गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने दिया इस्तीफ़ा
एक बेहद अहम घटनाक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने आनंदी बेन पटेल के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पदभार संभाला था।
समझा जाता है कि राज्य के सत्ता संघर्ष में रूपाणी मात खा गए हैं। नए मुख्यमंत्री का एलान जल्द ही किया जाएगा।
रूपाणी ने इस्तीफ़ा देने के बाद कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का विशेष मार्गदर्शन मिलता रहा है। उनके नेतृत्व व मार्गदर्शन में गुजरात ने नए आयामों को छुआ है। पिछले पाँच सालों में मुझे भी योगदान करने का जो अवसर मिला, उसके लिए मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का आभार व्यक्त करता हूँ।"
उन्होंने कहा,
“
मेरा मानना है कि गुजरात के विकास की यह यात्रा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक नए उत्साह, ऊर्जा के साथ नए नेतृत्व में आगे बढ़नी चाहिए और यह ध्यान में रखकर मैंने पद से इस्तीफा दिया है।
विजय रूपाणी, मुख्यमंत्री, गुजरात
गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसके मद्देनज़र यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण है। समझा जाता है कि बीजेपी ने यह बदलाव इसलिए किया है कि उसे चुनाव के समय एंटी इनकम्बेन्सी यानी सरकार विरोधी भावनाओं का सामना नहीं करना पड़े।
कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदला है, उसके पीछे भी यही तर्क दिया जा रहा है।
उत्तराखंड में बीजेपी ने पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन बहुत कम समय में ही उन्हें हटाकर पुष्कर धामी को कमान सौंपी गई।कर्नाटक में भी बीजेपी ने वयोवृद्ध नेता बी. एस.येदियुरप्पा की जगह बोम्मई को कमान सौंपी है।
गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। यह बीजेपी के लिए बेहद अहम है। इसलिए पार्टी ने समय रहते वहां एक बदलाव किया है और चुनाव को बहुत ही गंभीरता से लेने का संकेत दे दिया है।
अगला मुख्यमंत्री कौन?
गुजरात में बीते कुछ समय से आम आदमी पार्टी तेजी से आगे बढ़ रही है। बीजेपी उसे एक चुनौती के रूप में देख रही है। इसलिए वह नए आदमी के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है और उसे ऐसे समय मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाना चाहती है कि उसे काम करने का समय मिले।
लेकिन इसकी आशंका है कि इससे गुजरात बीजेपी में गुटबाजी और सिरफुटौव्वल बढ़ सकता है। अब विजय रूपाणी के समर्थक पार्टी के लिए सिरदर्द बन सकते हैं।
पूर्व गुजरात बीजेपी अध्यक्ष पुरुषोत्तम रूपाला कडवा पटेल समुदाय के हैं, जिसका राज्य में प्रभाव है। इसके साथ ही वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नज़दीक भी समझे जाते हैं।
नितिन पटेल वरिष्ठ विधायक हैं और वे उप मुख्यमंत्री भी हैं। पार्टी पर उनकी पकड़ भी है। समझा जाता है कि अगले मुख्यमंत्री पद की होड़ में वे भी हैं।
पूर्व गृह मंत्री और पाटीदार समुदाय के नेता गोवरधन झपडिया भी मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल माने जाते हैं।
रूपाला ने कहा है कि अगले मुख्यमंत्री का चुनाव केंद्रीय नेतृत्व करेगा।जिस समय रूपाणी इस्तीफ़ा सौंपने राज्यपाल से मिलने गए थे, उनके साथ नितिन पटेल, पुरुषोत्तम रूपाला, भूपेंद्र यादव और मनसुख मांडवीय भी मौजूद थे।
गुजरात के एक और बड़े नेता हैं मनसुख मांडवीय। वे लेवा पटेल समुदाय के हैं। लेकिन जुलाई में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में उन्हें केंद्र में जगह दी गई और स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। उन्होंने डॉक्टर हर्षवर्द्धन की जगह ली है। इससे उनका महत्व समझा जा सकता है।
क्यों अहम है गुजरात?
इस समय गुजरात में बीजेपी के 99 विधायक हैं। विधानसभा में सदस्यों की संख्या 182 है। इससे यह साफ है कि बीजेपी वहाँ बहुमत में तो है, पर उसकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।
पिछला गुजरात विधानसभा चुनाव भी बीजेपी ने कठिनाई से ही जीता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं वहां जमे हुए थे। उनका वह भाषण याद किया जाता है कि जिसमें वे अपनी माँ और ग़रीबी का उल्लेख कर रो पड़े थे।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस भाषण, ग़रीबी के उल्लेख और मोदी के आँसुओं ने मतदाताओं को प्रभावित किया था।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा है कि सरकार गुजरात विधानसभा भंग कर समय से पहले ही नए चुनाव करवा सकती है।
इस बारे में अभी कुछ भी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
दूसरी ओर, बीजेपी नेतृत्व ने सभी विधायकों से कहा है कि वे शनिवार की रात राजधानी अहमदाबाद पहुँच जाएँ।
विजय रूपाणी 7 अगस्त 2016 से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। नरेंद्र मोदी के गुजरात छोड़ कर केंद्र में जाने और प्रधानमंत्री बनने के बाद वे दूसरे मुख्यमंत्री हैं। उनके पहले आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री बनी थीं।