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गुजरात: रथयात्रा में सबसे आगे 'सनातनी बुलडोजर' क्यों? 

गुजरात: रथयात्रा में सबसे आगे 'सनातनी बुलडोजर' क्यों? 

गुजरात के राजकोट शहर में जब भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकली तो वहाँ नया प्रयोग किया गया। बुलडोजर के साथ। जानिए, आयोजकों ने रथयात्रा के आगे बुलडोजर क्यों रखा।

राजकोट के नाना मावा इलाक़े में जब जगन्नाथ मंदिर से मंगलवार को रथयात्रा निकली तो इस बार कुछ नया था। रथयात्रा के सबसे आगे एक बुलडोजर चल रहा था। बुलडोजर के सबसे अगले हिस्से पर बड़ा बैनर तना था और जिसपर लिखा था- 'सनातनी बुलडोजर'। उस पर मंदिर की तस्वीर थी।

तो सवाल है कि आख़िर धार्मिक आयोजन में बुलडोजर का क्या काम? या फिर रथयात्रा में बुलडोजर की क्या ज़रूरत थी? क्या बैनर को साथ ले चलने के लिए? यह काम तो दो श्रद्धालु भी कर सकते थे। बैनर पर लिखा शब्द भी काफी रोचक था- 'सनातनी बुलडोजर'। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस सवाल के जवाब में आयोजकों ने कहा है कि बुलडोजर को 'सनातन धर्म की रक्षा के लिए' धार्मिक शोभायात्रा में शामिल किया गया था।

रिपोर्ट के अनुसार शहर के नाना मावा रोड स्थित मंदिर से सुबह साढ़े नौ बजे यात्रा शुरू होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की। धार्मिक जुलूस में भगवान जगन्नाथ या भगवान कृष्ण, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को रथों में रखा जाता है और शहर के चारों ओर घुमाया जाता है।

वैसे, बुलडोजर पिछले दो सालों से इसलिए काफी चर्चा में रहा है क्योंकि अपराधियों पर कार्रवाई के तहत बुलडोजर का इस्तेमाल कर अपराध में शामिल आरोपियों के घर तोड़े जाते रहे हैं। चाहे वह उत्तर प्रदेश की सरकार हो या मध्य प्रदेश की, इसका इस्तेमाल भाजपा शासित राज्यों ने आपराधिक मामलों में दर्ज लोगों के घरों को तोड़ने में किया है।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार द्वारा 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान ऐसे कार्यों के लिए बुलडोजर का उपयोग शुरू किया गया था। इसके बाद बुलडोजर विध्वंस का प्रतीक बन गया है। आरोप लगाया जाता है कि बुलडोजर का इस्तेमाल खासकर अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय से जुड़े घरों और प्रतिष्ठानों पर किया जाता रहा है। 

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार गुजरात सरकार ने हाल ही में बेट द्वारका द्वीप और गांधीवी फिशिंग बंदरगाह में अल्पसंख्यक समुदायों के सैकड़ों घरों और अन्य संरचनाओं को धराशायी करने के लिए ऐसी मशीनों का उपयोग किया था। पिछले साल कच्छ जिले के जखाऊ बंदरगाह में 400 से अधिक संरचनाएं, जिनमें से कुछ अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित थीं, ढहा दी गई थीं।

रिपोर्ट के अनुसार जगन्नाथ मंदिर की रथयात्रा के आयोजन के लिए अग्रणी स्वयंसेवकों में शामिल एक स्थानीय भाजपा कार्यकर्ता राजू जुंजा ने कहा कि एकता का संदेश देने के लिए बुलडोजर को काफिले में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा, 'इस साल एक सनातनी बुलडोजर रथ यात्रा में शामिल हुआ। हिंदुओं को विभिन्न संप्रदायों में बांटा गया है और उन्हें एक छतरी के नीचे एकजुट होने का संदेश देने के लिए हमने इस बार यात्रा में एक बुलडोजर को शामिल किया है।'

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