गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से इस्तीफ़ा
वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया है। आजाद ने कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की प्रचार कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और साथ ही जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस की राजनीतिक मामलों की कमेटी के सदस्य का पद भी छोड़ दिया था।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव और 7 सितंबर से शुरू होने जा रही भारत जोड़ो यात्रा से ठीक पहले गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस छोड़ने का यह फैसला पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।
गुलाम नबी आजाद के इस कदम से यह माना जा सकता है कि कांग्रेस के लिए जम्मू-कश्मीर में चुनाव लड़ पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि आजाद निर्विवाद रूप से जम्मू-कश्मीर में पार्टी के सबसे बड़े चेहरे रहे हैं।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी होगा कि गुलाम नबी आजाद ही वह नेता हैं जिनकी कयादत में कुछ साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की गई थी। आजाद कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के प्रमुख चेहरे हैं।
वरिष्ठ नेता हैं आजाद
गुलाम नबी आजाद चार प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं और 7 साल तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं। गुलाम नबी आजाद कई सालों तक कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी के सदस्य रहे हैं और कई राज्यों में पार्टी के प्रभारी भी रहे हैं। उन्होंने पार्टी को कई राज्यों में जीत भी दिलाई है।
नेतृत्व संग खटपट
पार्टी ने इस बार उन्हें राज्यसभा चुनाव में भी उम्मीदवार नहीं बनाया था। गुलाम नबी आज़ाद को जब पद्मभूषण मिला था तो उस वक्त कांग्रेस के कई नेताओं ने इसका खुले मन से स्वागत नहीं किया था और केंद्रीय नेतृत्व ने भी उन्हें इसके लिए बधाई नहीं दी थी। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में गुलाम नबी आज़ाद की तारीफ किए जाने के बाद भी कांग्रेस के भीतर आज़ाद को लेकर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं सुनाई दी थी।
आजाद ने कई बार कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताई थी। बीते साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की वर्तमान पीढ़ी सुझावों को स्वीकारने को तैयार नहीं दिखती और वरिष्ठ नेताओं की ओर से दी गई सलाहों को अपराध या विद्रोह के रूप में देखती है। उनका इशारा राहुल व प्रियंका गांधी की ओर था।
लगातार पार्टी छोड़ रहे नेता
तमाम बड़े नेता कांग्रेस छोड़ रहे हैं। बीते कुछ महीनों की बात करें तो हरियाणा में पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, पंजाब में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे सुनील जाखड़, गुजरात में कार्यकारी अध्यक्ष रहे हार्दिक पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार और आरपीएन सिंह पार्टी से किनारा कर चुके हैं।