भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने शनिवार को वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में अपना सर्वे फिर से शुरू कर दिया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि 17 वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर खंडहर पर किया गया था या नहीं।
सरकारी वकील राजेश मिश्रा, जो एक दिन पहले दिन भर चले अभ्यास के दौरान एएसआई सर्वे टीम के साथ थे, ने शनिवार को कहा कि टीम ने सुबह काम शुरू किया और यह शाम 5 बजे खत्म होगा। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता भी ज्ञानवापी पहुंचे। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने पहले सर्वे का बहिष्कार किया था।
हिन्दू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा- "शनिवार सर्वे का दूसरा दिन है...हम चाहते हैं कि लोग सर्वेक्षण में सहयोग करें और इसे जल्द से जल्द पूरा करें...हम पूर्ण सहयोग और भागीदारी दिखा रहे हैं। हम चाहते हैं कि मामला जल्द सुलझ जाए...सर्वे से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा।''
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वेक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह "अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा"।
भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने हालांकि, एएसआई से सर्वे के दौरान कोई आक्रामक काम नहीं करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने उस जगह खुदाई को बात को खारिज कर दिया, जिसे वाराणसी अदालत ने कहा था कि यदि आवश्यक हो तो की जा सकती है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी एएसआई टीम द्वारा 21 जुलाई को वाराणसी जिला अदालत द्वारा दिए गए विस्तृत वैज्ञानिक सर्वे को फिर से शुरू करने के कुछ ही घंटों बाद आई।
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने गुरुवार को उसकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद कमेटी ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
शुक्रवार को, वाराणसी अदालत ने एएसआई को सर्वे पूरा करने के लिए एक अतिरिक्त महीने का समय भी दिया, इसकी मूल समय सीमा शुक्रवार से बढ़ाकर 4 सितंबर कर दी।
शुक्रवार को 41 सदस्यीय टीम ने ज्ञानवापी परिसर के सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर बैरिकेडिंग वाले क्षेत्र की माप, फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की थी। टीम ने निरीक्षण किया और सबूत जमा किये और एक कागज़ पर एक नक्शा तैयार किया। उन्होंने खंभों की भी जांच की।
शनिवार को टीम मस्जिद परिसर में सील किए गए क्षेत्र को छोड़कर तीनों गुंबदों और अन्य हिस्सों के नीचे सर्वे कर रही है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
ज्ञानवापी सर्वे के बीच, ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि ऐतिहासिक अयोध्या फैसले में पूजा स्थल अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना नहीं होनी चाहिए। ओवैसी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद "न तो 23 दिसंबर और न ही 6 दिसंबर" की घटनाएं दोहराई जाएंगी।
ओवैसी द्वारा उल्लेख की गईं तारीखें उस समय के संदर्भ में हैं, जब माना जाता है कि राम लला की मूर्ति 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर "प्रकट" हुई थी और 1992 में कार सेवकों द्वारा मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। ओवैसी ने शनिवार को कहा कि “एक बार जब ज्ञानवापी पर एएसआई रिपोर्ट सार्वजनिक हो जाएगी, तो कौन जानता है कि चीजें कैसे आगे बढ़ेंगी। उम्मीद है कि न तो 23 दिसंबर और न ही 6 दिसंबर की पुनरावृत्ति होगी।'' ओवैसी ने कहा- “अयोध्या फैसले में पूजा स्थल अधिनियम की पवित्रता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का अनादर नहीं किया जाना चाहिए। उम्मीद यह है कि एक हजार बाबरियों के लिए द्वार नहीं खोले जाएंगे।''