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विधायक जिग्नेश मेवाणी को मिली जमानत

विधायक जिग्नेश मेवाणी को मिली जमानत

दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को असम पुलिस ने किस अपराध के लिए गिरफ़्तार किया था? उनकी गिरफ़्तारी को लेकर असम सरकार व बीजेपी की आलोचना भी हुई थी। 

गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी को सोमवार को असम की एक अदालत ने जमानत दे दी है। अदालत ने रविवार को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। असम पुलिस ने मेवाणी को बीते गुरुवार की देर रात को गुजरात के पालनपुर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें असम लाया गया था।

मेवाणी की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला था और कहा था कि गुजरात में विधानसभा चुनाव को नजदीक देखते हुए मेवाणी को गिरफ्तार किया गया है। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट कर कहा था कि प्रधानमंत्री मशीनरी का इस्तेमाल कर उनके खिलाफ उठ रही आवाजों को दबा सकते हैं लेकिन वह कभी भी सच को कैद नहीं कर सकते।

मेवाणी ने पिछला विधानसभा चुनाव बनासकांठा की वडगाम सीट से जीता था और कहा था कि वह अगला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे। मेवाणी की गिरफ्तारी के खिलाफ कांग्रेस ने गुजरात में कई जगहों पर प्रदर्शन भी किया था। जिग्नेश मेवाणी राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच नाम के राजनीतिक दल के संयोजक भी हैं।

देखिए, मेवाणी की गिरफ्तारी पर चर्चा- 

क्या है मामला?

असम के कोकराझार जिले के भवानीपुर के रहने वाले अनूप कुमार डे की शिकायत पर मेवाणी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मेवाणी के खिलाफ अपराधिक साजिश रचने सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था।

शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में कहा था कि मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में लिखा था कि वह नाथूराम गोडसे की पूजा करते हैं और उन्हें ईश्वर मानते हैं।

मेवाणी ने प्रधानमंत्री से अपील की थी कि वह अपने गुजरात दौरे के दौरान हिंसाग्रस्त इलाकों हिम्मतनगर आदि में शांति और भाईचारे की अपील करें। बता दें कि हिम्मतनगर व कुछ अन्य इलाकों में रामनवमी पर निकले जुलूस के दौरान दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए थे और हिंसा हुई थी। 

शिकायतकर्ता ने कहा था कि मेवाणी के ट्वीट के कारण समाज में शांति भंग हो सकती है और दलित नेता एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध करने के लिए उकसा रहे हैं। मेवाणी के इन ट्वीट को ट्विटर ने रोक दिया था।

दलित नेता हैं मेवाणी

जिग्नेश मेवाणी दलित आंदोलन का चेहरा रहे हैं। वह पत्रकार और वकील भी रहे हैं। उसके बाद एक्टिविस्ट बने और अब नेता हैं।

मेवाणी कुछ साल पहले तब अचानक सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने ऊना में हुई एक घटना के बाद घोषणा की थी कि अब दलित समाज के लोग मरे हुए पशुओं का चमड़ा निकालने, मैला ढोने का काम नहीं करेंगे।

मेवाणी की कई मसलों पर मोदी सरकार से ठनती रही है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। 

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