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देश में 500 प्वाइंट्स पर आज से सरकार ने 'सस्ता टमाटर' बेचना शुरू किया

देश में 500 प्वाइंट्स पर आज से सरकार ने 'सस्ता टमाटर' बेचना शुरू किया

सरकार ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों के जरिेए आज से 500 प्वाइंट्स पर टमाटर बेचना शुरू किया है। 

सरकार ने आज 16 जुलाई से देशभर में 500 से अधिक प्वाइंट्स पर टमाटर 80 रुपये प्रति किलो बेचने का निर्णय लिया गया है। नैफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) के जरिए दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, पटना, मुजफ्फरपुर और आरा में कई प्वाइंट्स पर बिक्री आज से शुरू कर दी है। ऐसे स्थानों पर मौजूदा बाजार कीमतों के आधार पर कल 17 जुलाई से इसका विस्तार अधिक शहरों में किया जाएगा।    

राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) को वैन के जरिए टमाटर बेचने का काम सौंपा गया है। टमाटर की रियायती कीमतें प्रभावी हो गईं।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट किया-“दिल्ली, नोएडा, लखनऊ, कानपुर में इन स्थानों पर टमाटर की रियायती बिक्री को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इन स्थानों पर 15 मोबाइल वैन के साथ सुबह 11 बजे से बिक्री शुरू होगी।''

दिल्ली-एनसीआर में कहां-कहां:

फरीदाबाद, गुड़गांव, रिंग रोड, ग्रेटर कैलाश पार्ट 1, शाहीन बाग, साउथ एवेन्यू, नॉर्थ एवेन्यू, द्वारका, महरौली, हौज खास, मायापुरी, पीतमपुरा, रोहिणी सेक्टर 20, मयूर विहार, पटपड़गंज, तिमारपुर, त्रिलोक पुरी, शालीमार बाग, और नांगलोई।

लखनऊ में कहां-कहां

भूतनाथ मार्केट, डंडइया मार्केट, नवीन मंडी स्थल के सामने, सीतापुर रोड, जवाहर भवन, तेरहीपुलिया, गोले मार्केट, चौक, विभूति कांड, गोमती नगर, कैसर बाग, राजाजीपुरम और मुंसी पुलिया।

देश में टमाटर की मौजूदा कीमतें चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई हैं। उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, देशभर में टमाटर की औसत कीमत 117 रुपये प्रति किलोग्राम है। विभिन्न शहरों में दरें इस प्रकार हैं: दिल्ली में ₹178/किलो, मुंबई में ₹150/किलो, चेन्नई में ₹132/किग्रा, और रांची में ₹100/किग्रा।

कीमतें इतनी अधिक क्यों ?

टमाटर की कीमतों में उतार-चढ़ाव के लिए विभिन्न वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, टमाटर की कटाई का चरम मौसम दिसंबर से फरवरी तक होता है। हालाँकि, जुलाई-अगस्त और अक्टूबर-नवंबर के दौरान टमाटर का उत्पादन आमतौर पर कम होता है। इस वर्ष मामला गंभीर रहा है, जिसके कारण कमी हुई और बाद में कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

हालाँकि टमाटर की खेती पूरे भारत में की जाती है, लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में घरेलू उत्पादन का बड़ा हिस्सा होता है, जो कुल उत्पादन में लगभग 56% -58% का योगदान देता है। ये क्षेत्र उत्पादन मौसम के आधार पर अन्य बाजारों में टमाटर की आपूर्ति करते हैं। दुर्भाग्य से, जुलाई में मानसून का मौसम कम उत्पादन के लिए जिम्मेदार है, जिससे सप्लाई में रुकावट बढ़ जाती है और ऑपरेशनल लागत या घाटा बढ़ जाता है, जिससे कीमतें और बढ़ जाती हैं।

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