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भूपेंद्र पटेल की नयी कैबिनेट ने ली शपथ; पूरा मंत्रिमंडल क्यों बदला?

भूपेंद्र पटेल की नयी कैबिनेट ने ली शपथ; पूरा मंत्रिमंडल क्यों बदला?

गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार की नयी कैबिनेट ने आज आख़िरकार शपथ ले ली। कैबिनेट में 24 मंत्री शामिल किए गए हैं और सभी नये हैं।

गुजरात में एक झटके में पूरा मंत्रिमंडल बदल दिया गया। दो दिन पहले मुख्यमंत्री ने शपथ ली थी और अब पूरी कैबिनेट ने। कैबिनेट में 24 मंत्री शामिल किए गए हैं और सभी नये हैं। यह पहली बार हुआ है कि कार्यकाल के बीच में ही मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रिमंडल को बदल दिया गया। क्या ऐसा एंटी इंकंबेंसी लहर से निपटने के लिए किया गया? यह भी सवाल उठता है कि क्या रूपाणी सरकार से गुजरात में ज़बरदस्त नाराज़गी थी?

माना जा रहा है कि बीजेपी ने अगले साल होने वाले चुनाव से पहले गुजरात में उस मॉडल को अपनाया है जिसमें एंटी इंकंबेंसी लहर को कम या ख़त्म किया जा सके। 2017 में दिल्ली एमसीडी चुनावों में बीजेपी ने ऐसी ही तरकीब अपनाई थी और उसने अपने सभी पार्षदों का टिकट काट दिया था। तब माना जा रहा था कि पार्षदों के ख़िलाफ़ दिल्ली वासियों की नाराज़गी थी। नये चेहरों के साथ बीजेपी ने उस चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन किया था। तो क्या गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर पूरा मंत्रिमंडल बदला गया है और क्या बीजेपी के लिए ऐसा करना आसान रहा?

दरअसल, गुजरात बीजेपी में अंदरुनी कलह की ख़बरों के बीच ही गुरुवार को शपथ ग्रहण हुआ है। कहा जा रहा है कि कैबिनेट में मंत्रियों को शामिल करने को लेकर विवादों के कारण बुधवार को शपथ नहीं हो पाई थी। पुराने मंत्रियों के हटाए जाने से नाराज़गी की ख़बरें आई थीं।  

पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के इस्तीफे और नये मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण तक ऐसा लग रहा था कि बदलाव के बाद भी सबकुछ सामान्य है। हालाँकि नितिन पटेल के कुछ बयानों और विजय रूपाणी की बेटी के ख़त को छोड़ दें तो ऊपरी तौर पर ऐसा होता लग भी रहा था। लेकिन कैबिनेट में मंत्रियों को शामिल करना उतना आसान नहीं हो सका। इसको लेकर बीजेपी में अंदरुनी खटपट की ख़बरें आईं। इस बीच बीजेपी नेताओं के बीच बैठकों का दौर चला। पुराने मंत्रियों और नये नेताओं के बीच चले संघर्ष के बाद फ़ैसला लिया गया कि नये मंत्रिमंलड में पूर्व की रूपाणी सरकार के किसी भी मंत्री को शामिल नहीं किया जाएगा।

इन सब घटनाक्रमों के बीच लग रहा था कि अब पार्टी का घमासान खुलकर बाहर आ सकता है। तो क्या बीजेपी में अंदरुनी क़लह आगे बढ़ेगी? क्या एक झटके में पूरे मंत्रिमंडल को बदल देने से नाराज़ लोग एकजुट होकर मोर्चा भी खोल सकते हैं? 

 - Satya Hindi

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऐसा विरोध ज़्यादा तूल नहीं पकड़ेगा। हाल में ऐसी ख़बरें आई थीं कि नितिन पटेल की नाराज़गी भी थी लेकिन वह उस नाराज़गी को खुलकर जाहिर नहीं कर पाए थे और भूपेंद्र पटेल को अपना दोस्त बताया था। वह मामला अब शांत हो गया लगता है। 

इस बीच गुरुवार दोपहर को जब नयी कैबिनेट को शपथ दिलाई गई तो उसमें सभी नये चेहरे शामिल किए गए। इस नयी कैबिनेट के शपथ ग्रहण से पहले गुजरात विधानसभा के स्पीकर राजेंद्र त्रिवेदी ने इस्तीफ़ा दिया, बाद में उनको कैबिनेट में शामिल कर लिया गया। 

ये केबिनेट मंत्री बने

  • राजेंद्र त्रिवेदी 
  • जीतू वघानी 
  • ऋषिकेश पटेल 
  • पूर्णेश मोदी 
  • राघवजी पटेल
  • कानू देसाई 
  • किरीटसिंह राणा
  • नरेश पटेल (एसटी)
  • प्रदीप परमार (एससी)
  • अर्जुनसिंह चौहान

राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

  • हर्ष संघवी
  • जगदीश पांचाल
  • बृजेश मेरजा
  • जीतू चौधरी (एसटी)
  • मनीषा वकील (एससी)

राज्य मंत्री

  • मुकेश पटेल
  • निमिषा सुथार (एसटी)
  • अरविंद रैयानी
  • कुबेर डिंडोर (एसटी)
  • कीर्तिसिंह वाघेला
  • गजेंद्र परमार
  • राघवजी मकवाना
  • विनोद मोरडिया 
  • देवाभाई मालम

यह नया मंत्रिमंडल तब सामने आया है जब एक बेहद अहम घटनाक्रम में पिछले ृशनिवार को गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने बिना किसी विरोध के ही अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। उन्होंने आनंदी बेन पटेल के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद पदभार संभाला था। पिछले चुनाव से कुछ महीने पहले ही आनंदी बेन पटेल को मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा था। इस बार गुजरात में चुनाव से क़रीब एक साल पहले ही रूपाणी को पद छोड़ना पड़ा है। 

गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र यह बदलाव बेहद महत्वपूर्ण है। समझा जाता है कि बीजेपी ने यह बदलाव इसलिए किया है कि उसे चुनाव के समय एंटी इनकम्बेन्सी यानी सरकार विरोधी लहर का सामना नहीं करना पड़े।

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