गुजरात की एक अदालत ने सोमवार को स्वयंभू संत आसाराम को 2013 के एक यौन उत्पीड़न मामले में दोषी ठहराया है। आसाराम को आज दोषी करार देने वाली गांधीनगर की सत्र अदालत मंगलवार को मामले में सजा सुनाएगी। आसाराम पर सूरत की एक महिला ने लगभग 10 साल पहले अहमदाबाद के मोटेरा में उनके आश्रम में बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
आसाराम का बेटा नारायण साईं भी इस मामले में आरोपी था। मामले में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी, बेटी भारती और चार महिला अनुयायियों- ध्रुवबेन, निर्मला, जस्सी और मीरा को भी आरोपी बनाया गया था। इन सभी को गांधीनगर की कोर्ट ने बरी कर दिया था।
सूरत की एक महिला ने आसाराम बापू और सात अन्य के ख़िलाफ़ बलात्कार और अवैध कारावास का मामला दर्ज किया था, जिनमें से एक की अक्टूबर 2013 में सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। जुलाई 2014 में चार्जशीट दायर की गई थी।
आसाराम पर बंधक बनाने, यौन उत्पीड़न, मानव तस्करी, बलात्कार, आपराधिक धमकी, और आपराधिक साजिश के तहत आरोप लगाए गए थे। अहमदाबाद के चांदखेड़ा पुलिस थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, आसाराम ने 2001 से 2006 के बीच उस महिला से कथित तौर पर कई बार बलात्कार किया था।
बहरहाल, आसाराम इस समय जोधपुर की एक जेल में बंद हैं। 2018 में जोधपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें एक अलग यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराया और जेल की सजा सुनाई। उन्हें 2013 में अपने जोधपुर आश्रम में एक 16 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार करने का दोषी पाया गया था।
उस समय आसाराम को यौन अपराधों के तहत बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम और किशोर न्याय (जेजे) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।
आसाराम को अगस्त 2013 में इंदौर से गिरफ्तार किया गया था और सितंबर 2013 में जोधपुर ले जाया गया था।