गुजरात में नरेंद्र मोदी के अलावा कोई भी बीजेपी का मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है? न तो नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले और न ही उनके मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद। उनके 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद दो मुख्यमंत्री हटाए जा चुके हैं और अब तीसरे नये मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो गई है। चौंकाने वाला तथ्य यह है कि पहले जहाँ बीजेपी में अंदरुनी क़लह से बीजेपी के मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे वहीं 2014 के बाद जो दो मुख्यमंत्री बदले गए उनके बारे में अंदरुनी क़लह जैसी ख़बरें नहीं आईं।
विजय रूपाणी गुजरात के बीजेपी के उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हो गए जिन्होंने पाँच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। गुजरात में नरेन्द्र मोदी के अलावा हर बार चुनाव से पहले मुख्यमंत्री को बदला गया।
गुजरात में बीजेपी ने पहली बार 1995 में सरकार बनाई थी। तब केशूभाई पटेल बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बनाए गए थे, लेकिन केशूभाई के ख़िलाफ अंसतोष होने से पार्टी को अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा और सिर्फ़ 221 दिन बाद ही सुरेश मेहता ने सत्ता संभाली। उस वक़्त शंकर सिंह वाघेला गुट वाघेला को सीएम बनाने की मांग कर रहा था, लेकिन पार्टी ने वाघेला के बजाय मेहता को ज़िम्मेदारी सौंपी। यह ज़्यादा दिन नहीं चल पाया। एक साल के भीतर ही वाघेला अलग हो गए और राज्य में बीजेपी की सरकार गिर गई। मध्य प्रदेश के खजुराहो में वाघेला ने अपने समर्थकों के साथ अपनी ताक़त दिखाई। फिर वाघेला मुख्यमंत्री बन तो गए, लेकिन वह भी ज़्यादा नहीं चल पाए थे।
उस वक़्त वाघेला की सरकार गिरने के बाद प्रदेश में 1998 में मध्यावधि चुनाव हुए। चुनाव में फिर से बीजेपी को 117 सीटों के साथ जीत मिली और केशूभाई फिर से मुख्यमंत्री बनाए गए, लेकिन इस बार भी केशूभाई अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। गुजरात में भूकंप के दौरान सरकार के कमज़ोर प्रदर्शन के बाद उनके ख़िलाफ़ नाराज़गी इतन बढ़ गई कि उनको हटा दिया गया। तभी नरेंद्र मोदी गुजरात की राजनीति में पहुँचते हैं।
केन्द्रीय नेतृत्व ने तब नरेन्द्र मोदी को गुजरात भेजा और 7 अक्टूबर 2001 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद 2002, 2007 और 2012 के चुनाव मोदी के नेतृत्व में ही लड़े गए।
फिर 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वहाँ आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा करतीं उससे पहले उन्हें हटना पड़ा। उन्हें भी अगला चुनाव लड़ने का मौक़ा नहीं मिला और 2017 के चुनाव से पहले आनंदी बेन की जगह अगस्त 2016 में विजय रूपाणी को ज़िम्मेदारी मिली।
2017 का चुनाव बीजेपी ने रूपाणी के नेतृत्व में लड़ा, लेकिन उसे सिर्फ़ 99 सीटें मिलीं। 182 सीटों की विधानसभा में यह अब तक का बीजेपी का सबसे कमजोर प्रदर्शन था। फिर 2019 और 2020 में कोविड के दौरान रूपाणी सरकार के कामकाज की खासी आलोचना हुई और 2022 के चुनावों से पहले बीजेपी ने रूपाणी को हटाने का फ़ैसला किया।
बीजेपी ने छह माह में 4 राज्यों के 5 मुख्यमंत्री बदले
वैसे, विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने अब कई राज्यों में मुख्यमंत्री बदलने शुरू कर दिए हैं। हाल में तो एक नया ही रुझान देखने को मिल रहा है। पिछले छह महीनों में पार्टी ने चार राज्यों में पाँच चेहरे बदले हैं। गुजरात में विजय रूपाणी के अलावा कर्नाटक में येदियुरप्पा और उत्तराखंड में पहले त्रिवेन्द्र सिंह रावत और फिर तीरथ सिंह को बदल दिया। इस बीच असम में सर्बानंद सोनोवाल के बजाय चुनावों के बाद हिमंत बिस्व सरमा को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया गया।