ब्राह्मणों के लिए अपशब्द का इस्तेमाल कर बुरे फंसे मांझी
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ब्राह्मणों के लिए अपशब्द कहने के बाद विवादों में फंस गए हैं। हालांकि उन्होंने इस पर खेद जताया और यह भी कहा कि उन्होंने यह बात ब्राह्मणों के लिए नहीं, बल्कि अपनी जाति यानी दलितों के लिए कही थी।
लेकिन यह सवाल तो उठता ही है कि किसी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल क्यों करेंगे, वह दलित हो या सवर्ण। यह सवाल अहम इसलिए भी है कि वे बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और मौजूदा दौर में भी बड़े नेता हैं, एक राजनीतिक दल के प्रमुख हैं।
मांझी ने भुइयां-मुसहर समुदायों के एक कार्यक्रम में कहा, "आजकल धर्म के प्रति आस्था गरीब तबके में ज़्यादा देखी जा रही है। हम अब तक भगवान सत्यनारायण का नाम नहीं जानते थे या उनकी पूजा नहीं करते थे।"
उन्होंने इसके आगे कहा,
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अब हम हर टोले में सत्यनारायण की पूजा करते हैं। उन्हें शर्म नहीं आती कि उनके घर ब्राह्मण आते हैं और कहते हैं कि हम तुम्हारे घर में कुछ नहीं खाएंगे पर पैसे लेकर चले जाते हैं।
जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
मांझी की सफाई
उन्होंने ब्राह्मणों के लिए एक अपशब्द का प्रयोग किया था, जिससे हम यहां जानबूझ कर बच रहे हैं।
बाद में उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने इस शब्द का प्रयोग अपने ही समुदाय यानी दलितों के लिए किया था, ब्राह्मणों के लिए नहीं। उन्होंने इसके बावजूद माफ़ी माँगी।
उन्होंने कहा,
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मैंने इस शब्द का प्रयोग दलितों के लिए इसलिए किया था कि उनमें आत्मसम्मान का भाव पैदा हो।
जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार
राजनीतिक प्रतिक्रिया
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के नेता के इस बयान पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं। राष्ट्रीय जनता दल के नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा,
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आरएसएस व बीजेपी की गोद में बैठने के कारण मांझी की भाषा भी उनकी जैसी ही हो गई है। उन्होंने ब्राह्मणों के लिए जिस शब्द का प्रयोग किया है, उसे न तो उचित ठहराया जा सकता है न ही इसके लिए उन्हें क्षमा किया जा सकता है।
मृत्युंजय तिवारी, नेता, राष्ट्रीय जनता दल
माझी का यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उनकी पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिज़वान ने मामले को संभालने की कोशिश की और कहा कि मांझी की बात को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा, "मांझी हर जाति व समुदाय का सम्मान करते हैं। उन्होंने तो सिर्फ यह कहा है कि दलित ब्राह्मणों को अपने घर बुलाते हैं, वे दलितों के घर खाना नहीं खाते, इसके बावजूद ये दलित उन्हें अपने यहां आमंत्रित करते हैं।"
काश दलितों को पीटे जाने पर,उठक-बैठक कराए जाने पर,दलितों की हत्या किए जाने जैसे मामलों पर भी ऐसी ही राजनैतिक बयानबाजी होती।
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) December 19, 2021
दलितों को अपमानित किए जाने के मामलों पर सभी तथाकथित राजनेताओं/कार्यकर्ताओं की घिघ्घी बंध जाती है पर झूठे वॉयरल विडियो पर सब एक साथ बिल से बाहर निकल जातें हैं
लेकिन खुद जीतन राम मांझी ने इस मुद्दे पर पलटवार किया है और सवाल उठाया है कि जब दलितों को अपमानित किया जाता है और उनके ख़िलाफ़ अपमानसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है तो इस तरह की प्रतिक्रिया क्यों नहीं होती है, लोग क्यों चुप रहते हैं।
लेकिन अहम सवाल तो यह है कि कोई किसी भी जाति के ख़िलाफ़ अपशब्दों का इस्तेमाल क्यों करे?