+
मोरबी हादसे के 3 माह बाद ओरेवा प्रमुख के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट

मोरबी हादसे के 3 माह बाद ओरेवा प्रमुख के ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी वारंट

गुजरात के मोरबी में जिस पुल हादसे में सवा सौ से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी उस ब्रिज की मरम्मत करने वाली कंपनी पर कार्रवाई में इतनी देरी क्यों?

गुजरात के मोरबी में पुल हादसे के क़रीब तीन महीने बाद पुल की मरम्मत करने के लिए ज़िम्मेदार कंपनी के प्रमुख पर कार्रवाई की गई है। पुल हादसे में 130 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। पुल की मरम्मत के चार दिन बाद ही हादसा हो गया था। हादसे के लिए मरम्मत करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप पर लापरवाही बरतने के आरोप लगे थे। अब पुलिस ने इसी ओरेवा ग्रुप के प्रमोटर और अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।

जयसुख पटेल घटना के बाद से लापता हैं। इस मामले में उनको आरोपी के रूप में नामित किया गया है। अजंता ब्रांड के तहत दीवार घड़ियाँ बनाने के लिए जानी जाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मच्छू नदी पर 100 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज के नवीनीकरण, संचालन और रखरखाव के लिए ठेका दिया गया था।

मोरबी में ब्रिटिश काल का पुल पिछले साल मार्च से नवीनीकरण के लिए बंद था। 26 अक्टूबर को ही इसे खोला गया था। लेकिन जनता के लिए फिर से खुलने के ठीक चार दिन बाद यह टूट गया। इस हादसे में 130 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। अधिकारियों के मुताबिक़ मरने वालों में कम से कम 47 बच्चे, कई महिलाएँ और बुजुर्ग शामिल हैं। दस्तावेजों से पता चलता है कि पुल को समय से पांच महीने पहले जनता के लिए खोल दिया गया था। पुल का नवीनीकरण करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप ने पुल खोलने से पहले नागरिक अधिकारियों से फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं लिया। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इसकी पुष्टि मोरबी नगरपालिका एजेंसी के प्रमुख संदीपसिंह झाला ने की है। 

कंपनी रखरखाव और मरम्मत के लिए पुल को कम से कम आठ से 12 महीने तक बंद रखने के अपने अनुबंध से बाध्य थी। पुलिस ने एक प्राथमिकी में कहा कि पुल को खोलना गंभीर रूप से गैर जिम्मेदार और लापरवाह संकेत था।

नवंबर महीने में गुजरात हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने हादसे के मामले में स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को और राज्य के मानवाधिकार आयोग को नोटिस भी जारी किया। उसने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी थी। 

बाद की सुनवाई में हाईकोर्ट ने मोरबी नगरपालिका को फटकार लगाते हुए ओरेवा ग्रुप की कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग को ब्रिज की मरम्मत का ठेका दिए जाने पर सवाल उठाया था।

इसी मामले में निचली अदालत में सुनवाई के दौरान ओरेवा कंपनी के मैनेजर्स में से एक दीपक पारेख ने एक स्थानीय अदालत से कहा था कि यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मैनेजर ने यह बात चीफ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट और एडिशनल सीनियर सिविल जज एमजे खान की अदालत से कही थी। दीपक पारेख ओरेवा कंपनी के उन 9 लोगों में शामिल हैं जिन्हें इस सस्पेंशन ब्रिज के गिरने के बाद गिरफ्तार किया गया था। पारेख ने अदालत से कहा, 'कंपनी के प्रबंध निदेशक से लेकर नीचे स्तर के कर्मचारियों तक सभी ने बहुत मेहनत की, लेकिन यह भगवान की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।'

गुजरात में बीजेपी सरकार को हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक रूप से प्रभावशाली उद्योगपति को बचाने के आरोपों का भी सामना करना पड़ा था। इस घटना पर एफएसएल की रिपोर्ट से पता चला है कि जंग लगी केबल, टूटे एंकर पिन और ढीले बोल्ट उन खामियों में से थे जिन्हें पुल के नवीनीकरण के दौरान ठीक नहीं किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ओरेवा ग्रुप ने पुल को जनता के लिए खोलने से पहले इसकी भार वहन क्षमता का आकलन करने के लिए किसी विशेषज्ञ एजेंसी को नियुक्त नहीं किया।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें