हरियाणा के किसान लंबे संघर्ष की तैयारी में, MSP के बाद नेताओं की रिहाई मुख्य मांग
हरियाणा में किसान 24 घंटे से कुरुक्षेत्र के पास पीपली में जमे हुए हैं। किसानों और हरियाणा सरकार के बीच आज शाम 4 बजे हुई बैठक बेनतीजा रही। किसान बैठक छोड़कर बाहर निकल आए। किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) 44 को जाम कर दिया है। किसानों ने गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत सभी किसानों को आज मंगलवार रात 10 बजे तक छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है। किसानों ने कल बुधवार 14 जून को हरियाणा बंद का आह्वान किया है। बीकेयू (चढ़ूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह और प्रवक्ता राकेश बैंस के साथ सात अन्य शीर्ष नेता और कार्यकर्ता इस समय जेलों में हैं।
हरियाणा में किसान सूरजमुखी फसल की खरीद एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर करने की मांग कर रहे हैं। 6 जून को आंदोलन शुरू करने से पहले भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू-चढ़ूनी ग्रुप) ने हरियाणा सरकार को एमएसपी को लेकर चुनौती दी थी। 6 जून को जब आंदोलन हुआ तो किसानों ने एनएच 44 पर ही प्रदर्शन किया था। उस प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने चढ़ूनी समेत कई किसान नेताओं को गिरफ्तार कर लिया और उन पर कई केस लाद दिए।
इस घटनाक्रम के बाद किसानों ने सरकार को लगातार चेतवानी दी कि किसान नेताओं को फौरन छोड़ दिया जाए। लेकिन भाजपा नेताओं के बयान कानून अपना काम करेगा से स्थिति संभली नहीं। किसान संगठनों ने चेतावनी देने के बाद कल 12 जून से उसी एनएच 44 पर अपना आंदोलन फिर शुरू कर दिया। अब सरकार शांतिपूर्ण तरीके से बैठे किसानों को हटा नहीं पा रही है। किसान नेता राकेश टिकैत कल यहां आए थे और तब से यहीं जमे हुए हैं।
लंबा चलेगा आंदोलन
हरियाणा के किसानों का आंदोलन चल सकता है। आज मंगलवार को वहां बैठने के लिए युवा किसान पक्का प्लैटफॉर्म बनाते नजर आए। वहां बड़ा सा टेंट भी लगाया जा रहा है। आसपास के गुरुद्वारे से लंगर की व्यवस्था की गई है। मौके पर बैठे किसानों का कहना है कि वो लंबी लड़ाई लड़ने के इरादे से आए हैं। क्योंकि उन्हें मालूम है कि सरकार आसानी से समझौता नहीं करने वाली है। हालांकि हरियाणा सरकार के मंत्री रंजीत सिंह ने आज कहा कि किसानों की समस्याओं का हल जल्द निकलेगा।
#Vlog | Protesting Farmers Dig In For The Long Haul In Haryana's Kurukshetra
— NDTV (@ndtv) June 13, 2023
Tanishq Punjabi reports pic.twitter.com/IwgeeAgrUH
एमएसपी पर तनातनी
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर का कहना है कि हैफेड 4800 रुपये में (सूरजमुखी) खरीद रहा है और हम उन्हें (किसानों को) भावांतर भरपाई योजना के तहत अंतरिम सहायता के रूप में 1000 रुपये दे रहे हैं। हमने उन्हें आश्वासन दिया है कि हम (बाजार) दर देखेंगे और यह भी देखेंगे कि किसानों को एमएसपी के करीब कीमत कैसे मिल सकती है। लेकिन इस बयान को पांच दिन हो चुके हैं। सरकार इस बयान से आगे नहीं बढ़ी। हरियाणा सरकार ने एमएसपी पर सूरजमुखी की फसल नहीं खरीदे जाने पर किसानों के विरोध के मद्देनजर "अंतरिम राहत" के रूप में 8,528 सूरजमुखी किसानों के बैंक खातों में 29.13 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए।
सीएम मनोहर लाल खट्टर ने एमएसपी पर सूरजमुखी की फसल नहीं खरीदे जाने की वजह बहुत ही अजीबोगरीब बताई है। उनका कहना है कि चूंकि आसपास के राज्यों से सूरजमुखी की फसल तस्करी के जरिए हरियाणा में लाई जा रही है, इसलिए सरकार उसे एमएसपी पर नहीं खरीद सकती। खट्टर का यह तर्क किसानों के गले नहीं उतर रहा।
किसानों का कहना है कि यह एमएसपी को खत्म करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। किसानों का कहना है कि पहले, उन्होंने बाजरे पर एमएसपी देना बंद कर दिया और अब सूरजमुखी के साथ ऐसा किया जा रहा है। अगला कदम धान और गेहूं होगा, क्योंकि यह सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद के खिलाफ है।
केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए सूरजमुखी की फसल के लिए 6,400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी देने की घोषणा की थी। लेकिन हरियाणा सरकार इस रेट पर किसान से सूरजमुखी खरीद नहीं रही है। किसानों का कहना है कि सरकारी साजिश की वजह से किसानों को "निजी खरीदारों को अपनी फसल 4,000 रुपये से 4,800 रुपये में बेचने के लिए" मजबूर होना पड़ रहा है।