गुजरात के राजकोट में एक दलित युवक की मौत के बाद पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। मृत युवक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस हिरासत में उसे प्रताड़ित किया गया था जिसके कारण उसकी मौत हो गई है। एक तरफ इस मामले में राजनीति तेज हो गई है तो दूसरी तरफ पुलिस के वरीय अधिकारी मामले की जांच और दोषियों पर उचित कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि रविवार देर रात अपने पड़ोस में हुए एक झगड़े में बीच-बचाव करने गए एक युवक को पुलिस ने पकड़ा था। उसे पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। रिपोर्ट कहती है कि पुलिस द्वारा उठाए उस दलित व्यक्ति की मंगलवार को राजकोट के एक अस्पताल में मौत हो गई।
अब उसके परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा प्रताड़ित किए जाने के बाद उसकी मौत हो गई। परिवार ने तब तक शव लेने से इनकार कर दिया जब तक कि घटना में कथित रूप से शामिल पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता। वहीं दलित नेता और कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि राजकोट के व्यक्ति की पुलिस हिरासत में "हत्या" की गई है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि राजकोट के अंबेडकरनगर निवासी दिहाड़ी मजदूर हमीर उर्फ गोपाल राठौड़ की शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। रविवार की रात 11 बजे के आसपास मालवीय नगर पुलिस की एक टीम द्वारा उठाए जाने के दो दिन से भी कम समय बाद उनकी मृत्यु हो गई।
इस बीच, राजकोट के पुलिस आयुक्त राजू भार्गव ने कहा कि घटना में शामिल पुलिसकर्मियों की पहचान कर ली गई है और दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। आरोप यह है कि उसे पीटा गया, फिर वह कोमा में चला गया और मर गया।
उन्होंने कहा कि हमीर, जो लगभग 30 वर्ष का था, कुछ बीमारियों से भी जूझ रहा था। उसे गुर्दे से जुड़ी समस्याएं थी साथ ही लंबे समय से उसे मुधमेह भी था। हम उनकी पोस्टमॉर्टम जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं।
मृत युवक की पत्नी ने दर्ज करवाई एफआईआर
इस मामले में हमीर की पत्नी गीता ने एक एफआईआर दर्ज करवाई है। गीता ने अपनी शिकायत में कहा कि अंबेडकरनगर से सटे खोडियारनगर में रहने वाले राजू सोलंकी नाम के शख्स का रविवार रात अपने पड़ोसी से झगड़ा हो गया था।राजू का बेटा जयेश हमीर के घर आया और कहा कि उसके पड़ोसी ने पुलिस को बुलाया है। जयेश ने हमीर से कहा कि अगर वह हस्तक्षेप करे तो मामला सुलझ सकता है। अत: हमीर जयेश के साथ चला गया।लगभग 15 मिनट बाद, मेरे बेटे अरमान ने मुझे बताया कि एक पुलिस वाहन आया था और उन्होंने उसके पिता की पिटाई की, उन्हें वाहन में धकेल दिया और लेकर चले गए।
एफआईआर में कहा गया है कि गीता की सास केशर ने अपने पड़ोसी नानजीभाई को घटना के बारे में सूचित किया और वह मालवीय नगर पुलिस स्टेशन गए और सोमवार को लगभग 1 बजे हमीर को अपने स्कूटर पर घर ले आए।एफआईआर में गीता ने कहा कि जब हमीर घर आया तो वह आंशिक रूप से कोमा में लग रहा था और कुछ देर बाद ही सो गया।
गीता ने इसमें कहा है कि, मेरे पति को जल्दी उठने की आदत थी लेकिन वह (सोमवार की सुबह) नहीं उठे। जब मैंने उसे जगाने की कोशिश की तो वह नहीं उठा। उसकी तबीयत खराब लग रही थी और उसने अपनी पतलून गीली कर ली थी। उसके कपड़े बदलते समय मैंने उसके शरीर पर पिटाई के कारण लगी चोटों के निशान देखे।
हमीर के बड़े भाई हरेश उसे एक निजी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टरों ने परिवार को बताया कि प्रथम दृष्टया, उसे ब्रेन हैमरेज हुआ है। गीता की शिकायत के आधार पर, मंगलवार तड़के मालवीय नगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि बाद में दिन में, हमीर के शव को शहर में राज्य सरकार द्वारा संचालित सिविल अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। दलितों की भीड़ अस्पताल में जमा हो गई। भीड़ का कहना था कि जब तक आरोपी पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जाता तब तक वे शव को नहीं लेंगे। पोस्टमार्टम के बाद देर शाम तक दलित समाज के लोग राजकोट सिविल अस्पताल के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे।
जिग्नेश मेवाणी ने इसे हिरासत में हुई हत्या कहा
इस बीच, दलित नेता और वडगाम विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि राठौड़ की पुलिस ने हत्या की है। मेवाणी ने अपने आधिकारिक 'एक्स' अकाउंट पर कहा है कि 'यह हिरासत में हुई हत्या है जिसमें गुजरात देश में शीर्ष पर है।'उन्होंने यह भी कहा कि राठौड़ के परिजन तब तक पीड़ित के शव पर दावा नहीं करेंगे, जब तक कि वर्तमान में राज्य रिजर्व पुलिस बल के राजकोट-मुख्यालय समूह 13 के कमांडेंट के रूप में तैनात आईपीएस अधिकारी सुधा पांडे को मामले की जांच नहीं सौंपी जाती।
हम मांग करते हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों के बजाय… ऐसे अधिकारियों को जांच सौंपी जाए जिनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। मैं आईपीएस अधिकारी सुधा पांडे की अध्यक्षता में जांच की मांग करता हूं। जब तक सुधा जी को जांच नहीं सौंपी जाती तब तक पीड़ित का परिवार उसके शव पर दावा नहीं करेगा।