ग़रीबों को रसोई गैस का मुफ़्त कनेक्शन देने की उज्ज्वला योजना पर आलोचना झेलने के बाद केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 शुरू करने का एलान किया है।
इसके तहत ग़रीबों को मुफ़्त रसोई गैस कनेक्शन के साथ-साथ पहला गैस सिलिंडर और एक चूल्हा भी मुफ़्त दिया जाएगा।
इस पूरी प्रक्रिया में काग़ज़ी कार्रवाई में कटौती की गई है। अब प्रवासियों को राशन कार्ड या स्थायी ठिकाने का प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं होगी, एक डिक्लेरेशन काफी होगा।
उज्ज्वला योजना 2.0
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को उत्तर प्रदेश के महोबा में टेली कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 शुरू करेंगे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा है, "केंद्रीय बजट 2020-21 में अतिरिक्त एक करोड़ रसोई गैस कनेक्शन की व्यवस्था करने का एलान किया गया था। जिन ग़रीबों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत फ़ायदा नहीं मिल सका था, उनके लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0 शुरू की जा रही है।"
पहली उज्ज्वला योजना में सरकार सिर्फ रसोई गैस के कनेक्शन के लिए 1600 रुपए की जमा राशि की आर्थिक सहायता देती थी। गैस कनेक्शन पाने वाले परिवार स्टोव और सिलिंडर के लिए बिना ब्याज के क़र्ज़ ले सकते थे।
उज्ज्वला योजना के तहत ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वाली पाँच करोड़ महिलाओं को मुफ़्त गैस कनेक्शन दी गई थी। बाद में इसे बढ़ा कर अप्रैल 2018 तक कर दिया गया था। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति, अत्यंत पिछड़े समुदाय, चाय बागान, जंगलों में रहने वालों, द्वीपों पर रहने वालों को भी शामिल किया गया था। सरकार ने इसका लक्ष्य भी बढा कर आठ करोड़ कनेक्शन कर दिया था।
उज्ज्वला 2.0 के अंतर्गत बग़ैर जमानत की रकम के मुफ़्त कनेक्शन के साथ मुफ़्त पहला सिलिंडर और एक स्टोव भी मुफ्त में दिया जाएगा।
राशन कार्ड ज़रूरी नहीं
इसके अलावा इसके लिए ऑनलाइन आवेदन का प्रावधान होगा।
एक प्रवासी परिवार को अलग गैस कनेक्शन भी मिल सकता है। इस योजना में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के ग़रीब परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी।
आलोचना
पहली उज्ज्वला योजना की आलोचना यह कह कर की गई थी कि मुफ़्त कनेक्शन दरअसल सब्सिडी का ही हिस्सा था।
यह भी कहा गया था कि ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों में से जिनके पास राशन कार्ड या आधार नहीं है, उन्हें इसका लाभ नहीं मिल सकेगा।
लेकिन आलोचना का सबसे बड़ा मुद्दा यह था कि रसोई गैस सिलिंडर की कीमत लगातार बढ़ती गई और अब बग़ैर सब्सिडी इसकी कीमत 850 रुपए के आसपास है।
ऊँची कीमत के कारण ग़रीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए रसोई गैस सिलिंडर भरवाना मुमकिन नहीं रहा और ज़्यादातर लोगों ने कनेक्शन लेने के बाद दूसरी बार गैस सिलिंडर नहीं भरवाया।
वे लकड़ी का चूल्हा, उपले वगैरह जैसे पुराने व पारंपरिक तरीकों की ओर लौट गए। मामला ढाक के तीन पात बन कर रह गया।
गेम चेंजर या चुनावी समीकरण?
बता दें कि अगले साल पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। इसमें सबसे अहम उत्तर प्रदेश है क्योंकि वहां सबसे अधिक सीटें हैं, प्रधानमंत्री का निर्वाचन क्षेत्र है और उत्तर प्रदेश पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करता है।
ऐसे में मुफ़्त कनेक्शन के साथ-साथ मुफ़्त गैस सिलिंडर ही नहीं, मुफ़्त चूल्हा देने की योजना बीजेपी के लिए 'गेम चेंजर' साबित हो सकता है। ग़रीबी रेखा से नीचे ही नहीं, दूसरे वर्ग भी इससे खुश होंगे और बीजेपी को ग़रीब-हितैषी छवि बनाने में इससे सहूलियत होगी।
रसोई गैस की बेतहाशा बढ़ती कीमत पर भी बीजेपी जवाब ढूंढ सकेगी और तर्क दे सकेगी कि ग़रीबों को ध्यान में रखा गया है।