MSP पर कमेटी के लिए सरकार ने 5 नाम मांगे, ख़त्म होगा किसान आंदोलन?
पिछले एक साल से दिल्ली के तमाम बॉर्डर्स पर चल रहा किसान आंदोलन क्या जल्द ही ख़त्म हो सकता है। किसान नेता सतनाम सिंह अजनाला का कहना है कि केंद्र सरकार ने एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए 5 नाम मांगे हैं। इसके अलावा किसानों पर दर्ज मुक़दमों के बारे में बातचीत करने के लिए भी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने गुरूवार को किसानों को बुलाया है।
कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद किसान नेता चाहते हैं कि उनकी बाक़ी मांगों पर भी सरकार फ़ैसला करे। किसानों की छह मांग हैं, इनमें एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाना और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेना अहम है। अजनाला का कहना है कि गृह मंत्रालय ने किसानों पर दर्ज मुक़दमों को लेकर भी राज्यों को प्रस्ताव भेजा है और बाक़ी मांगें भी मान ली हैं।
किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा है कि उन्हें सरकार की ओर से संदेश मिला है कि वे कमेटी के लिए पांच नाम भेजें और संयुक्त किसान मोर्चा बुधवार को होने वाली बैठक में इन पांच नामों को तय करेगा।
किसान आंदोलन चलता रहेगा या नहीं, इस बारे में अंतिम फ़ैसला करने के लिए 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की अहम बैठक बुलाई गई है।
यादव व टिकैत के बयान
किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से पंजाब के एक किसान नेता के पास फ़ोन आया है और इसमें कमेटी के लिए किसानों की ओर से 5 नाम मांगे गए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बारे में कोई लिखित प्रस्ताव किसान मोर्चा के पास नहीं आया है कि यह कमेटी किस बारे में है।
जबकि किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि आंदोलन की आगे की रूपरेखा 4 दिसंबर को ही तय होगी। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर गारंटी क़ानून और किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लिए बिना आंदोलन ख़त्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बाक़ी मांगों पर भी सहमति बननी ज़रूरी है।
किसानों की बाक़ी मांगों में बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देना भी शामिल है।
किसान नेता अजनाला के इस बयान के बाद कि सरकार ने एमएसपी पर कमेटी बनाने के लिए 5 नाम मांगे हैं और अगर मनोहर लाल खट्टर के साथ बातचीत में किसानों पर हरियाणा में दर्ज मुक़दमे वापस लिए जाने पर सहमति बन जाती है तो यह माना जाना चाहिए कि 4 दिसंबर की बैठक में कोई अहम फ़ैसला आंदोलन को लेकर हो सकता है।