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बेरोजगारी को मुद्दा बनाएंगे युवा, निकालेंगे 'हल्ला बोल यात्रा'

बेरोजगारी को मुद्दा बनाएंगे युवा, निकालेंगे 'हल्ला बोल यात्रा'

बेरोज़गारी के खिलाफ 'हल्ला बोल यात्रा'  कब से कब तक चलेगी, कहां से शुरू होगी और कहां पर खत्म होगी?

देशभर में बेरोज़गारी के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व कर रहे 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने बिहार को लेकर बड़ी घोषणा की है। राजधानी पटना स्थित गाँधी संग्रहालय में आयोजित प्रेस वार्ता में अनुपम ने बताया कि 16 अगस्त से 23 सितंबर तक बेरोज़गारी के खिलाफ 'हल्लाबोल यात्रा' होगी। महात्मा गाँधी की कर्मभूमि चंपारण से यात्रा की शुरुआत के बाद 23 सितंबर को पटना में सम्मेलन के साथ यात्रा का समापन होगा। 23 सितंबर को कवि रामधारी सिंह दिनकर की जयंती भी है। 

इस अवसर पर 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय नेता प्रशांत कमल और हिमांशु तिवारी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस यात्रा को बिहार की ज़रूरत बताते हुए 'युवा हल्ला बोल' के राष्ट्रीय महासचिव प्रशांत कमल ने कहा कि हर नागरिक को अब बेरोज़गारी के विरुद्ध हल्लाबोल करना होगा। 

युवा नेता हिमांशु तिवारी ने कहा कि देश अब किसान आंदोलन के बाद एक व्यापक युवा आंदोलन के लिए तैयार हो रहा है जो राजनीति को भी प्रभावित करेगा। 

'हल्लाबोल यात्रा' को बिहार आंदोलन में अहम भूमिका निभा चुके जेपी सेनानियों, गाँधीवादी समूहों और ट्रेड यूनियनों का साथ भी मिल रहा है। वक्ताओं ने कहा कि देश को बेरोज़गारी जैसे गंभीर संकट से निकालने के लिए लोगों को जनांदोलन के लिए तैयार करना ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।

अनुपम ने बताया कि सरकार की विफलताओं और वादाखिलाफी के कारण बेरोज़गारी का मुद्दा आज जीवन मरण का सवाल बन चुका है। आए दिन बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या की खबरें मिल रही हैं जो युवाओं में व्याप्त घोर हताशा का प्रमाण है। हर साल दो करोड़ रोज़गार का वादा करके सत्ता में आयी मोदी सरकार में करोड़ों रोज़गार नष्ट हो गए। 

अनुपम ने कहा कि लोकसभा में प्रस्तुत आँकड़ों के अनुसार पिछले 8 साल में मात्र 7.22 लाख सरकारी नौकरियां दी गयीं। जबकि बेरोज़गारी का आलम ऐसा है कि इस दौरान 22 करोड़ से भी ज़्यादा युवाओं ने नौकरी के लिए आवेदन दिया।

अनुपम ने कहा कि सबसे कमाल की बात यह है कि जो सरकार 8 साल में 8 लाख नौकरी भी नहीं दे पायी, वो अब अगले डेढ़ साल में दस लाख नौकरी देने का वादा कर रही है।

अनुपम ने कहा कि इस तरह की झाँसेबाजी के कारण ही आम नागरिकों का सरकार से भरोसा उठता जा रहा है। सच ये है कि युवाओं से किया इनका हर वादा जुमला साबित हुआ है। देश का बेरोज़गार युवा अब चीख-चीख कर कह रहा है कि हमें जॉब चाहिए, जुमला नहीं। इन विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए अब देश को समाधान की दिशा में ले जाने की ज़रूरत है। क्योंकि युवाओं में व्याप्त गहरा असंतोष अब आक्रोश का रूप लेता जा रहा है। 

 - Satya Hindi

वक्ताओं ने कहा कि ज़रूरत है इस आक्रोश को एक सकारात्मक दिशा देने की। ऐसा तभी संभव है जब बेरोज़गारी के खिलाफ व्यापक युवा आंदोलन हो। हर युवा की ज़ुबान पर अब एक ही नारा होना चाहिए कि "आत्महत्या नहीं, आंदोलन होगा।"

इसी उद्देश्य को लेकर 16 अगस्त से बिहार में प्रदेशव्यापी 'हल्लाबोल यात्रा' की शुरुआत होगी। इस दौरान बिहार के सभी जिलों में जाकर सभाओं के जरिए आंदोलन के लिए जनजागरण का कार्य किया जाएगा और स्थानीय टीमों का गठन किया जाएगा। 'हल्लाबोल यात्रा' में देश के कई युवा नेता भी शिरकत करेंगे। 

'हल्लाबोल यात्रा' से संबंधित सूचनाओं के लिए और यात्रा से जुड़ने के लिए हेल्पलाइन नंबर 9810408888 भी जारी किया गया है।

8 साल में सिर्फ 7.22 लाख सरकारी नौकरियों की बात सामने आने के बाद निश्चित रूप से मोदी सरकार पर सवाल खड़े हुए हैं। बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है जबकि बीजेपी ने 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। इससे पहले भी बेरोजगारी के खिलाफ सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक जोरदार आवाज उठ चुकी है। 

देखना होगा कि इस बार जब बिहार में युवा बेरोजगारी के खिलाफ हल्ला बोल करेंगे तो देखना होगा कि क्या बेरोजगारी एक राष्ट्रीय मुद्दा बनेगी। 

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