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क्या पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनेंगे मुख्तार अब्बास नक़वी? 

क्या पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनेंगे मुख्तार अब्बास नक़वी? 

मुख्तार अब्बास नक़वी की अगली भूमिका क्या होगी, इस सवाल की जोरदार चर्चा राजनीतिक गलियारों में है। 

पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी क्या पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बन सकते हैं। उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी के सांसद हंसराज हंस के एक ट्वीट के बाद इस तरह की अटकलों ने जोर पकड़ा है। हालांकि थोड़ी देर में हंसराज हंस ने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया लेकिन इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

मुख्तार अब्बास नक़वी को बीजेपी ने इस बार राज्यसभा में नहीं भेजा था और इस वजह से उन्हें केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके बाद इस तरह की चर्चा जोरों पर थी कि बीजेपी उन्हें उप राष्ट्रपति के चुनाव में एनडीए का उम्मीदवार बना सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

उससे पहले उन्हें रामपुर लोकसभा के उप चुनाव में उतारे जाने की चर्चा थी लेकिन तब पार्टी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया।

क्या कहा था ट्वीट में?

हंसराज हंस ने अपने ट्वीट में कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा मुख्तार अब्बास नक़वी जी को बंगाल का नया राज्यपाल बनाए जाने पर बधाई। थोड़ी देर में ही यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इन अटकलों ने जोर पकड़ लिया कि मुख्तार अब्बास नक़वी बंगाल के अगले राज्यपाल बनने जा रहे हैं। लेकिन हंसराज हंस ने थोड़ी देर में ट्वीट डिलीट कर दिया। 

 - Satya Hindi

मुखर नेता हैं नक़वी

अब राजनीतिक विश्लेषकों का सवाल यही है कि मुख्तार अब्बास नक़वी को बीजेपी में क्या जिम्मेदारी मिलेगी। मुख्तार अब्बास नक़वी बीजेपी के उन चंद नेताओं में हैं जो पार्टी और सरकार का पक्ष मीडिया के सामने बीते कई सालों से मजबूती से रखते रहे हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में रहने से पहले वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। 

देखना होगा कि मोदी सरकार क्या मुख्तार अब्बास नक़वी को पश्चिम बंगाल या किसी अन्य में राज्यपाल पद की जिम्मेदारी देती है या फिर बीजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें संगठन का काम करने के लिए भेजेगी। 

रामपुर में राजनीतिक सक्रियता 

हालांकि मुख्तार अब्बास नक़वी रहने वाले तो प्रयागराज के हैं लेकिन उन्होंने अपना राजनीतिक कर्मक्षेत्र रामपुर को बनाया। वह रामपुर में राजनीतिक रूप से लगातार सक्रिय रहे हैं। वह यहां से 1998 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन 1999 और 2009 में उन्हें यहां हार भी मिली थी। उसके बाद पार्टी ने नक़वी को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौक़ा नहीं दिया। 2014 में मोदी सरकार के बनने के बाद नक़वी को केंद्र सरकार में जिम्मेदारी मिली और वह कई साल तक मंत्री के पद पर रहे।

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