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हरियाणाः एक और चुनावी दांव...अग्निवीरों को नौकरियों में 10% कोटा,लोन का ऐलान

हरियाणाः एक और चुनावी दांव...अग्निवीरों को नौकरियों में 10% कोटा,लोन का ऐलान

हरियाणा में चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की भाजपा सरकार वोट पाने का हर दांव आजमा रही है। इसी सिलसिले में राज्य सरकार ने सेना से चार साल बाद ही रिटायर होने वाले अग्निवीरों के लिए नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का ऐलान किया है। जानिए इस घोषणा में और क्या क्या शामिल हैः

विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, हरियाणा में भाजपा सरकार ने बुधवार चार साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों के लिए नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की है। रिटायर्ड अग्निवीरों को हरियाणा में ये कोटा हरियाणा पुलिस कांस्टेबल, खनन गार्ड, वन गार्ड और जेल वार्डर की भर्ती में मिलेगा। हरियाणा के अलावा राजस्थान, यूपी, पंजाब, बिहार के युवक अग्निवीर स्कीम के खिलाफ खुलकर सामने आए थे। उन्होंने इस योजना को वापस लेने की मांग की थी। आम चुनाव 2024 में कांग्रेस, सपा, आरजेडी का यह चुनावी वादा भी था कि अगर केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार आई तो अग्निवीर योजना को खत्म कर दिया जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ। अब केंद्र की मोदी सरकार से ज्यादा तमाम भाजपा शासित राज्य अग्निवीर योजना को सही साबित करने के लिए तमाम करतब कर रहे हैं।

चंडीगढ़ में बुधवार को योजना की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार ने ग्रुप सी में सिविल पदों पर सीधी भर्ती में अग्निवीरों के लिए 5 फीसदी आरक्षण और ग्रुप बी में 1 फीसदी आरक्षण देने का भी निर्णय लिया है। अग्निवीरों के लिए ग्रुप बी और सी पदों पर तीन वर्षों के गैप का समय दिया जाएगा। हालांकि, अग्निवीरों के पहले बैच के लिए आयु में पांच साल की छूट होगी।”

मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि अगर कोई अग्निवीर अपना कारोबार करना चाहता है तो सरकार 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त लोन देगी। सीएम ने कहा कि अगर कोई औद्योगिक इकाई 30,000 रुपये प्रति माह से अधिक वेतन पर अग्निवीर को नियुक्त करती है, तो राज्य सरकार उस इकाई को 60,000 रुपये की वार्षिक सब्सिडी देगी। साथ ही अग्निवीरों को प्राथमिकता के आधार पर हथियारों के लाइसेंस मिलेंगे।

अग्निपथ योजना में प्रावधान है कि चार साल की सेवा पूरी होने पर, अग्निवीरों के हर विशिष्ट बैच के 25 प्रतिशत तक को सशस्त्र बलों के नियमित कैडर में लिया जाएगा। सीएपीएफ में कांस्टेबल स्तर के पदों पर अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की भी व्यवस्था है।

चार साल की नौकरी के बाद 75 फीसदी अग्निवीरों का अनिवार्य रिटायरमेंट हाल के लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन गया था। कांग्रेस सहित इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने कहा था कि अगर वे सत्ता में आए तो इस योजना को रद्द कर देंगे। अपने "हरियाणा मांगे हिसाब" अभियान के दौरान कांग्रेस फिर से इस योजना को खत्म करने की मांग कर रही है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि “जब केंद्र ने अग्निवीरों के लिए कोटा की घोषणा की, तो मैंने कहा था कि इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण पहले से ही मौजूद था। अब हरियाणा सरकार ने इसे दोहराया है। लेकिन हरियाणा के लोगों की मांग है कि अग्निपथ योजना को वापस लिया जाना चाहिए और सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले युवाओं को अपना कार्यकाल 2022 से पहले की तरह पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

अग्निपथ योजना 2022 में केंद्र द्वारा शुरू की गई थी। इसके तहत साढ़े 17 से 21 वर्ष की आयु के लोगों को चार साल की अवधि के लिए तीनों सशस्त्र बलों में सैनिक (अग्निवीर) के रूप में भर्ती किया जाता है। चार साल बाद उन्हें किसी तरह के पेंशन और अन्य लाभ नहीं मिलते हैं जो सेना से रिटायर होने वाले सैनिकों को मिलते हैं। अग्निवीरों की चार साल की सेवा अवधि पूरी होने के बाद केवल 25 फीसदी को ही उनमें से बरकरार रखा जाता है।

यह योजना युवकों को पसंद नहीं आई और देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। चार साल की सेवा के बाद छोड़ने वाले अग्निवीरों का अनिश्चित भविष्य एक बड़ा सवाल बन गया। लोकसभा चुनावों के दौरान, विपक्ष ने इस योजना को लेकर भाजपा पर अपना हमला तेज कर दिया था और यह हरियाणा और पड़ोसी राजस्थान में एक प्रमुख मुद्दा था। हरियाणा में, कांग्रेस और इनेलो ने इस योजना का विरोध किया। संसदीय चुनाव नतीजों से पता चला कि न केवल हरियाणा में बल्कि राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी इससे भाजपा को नुकसान हुआ।

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