आजाद ने बनाई नई पार्टी, नाम रखा- डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी
कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को अपनी नई पार्टी का एलान किया। उन्होंने पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा है। आजाद ने पिछले महीने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और कहा था कि वह बहुत जल्द नई पार्टी बनाकर जम्मू-कश्मीर के चुनाव मैदान में उतरेंगे।
सोमवार को जम्मू में पत्रकारों से बातचीत के दौरान अनुभवी नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नई पार्टी के लिए उन्हें लगभग डेढ़ हजार नाम मिले थे। यह नाम उर्दू और संस्कृत में भी थे। आजाद ने इस मौके पर अपनी पार्टी का झंडा भी लांच किया।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी महात्मा गांधी की विचारधारा पर चलेगी। आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कभी भी विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं और इसलिए उनकी पार्टी राजनीतिक गतिविधियों को जारी रखेगी।
आजाद ने रविवार को ही अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ अहम बैठक की थी। आजाद ने कहा है कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे को बहाल करने को मुद्दा बनाएगी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार और जमीन के मुद्दे की भी लड़ाई लड़ेगी।
कई नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस
गुलाम नबी आजाद लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहे। उन्होंने अपने इस्तीफे के पत्र में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जोरदार हमले किए थे। आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और गुलाम नबी आजाद के साथ चले गए हैं। इन नेताओं में जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री ताराचंद, पूर्व मंत्री आरएस चिब, जी एम सरूरी अब्दुल राशिद, पूर्व विधायक मोहम्मद अमीन भट सहित कई पूर्व विधायक और राज्य कांग्रेस में बड़े पदों पर रहे नेता शामिल हैं।
आजाद ने दावा किया था कि कांग्रेस पार्टी के 95 फीसद कार्यकर्ता उनके साथ हैं और पंचायत सदस्यों से लेकर डीडीसी सदस्य भी उनके साथ आएंगे। आजाद ने एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में बीजेपी के साथ किसी भी तरह के गठजोड़ की संभावनाओं से इनकार कर दिया था।
अनुभवी नेता हैं आजाद
आजाद जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के साथ ही मुख्यमंत्री, केंद्र सरकार में कई बार मंत्री, कई राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी, कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था सीडब्ल्यूसी के लंबे वक्त तक सदस्य, राज्यसभा में विपक्ष के नेता, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सहित तमाम बड़े पदों पर रह चुके हैं।
आजाद के पास सियासत का विशाल अनुभव है और जम्मू-कश्मीर में उनके समर्थकों की भी बड़ी फौज है।
जम्मू-कश्मीर में 2019 में धारा 370 के हटने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं और उसके बाद पहली बार राज्य में विधानसभा के चुनाव होंगे। देखना होगा कि गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचाते हैं।