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मानहानि केस: गुजरात हाईकोर्ट से झटका, SC जाएँगे राहुल

मानहानि केस: गुजरात हाईकोर्ट से झटका, SC जाएँगे राहुल

मोदी सरनेम टिप्पणी को लेकर मानहानि केस में गुजरात हाई कोर्ट से राहुल गांधी को तगड़ा झटका लगा है? जानिए अदालत ने क्या फ़ैसला दिया।

गुजरात उच्च न्यायालय ने 'मोदी उपनाम' टिप्पणी के खिलाफ मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में सत्र न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा। इसके साथ ही इसने राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया है। फ़ैसले के तुरंत बाद अखिल भारतीय कांग्रेस परिषद के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी गुजरात हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी। मोदी उपनाम वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि मामले में सत्र अदालत ने राहुल को दोषी करार दिया था। हाई कोर्ट में दायर राहुल गांधी की याचिका में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। 

इससे पहले मई में अदालत ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि गर्मी की छुट्टियों के बाद अंतिम आदेश पारित करेंगे। 

सूरत के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 499 और 500 तहत आपराधिक मानहानि का दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी। उन्हें यह सजा भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा 2019 में किए गए मानहानि केस के सिलसिले में सुनाई गई थी। मानहानि मामले में इस फैसले के बाद राहुल गांधी को संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वह 2019 में केरल के वायनाड लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे। 

न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने फ़ैसले के ऑपरेटिव हिस्से को जोर से पढ़ते हुए कहा कि सत्र अदालत द्वारा पहले उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार करने का आदेश 'न्यायसंगत और कानूनी' है।

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने कहा कि यह देखते हुए कि इस तरह की रोक एक अपवाद है, अगर दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई गई तो राहुल गांधी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। हालाँकि फैसले में यह भी कहा गया है कि आपराधिक अपील का निर्णय उसके गुण-दोष के आधार पर और यथासंभव शीघ्रता से किया जाना चाहिए।

अदालत ने यह भी ध्यान में रखा कि राहुल गांधी क़रीब 10 आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं, जिसमें वीडी सावरकर के पोते द्वारा आपराधिक मानहानि का मामला भी शामिल है।

अदालत ने दोषसिद्धि के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका पर अप्रैल और मई में सुनवाई की थी। दलीलें 2 मई को समाप्त हुई थीं। राहुल गांधी के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय को बताया कि मुकदमा ग़लत मक़सद से दायर किया था। 

अदालत के फ़ैसले से पहले किसी भी आशंका के बारे में पूछे जाने पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार ने कहा था कि वह आदेश सुनाए जाने के बाद ही जवाब देंगे। हालाँकि, उन्होंने एएनआई से इतना ज़रूर कहा था, 'हमारे नेता के खिलाफ कुछ साजिश चल रही है। हम बस गुजरात में कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। देखते हैं, हम बाद में प्रतिक्रिया देंगे।'

बता दें कि 23 मार्च को सूरत की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने गांधी को कोलार में एक राजनीतिक अभियान के दौरान उनकी टिप्पणी के लिए सजा सुनाई थी। राहुल ने यह टिप्पणी कर्नाटक में एक चुनावी रैली मे की थी। चुनावी रैलियों और सभाओं में अक्सर नेता विरोधी दलों के नेताओं के ख़िलाफ़ कई बार विवादित टिप्पणी कर बैठते हैं या फिर सीमा को लांघ जाते हैं। कुछ ऐसी ही टिप्पणी राहुल गांधी ने कर दी थी। 

राहुल ने कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कह दिया था, 'क्यों सभी चोरों का समान सरनेम मोदी ही होता है? चाहे वह ललित मोदी हो या नीरव मोदी हो या नरेंद्र मोदी? सारे चोरों के नाम में मोदी क्यों जुड़ा हुआ है।' 

राहुल के इस बयान का बीजेपी समर्थकों ने काफ़ी विरोध किया था। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने याचिका दायर की थी। यह मामला इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 499 और 500 के तहत अक्टूबर 2001 में दर्ज कराया गया था। 

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