वैक्सीन पॉलिसी को लेकर विपक्षी दलों की आलोचनाओं का सामना कर रही मोदी सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर किया है।
हलफ़नामे में मोदी सरकार ने वैक्सीन पॉलिसी को लेकर कहा है कि इस मामले में न्यायिक दख़ल सही नहीं है। हलफ़नामे में सरकार ने कहा है, “वैश्विक महामारी को लेकर देश की पूरी रणनीति चिकित्सा और वैज्ञानिक राय के आधार पर तैयार की जाती है और ऐसे में न्यायिक दख़ल के लिए काफ़ी कम जगह है। किसी भी तरह के अति उत्साही न्यायिक हस्तक्षेप के अप्रत्याशित और अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं।”
हलफ़नामे में आगे कहा गया है, “वैक्सीन की क़ीमत न सिर्फ़ ठीक हैं बल्कि पूरे देश में एक जैसी हैं। सरकार 18-45 साल के हर व्यक्ति को मुफ़्त में वैक्सीन लगाएगी और कई राज्यों ने इस बारे में घोषणा भी की है।” सरकार ने यह भी कहा है कि पंचायतों में काम करने वाले और फ्रंटलाइन वर्कर्स वैक्सीन लगाने के योग्य हैं।
बता दें कि कुछ दिन पहले वैक्सीन निर्माता कंपनियों सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक ने केंद्र, राज्य सरकारों और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग क़ीमतों की घोषणा की थी और इसे लेकर काफी विवाद हुआ था। इसे लेकर कई राजनीतिक दलों ने भी सवाल उठाया था।
मोदी सरकार की इस बात को लेकर आलोचना हो रही है कि उसने दुनिया के कई देशों को तो वैक्सीन बांट दी लेकिन अपने ही देश में लोग वैक्सीन के लिए इंतजार कर रहे हैं।
टीके की किल्लत रहेगी: पूनावाला
सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने कुछ दिन पहले कहा था कि जुलाई तक भारत में कोरोना टीके की किल्लत बनी रहेगी क्योंकि उन्हें पहले से यह अनुमान नहीं था कि इतनी बड़ी तादाद में कोरोना टीकों की अचानक ज़रूरत होगी।
ब्रिटेन के अख़बार 'फ़ाइनेंशियल टाइम्स' से बातचीत में पूनावाला ने कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट में जुलाई महीने में कोरोना टीके का उत्पादन 6-7 करोड़ प्रति महीने से बढ़ा कर 10 करोड़ टीके प्रति महीने कर दिया जाएगा। पूनावाला ने कहा था कि लोगों को यह लगने लगा था कि भारत में कोरोना संकट ख़त्म हो गया है क्योंकि जनवरी में कोरोना के मामले कम होने लगे थे और किसी को यह अनुमान नहीं था कि यह लौटेगा।
नेशनल टास्क फोर्स का गठन
दूसरी ओर, कोरोना संकट के बीच देश में ऑक्सीजन की भारी किल्लत को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स में 12 सदस्य होंगे। यह टास्क फोर्स राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन वितरण पर तो नज़र रखेगी ही, उनकी ज़रूरतों को भी देखेगी और इसके अनुसार व्यवस्था की जाएगी। देश के अलग-अलग राज्यों के विशेषज्ञों और डॉक्टरों को टास्क फोर्स में शामिल किया गया है।
अपने आदेश में अदालत ने कहा कि सुनवाई के दौरान एक आम सहमति बन गई है कि यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मेडिकल ऑक्सीजन का आवंटन वैज्ञानिक, तर्कसंगत और न्यायसंगत आधार पर किया जाए। लेकिन इसमें यह भी कहा गया है कि यह लचीलापन होना चाहिए कि यदि आपात स्थितियों के कारण किसी राज्य में अप्रत्याशित मांग बढ़ गई तो उसे भी पूरा किया जाए।