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‘राहुल में पिता-दादी की तरह कड़ी मेहनत करने की योग्यता नहीं’

‘राहुल में पिता-दादी की तरह कड़ी मेहनत करने की योग्यता नहीं’

गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर राहुल गांधी पर हमला बोला है। क्या उनके इस तरह के हमलों से कांग्रेस को नुकसान होगा?

कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने एनडीटीवी के साथ इंटरव्यू में कहा कि आज कांग्रेस में फैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था सीडब्ल्यूसी का कोई मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि 1998 से 2004 के बीच सोनिया गांधी लगातार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करती थीं और उनकी सिफारिशों को स्वीकार करती थीं। 

आजाद ने कहा कि राहुल गांधी एक अच्छे आदमी हैं लेकिन एक राजनेता के तौर पर उनमें कौशल नहीं है, उनमें अपने पिता, दादी और चाचा की तरह कड़ी मेहनत करने की योग्यता नहीं है।  

बताना होगा कि आजाद ने बीते शुक्रवार को कांग्रेस से इस्तीफा देने के साथ ही पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर हमले किए थे। आजाद ने पार्टी छोड़ने के पीछे राहुल गांधी को ही जिम्मेदार बताया था। 

आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी ने उन्हें 8 राज्यों का प्रभारी बनाया था जिनमें से 7 राज्यों में पार्टी को जीत मिली थी। लेकिन राहुल गांधी के आने के बाद, 2004 से सोनिया गांधी ने राहुल गांधी पर ज्यादा निर्भर रहना शुरू कर दिया। आजाद ने कहा कि सोनिया चाहती थीं कि हर कोई राहुल गांधी के साथ तालमेल बैठाए। 

चौकीदार चोर है को लेकर मतभेद

आजाद ने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के पुराने नेताओं के बीच मतभेद की पहली वजह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनके द्वारा दिया गया चौकीदार चोर है का नारा थी। तब राफेल विमान सौदे में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है का नारा दिया था। 

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कांग्रेस में कई बड़े पदों पर काम कर चुके आजाद ने कहा कि किसी भी वरिष्ठ नेता ने इस नारे का समर्थन नहीं किया था। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी से उनकी कोई व्यक्तिगत नाराजगी नहीं है। 

आजाद ने कहा कि उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा कांग्रेस छोड़ने के बाद पहली बार पत्रकारों के सामने आए आजाद ने कहा कि जब घर वालों को लगे कि यह आदमी नहीं चाहिए और आदमी को भी यह लगे कि हमें पराया समझा जा रहा है तो आदमी को घर छोड़कर निकल जाना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और गुलाम नबी आजाद ने एलान किया है कि वह अपनी पार्टी बनाएंगे। यह तय है कि गुलाम नबी आजाद की पार्टी विधानसभा चुनाव लड़ेगी।

आजाद के समर्थन में जम्मू-कश्मीर में कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सहित प्रदेश कांग्रेस में अहम पदों पर रहे नेता शामिल हैं।

जयराम रमेश को दिया जवाब

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के द्वारा गुलाम नबी आजाद का डीएनए 'मोदी-फाइड' हो गया, वाले बयान पर आजाद ने कहा कि ऐसे लोग न ब्लॉक कांग्रेस में रहे हैं, न जिले में। आजाद ने कहा कि उन्हें चेक करवाना चाहिए कि किस-किस पार्टी में उनका डीएनए रहा है। 

आजाद ने कहा कि ऐसे बाहरी लोग जिनका कोई अता-पता नहीं है और जिन्हें ट्वीट करने के लिए पद मिले हैं, ऐसे लोग जब आरोप लगाएं तो बुरा लगता है। 

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आजाद ने इस बात को भी साफ किया कि उनकी विदाई वाले दिन राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों भावुक हुए थे। उन्होंने कहा कि जब वह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे तो उस वक्त वहां एक आतंकी हमला हुआ था। उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी का फोन आया था और वह (आजाद) उनसे बात नहीं कर सके और चिल्ला रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आजाद ऐसे रोए कि जैसे इनके परिवार का कोई शख्स गुजर गया हो। 

कांग्रेस में लंबे वक्त तक रहे आजाद ने कहा कि न तो वह प्रधानमंत्री के लिए रोए और न प्रधानमंत्री उनके लिए।

आजाद ने कहा कि वह लंबे वक्त तक कैंपेन कमेटी के चेयरमैन थे। उन्होंने कहा कि इस बार कांग्रेस बंगाल, असम और केरल इन तीनों राज्यों में जहां कश्मीर के बाद मुस्लिम आबादी ज्यादा है, तीनों राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा और 40 साल में ऐसा हुआ पहली बार हुआ जब उन्हें इस कमेटी का सदस्य तक नहीं बनाया गया। 

आजाद कांग्रेस में बागी नेताओं के गुट G-23 के नेता रहे हैं और यह माना जा रहा है कि उनके पार्टी छोड़ने के बाद इस गुट के कुछ और नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।

आजाद के बयान के बाद जयराम रमेश ने भी ट्वीट कर उन्हें जवाब दिया है। रमेश ने कहा कि आजाद वर्षों तक जिस पार्टी में रहे। जहां उन्हें सब कुछ मिला। उन्हें उसी पार्टी को बदनाम करने का काम सौंपा गया है।

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