है कि विशेष जज कुहार ने निदेशक (अभियोजन) को ख़त लिख कर 3 अक्टूबर को बुलाया और उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस के 23 सितंबर को बुलाने के बावजूद वे अदालत में पैश क्यों नहीं हुए। अजय कुहार ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा :
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मुझे यह बेहद अजीब लग रहा है कि राज्य इस मामले की सुनवाई में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। ऐसा लगता है कि निदेशक (अभियोजन) ने राज्य की ओर से सुनवाई से हाथ खींच लिए हैं। इस पर जवाब देते हुए निदेशक ने कहा कि दिल्ली सरकार ने विशेष अभियोजक नियुक्त कर रखा है, ऐसे में वह अलग से किसी को नियुक्त नहीं कर सकते।
विशेष जज अजय कुमार कुहार
जज की तीखी टिप्पणी
इस पर गुस्सा हो कर अजय कुहार ने तीखी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने कहा :
- कल तीन गवाहों की सुनवाई नहीं हो सकी, क्योंकि विशेष लोक अभियोजक (सरकारी वकील) अदालत नहीं आए।
- इसके पहले 23 सितंबर को भी एक गवाह को लौटा दिया गया क्योंकि पब्लिक प्रोसेक्यूटर अदालत नहीं पहुँचे।
- इसके पहले यह रिकॉर्ड में देखा गया कि अदालत में पेश नहीं होने पर सरकारी वकील पर 5 हज़ार रुपये का ज़ुर्माना ठोक दिया गया। उन्हें इससे एक बार छूट भी दी गई।
- आज एक गवाह सुदूर हैदराबाद से दिल्ली की अदालत पहुँचा, पर आज भी सरकारी वकील नदारद थे।
इसके साथ ही जज ने दिल्ली सरकार के विशेष सचिव (गृह) को चिट्ठी लिख कर पूछा कि वह बताए कि इन स्थितियों में मुक़दमे की सुनवाई कैसे होगी।
इसके बाद 11 अक्टूबर को यह एलान किया गया कि एक नए सरकारी वकील को नियुक्त किया गया है। दिल्ली सरकार ने अतिरिक्त सरकारी वकील मनीष रावत को इस काम के लिए नियुक्त किया। इसके बाद साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग के लिए 27 और 28 अक्टूबर की तारीख तय की गई है।
इस मामले में 94 गवाह हैं, जिनमें से 12 के नाम हटा दिए गए हैं। लेकिन अब तक सिर्फ़ 45 गवाहों की सुनवाई हुई है।