चार फैसलों पर पीछे हटी सरकार, हुआ था विरोध
गुजरात में 4 बड़े सरकारी फैसले वापस ले लिए गए हैं। इनमें से दो फैसले केंद्र की सरकार ने लिए थे। इन फैसलों को लेकर किसानों, पशुपालकों, आदिवासियों और कपड़े के काम से जुड़े संगठनों ने विरोध जताया था।
गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं और राज्य की बीजेपी सरकार किसी समुदाय की नाराजगी लेकर राजनीतिक जोखिम नहीं लेना चाहती। शायद इसीलिए उसने पीछे हटने का फैसला किया।
ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी को इतने बड़े पैमाने पर अपने पांव पीछे खींचने पड़े हैं।
इन फैसलों में शहरी इलाकों में गुजरात मवेशी नियंत्रण बिल, 2022 भी शामिल है। इस बिल को 31 मार्च को ही विधानसभा में पास किया गया था।
इस बिल पर विधानसभा में 6 घंटे बहस हुई थी और उसके बाद इसे पास किया गया था। कांग्रेस ने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था। इसके अलावा पारंपरिक रूप से पशुपालन करने वाले मालधारी समुदाय ने भी इस बिल का विरोध किया था।
बीजेपी ने भी किया विरोध
यहां तक कि प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने भी इसका खुलकर विरोध किया था और कहा था कि विधानसभा के अगले सत्र में इसे वापस ले लिया जाएगा। राज्य सरकार का कहना था कि इस बिल को लंबे विचार-विमर्श के बाद विधानसभा में लाया गया था।
इससे पहले 29 मार्च को राज्य की भूपेंद्र पटेल सरकार ने कृषि क्षेत्र को 6 घंटे के बजाय 8 घंटे बिजली दिए जाने के फैसले को पलट दिया था। जब राज्य के कई हिस्सों में किसानों ने प्रदर्शन किया तो सरकार ने कहा कि वह किसानों को 8 घंटा बिजली सप्लाई देगी।
इस वजह से बिजली की सप्लाई में कमी आई तो सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए हफ्ते में एक दिन का साप्ताहिक अवकाश अनिवार्य कर दिया। लेकिन इसका औद्योगिक क्षेत्र के लोगों की ओर से जोरदार विरोध किया गया।
यहां पर कृषि कानूनों का जिक्र करना बेहद जरूरी होगा क्योंकि साल भर तक दिल्ली के बॉर्डर्स पर चले आंदोलन के बाद मोदी सरकार को पीछे हटना पड़ा था।
पीटीएन लिंक प्रोजेक्ट
राज्य की बीजेपी सरकार को परी-तापी-नर्मदा (पीटीएन) लिंक प्रोजेक्ट के मामले में एक फैसले को वापस लेना पड़ा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में दिए गए अपने बजट भाषण में कहा था कि पांच नदियों को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार है। इसमें पीटीएन लिंक प्रोजेक्ट भी शामिल था।
लेकिन गुजरात में आदिवासी समुदाय के लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इस मामले में गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल निर्मला सीतारमण और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत से मिले और इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की मांग की।
राज्य सरकार के आदिवासी विकास मंत्री नरेश पटेल ने भी इस प्रोजेक्ट को लागू नहीं किए जाने की मांग उठाई थी। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 29 मार्च को गुजरात के जल संसाधन मंत्री ऋषिकेश पटेल ने विधानसभा में कहा कि इस प्रोजेक्ट को रद्द किया जा रहा है।
जीएसटी बढ़ाने का फैसला वापस
एक अन्य फैसले में टेक्सटाइल के सामान पर जीएसटी को पांच से बढ़ाकर 12 फीसद किए जाने का फैसला किया गया था। लेकिन सूरत टैक्सटाइल ट्रेडर्स एसोसिएशन और कुछ और अन्य संगठनों ने कहा कि इससे उनके कारोबार और लाखों लोगों की नौकरियों पर असर पड़ेगा। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस फैसले को वापस ले लिया।
इससे पता चलता है कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार और राज्य की बीजेपी सरकार गुजरात चुनाव को लेकर किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतना चाहती हैं।गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी भी पूरे जोर-शोर के साथ चुनाव लड़ रही है और बीजेपी इसे लेकर काफी सतर्क भी दिखाई देती है।