यदि कोई अधिकारी लोगों की शिकायतें नहीं सुने तो क्या हिंसा की वकालत की जा सकती है? क्या किसी अधिकारी को पीटने के लिए लोगों को उकसाया जा सकता है? वह भी केंद्रीय मंत्री ऐसा काम करें तो? केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने ऐसा ही विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि 'यदि कोई अधिकारी नहीं सुने तो बाँस से मारो'। वैसे गिरिराज सिंह अक्सर विवादित बयानों के लिए सुर्खियों में रहे हैं।
उनका ताज़ा बयान बिहार के बेगूसराय में कृषि से जुड़े एक कार्यक्रम में शनिवार को आया है। उन्होंने कहा कि आम लोगों से अक्सर उन्हें शिकायत मिलती है कि उनकी शिकायतों के प्रति संबंधित अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं।
गिरिराज सिंह ने लोगों की ऐसी शिकायतों का ही ज़िक्र करते हुए अधिकारियों के ख़िलाफ़ हिंसा की बात कह दी।
उन्होंने कहा, 'मैं उनसे कहता हूँ, आप इतनी छोटी-छोटी चीजों के लिए मेरे पास क्यों आते हैं। सांसद, विधायक, ग्राम मुखिया, डीएम, एसडीएम, बीडीओ... इन सभी की ज़िम्मेदारी लोगों की सेवा करने की है। यदि वे आपकी बात नहीं मानते हैं तो बांस से लेकर मारो न...।'
उन्होंने कहा कि 'आपने मुझे सांसद बनाया है, आपने किसी को विधायक बनाया है, आपने किसी को ज़िला परिषद बनाया है, आपके बल पर कोई मुखिया है, मुखिया, एमएलए और एमपी के बल पर आप नहीं।'
गिरिराज सिंह ने कहा, 'न हम नाजायज कहेंगे और न नाजायज बर्दाश्त करेंगे। न किसी अधिकारी को हम नाजायज काम करने के लिए कहते हैं और न किसी अधिकारी के नंगा नृत्य को बर्दाश्त कर सकते हैं।'
गिरिराज सिंह ने कहा कि समस्या लेकर आप जाएँ और अगर आपके अधिकारों का हनन होगा तो गिरिराज आपके साथ खड़ा है।
वैसे, गिरिराज सिंह का यह पहला बयान नहीं है जब उन्होंने इस तरह का विवादित बयान दिया है। इससे पहले शाहीन बाग़ प्रदर्शन को लेकर भी पिछले साल फ़रवरी में बड़ा विवादित बयान दिया था। तब उन्होंने ट्वीट कर कहा था, 'यह शाहीन बाग़ अब सिर्फ़ आंदोलन नहीं रह गया है... यहाँ सुइसाइड बॉम्बर का जत्था बनाया जा रहा है। देश की राजधानी में देश के ख़िलाफ़ साज़िश हो रही है।'
इसके अलावा उन्होंने समाचार एजेन्सी एएनआई से कहा था, ‘शाहीन बाग़ में एक महिला का बच्चा ठंड में मर जाता है और वो महिला कहती है कि मेरा बेटा शहीद हुआ। ये सुसाइड बॉम्ब नहीं तो और क्या है। अगर भारत को बचाना है तो ये सुसाइड बॉम्ब, खिलाफत आंदोलन 2 से देश को सजग करना होगा।‘
बता दें कि तब नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन चल रहा था और शाहीन बाग़ में बड़ी संख्या में महिलाएँ शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करती रही थीं।
पिछले साल ही फ़रवरी में गिरिराज सिंह ने कहा था कि मुसलमानों को 1947 में ही पाकिस्तान भेज देना चाहिए था। बिहार के पूर्णिया में पत्रकारों के साथ बातचीत में गिरिराज सिंह ने कहा था, ‘राष्ट्र के प्रति समर्पित होने का समय आ गया है। 1947 से पहले हमारे पूर्वज देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ रहे थे और जिन्ना भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की योजना बना रहा था। यह बहुत बड़ी भूल हमारे पूर्वजों से हुई जिसका खामियाजा हम यहां भुगत रहे हैं।’ गिरिराज सिंह ने आगे कहा, ‘अगर उस समय मुसलमान भाइयों को वहां भेज दिया गया होता तो आज यह नौबत ही नहीं आती।’ वह नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध-प्रदर्शन के संदर्भ में बोल रहे थे।