हरिद्वार में आयोजित हुई धर्म संसद में मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रती और भड़काऊ बयानबाज़ी को लेकर दुनिया भर से प्रतिक्रिया आई है। धर्म संसद में हिंदू रक्षा सेना के अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरी, महामडंलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, यति नरसिंहानंद सरस्वती सहित कई लोगों ने ज़हरीली भाषणबाज़ी की और मुसलमानों के नरसंहार तक की बात की। धर्म संसद के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं।
अमेरिका की टेनिस स्टार रहीं मार्टिना नवरातोलिया ने धर्म संसद के कार्यक्रम का वीडियो रीट्वीट करते हुए लिखा, 'ये क्या हो रहा है?' इस वीडियो को बाइलाइन टाइम्स के पत्रकार सी जे वार्ल्मन ने ट्वीट किया था।
एशिया प्रोग्राम के उप निदेशक माइकल कुगेलमन ने ट्वीट कर लिखा है कि भारत में तीन दिन तक चले एक कार्यक्रम में भड़काऊ बयानबाज़ी की गई और सरकार इस पर पूरी तरह चुप है।
पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर ने कहा है कि इस कार्यक्रम में एक महिला खुलकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा को भड़का रही है और यह हिटलर की फ़ीमेल वर्जन है। मीर ने कहा कि इस महिला ने मोहम्मद अली जिन्ना को भी सही साबित कर दिया है।
विदेशी अख़बारों ने दी प्रतिक्रिया
अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने धर्म संसद को लेकर लिखा है कि हिंदू कट्टरपंथियों ने मुसलमानों की हत्या का आह्वान किया लेकिन भारत के नेता चुप हैं और यह भारत में बढ़ रहे मुसलिम विरोधी विचारों को दिखाता है।
अल-ज़जीरा लिखता है कि भारत में हिंदू संगठनों का एक कार्यक्रम हुआ जिसमें मुसलमानों के नरसंहार की बात कही गई।
ब्लूमबर्ग के साथ ही पाकिस्तानी अंग्रेजी अख़बारों ने भी धर्म संसद में हुई ज़हरीली बयानबाज़ी को रिपोर्ट किया है।
मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केनेथ रोथ ने भी इस घटना की ख़बर को ट्वीट किया है।
सेना, नेवी के पूर्व प्रमुख भड़के
भारत में भी धर्म संसद के ख़िलाफ़ तीख़ी प्रतिक्रिया हुई है। पूर्व नेवी चीफ़ रिटायर्ड अरुण प्रकाश ने धर्म संसद को लेकर सवाल पूछा है कि क्या हम सांप्रदायिक खूनी खेल खेलना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि इसे रोका क्यों नहीं जा रहा है। अरुण प्रकाश 1971 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ हुई जंग के हीरो रहे हैं। उनके इस बयान के समर्थन में पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक भी आगे आए हैं।
मलिक ने कहा कि इस तरह के भाषण सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डालते हैं। मलिक ने कहा कि इस मामले में कार्रवाई की जानी चाहिए। मलिक 1999 में कारगिल युद्ध के वक़्त सेना के प्रमुख थे।
निश्चित रूप से इस धर्म संसद की वजह से भारत की दुनिया भर में बदनामी हुई है। लेकिन धर्म संसद में फैलाई गई नफ़रत के वीडियो उपलब्ध होने के बावजूद अभी तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।
पुलिस ने इस मामले में सिर्फ़ एक नामजद शख़्स के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। इससे साफ दिखता है कि ज़हर फैलाने वाले जानते थे कि उनका कोई बाल भी बांका नहीं करेगा इसलिए उन्होंने जमकर ज़हर उगला और बाक़ायदा इसके वीडियो को भी दुनिया तक पहुंचने दिया।