गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल के कांग्रेस छोड़ने के कयासों के बीच ही अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अश्विन कोटवाल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर विधायक पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है। उनके बीजेपी से जुड़ने की संभावना है। राज्य में अगले कुछ महीने में होने वाले चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए क्या यह एक बड़ा झटका नहीं है?
कोटवाल उत्तरी गुजरात में एसटी आरक्षित खेडब्रह्मा विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक रहे हैं। लेकिन चुनाव से ऐन पहले उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उनकी 'अनदेखी' करने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी।
कहा जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व द्वारा उनकी 'अनदेखी' करने से वह खुश नहीं थे। वह खुद को विधानसभा में विपक्ष के नेता के पद के दावेदार मानते थे, लेकिन पार्टी आलाकमान ने मध्य गुजरात के एक अन्य आदिवासी नेता सुखराम राठवा को प्राथमिकता दी।
उनके अब बीजेपी में शामिल होने की संभावना है। कोटवाल के प्रवेश के साथ ही बीजेपी आदिवासी नेता की जगह को भर पाएगी क्योंकि अब तक उत्तर गुजरात क्षेत्र में उसका कोई आदिवासी चेहरा नहीं है। कोटवाल के कांग्रेस छोड़ने से पार्टी को उत्तर गुजरात क्षेत्र में आदिवासी वोटों का बड़ा नुक़सान हो सकता है।
कोटवाल ने कांग्रेस में जिस 'अनदेखी' का आरोप लगाया है उसी 'अनदेखी' की शिकायत गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल करते रहे हैं। हार्दिक पटेल बीते कुछ दिनों में तमाम टीवी चैनलों और अखबारों को दिए इंटरव्यू में गुजरात में कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर खुलकर अपनी बात कह चुके हैं।
हार्दिक पटेल ने एक इंटरव्यू में हिंदू होने पर गर्व होने की बात कही थी और कहा था कि वह भगवान राम के भक्त हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी में फ़ैसले तेजी से लिए जाते हैं।
पटेल ने बीजेपी की तारीफ़ करते हुए कहा था, 'मैं बीजेपी की तरफ़ से हाल ही में लिए गए राजनीतिक फ़ैसलों का स्वागत करता हूँ। गुजरात में बीजेपी मज़बूत है क्योंकि उनके पास निर्णय लेने की क्षमता के साथ नेतृत्व है।' इस बयान के बाद जब उनके बीजेपी में शामिल होने को लेकर कयास लगाए जाने लगे तो उन्होंने उसे अफवाह बताया था।
हालाँकि हार्दिक पटेल के एक बार फिर से पार्टी छोड़ने के कयास इसलिए तेज हो गए हैं कि उन्होंने अपने ट्विटर बायो से 'गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष' शब्द को हटा दिया है।
पहले हार्दिक पटेल के ट्विटर बायो में लिखा था- "गौरवान्वित भारतीय देशभक्त। सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता। गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष। एक बेहतर भारत के लिए प्रतिबद्ध।" लेकिन बदले हुए ट्विटर बायो से 'गुजरात कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष' शब्द गायब है।
पिछले कुछ दिनों से वह कांग्रेस नेताओं से नाराज़ चल रहे हैं। उन्होंने वॉट्सऐप व टेलीग्राम बायो से कांग्रेस शब्द हटा दिया था। कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि वह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ बातचीत कर रहे हैं। तो क्या चुनाव से पहले कांग्रेस को और भी ऐसे झटके लग सकते हैं?