ट्विटर के ख़िलाफ़ धड़ाधड़ एफ़आईआर, अब तक दर्ज़ हुई चार
नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर केंद्र सरकार से भिड़ने वाले सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्विटर के ख़िलाफ़ चौथी एफ़आईआर दर्ज़ हुई है। यह ताज़ा एफ़आईआर मंगलवार को चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी (बच्चों से जुड़ी अश्लीलता) को लेकर दर्ज़ हुई है। यह एफ़आईआर पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज़ की गई है।
नए डिजिटल नियमों को मानने में आनाकानी करने वाले ट्विटर को मिली क़ानूनी सुरक्षा ख़त्म होने के बाद से उस पर धड़ाधड़ एफ़आईआर हो रही हैं। ट्विटर को मध्यस्थता के तौर पर मिली क़ानूनी सुरक्षा ख़त्म होने के बाद अब उस पर भारत के वही क़ानून लागू होते हैं जो किसी भी दूसरे पब्लिशर पर लागू होते हैं।
सरकार ने ट्विटर को नए डिजिटल नियमों के पालन को लेकर ‘अंतिम नोटिस’ भी भेजा था और कहा था कि अगर वह नियमों को नहीं मानता है तो वह नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे और अब यही हो रहा है।
यह ताज़ा एफ़आईआर दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग या एनसीपीसीआर की शिकायत पर दर्ज़ की है। एनसीपीसीआर ने शिकायत में कहा है कि ट्विटर पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री लगातार पोस्ट की जा रही थी।
इस महीने की शुरुआत में ट्विटर के ख़िलाफ़ ग़ाज़ियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भी एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी और इसके इंडिया हेड मनीष माहेश्वरी से लोनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था।
इस मामले में मनीष माहेश्वरी को कर्नाटक हाई कोर्ट से अंतरिम राहत मिली थी लेकिन यूपी पुलिस इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। लेकिन माहेश्वरी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाख़िल कर दी है जिसका मतलब है कि अदालत इस मामले में कोई आदेश देने से पहले उनका पक्ष भी सुने।
जम्मू और कश्मीर को अलग देश दिखाने पर ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की गई है। इसी मामले में मध्य प्रदेश में माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एक और एफ़आईआर दर्ज़ की गई है।
केंद्र सरकार के नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कम्प्लायेंस अफ़सर, नोडल कांटेक्ट अफ़सर और रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर को नियुक्त करना होगा और हर महीने सरकार को रिपोर्ट देनी होगी। सरकार ने इन अफ़सरों को नियुक्त करने के लिए तीन महीने का वक़्त दिया था जो 25 मई को ख़त्म हो गया था और उसके बाद से सरकार और ट्विटर के बीच खटपट जारी है।
ना-नुकुर कर रहा ट्विटर
गूगल, फ़ेसबुक और वाट्सऐप नए डिजिटल नियमों को मान रहे हैं लेकिन ट्विटर इसमें ना-नुकुर कर रहा है। मरकज़ी हुक़ूमत का कहना है कि जिन सोशल मीडिया कंपनियों के 50 लाख यूजर्स हैं, उन्हें भारत में रहने वाले और उनकी कंपनी में काम कर रहे शख़्स को ही इन पदों पर नियुक्त करना होगा।
ट्विटर ने जिस शख़्स को अंतरिम रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर के पद पर तैनात किया था, उसने भी एक महीने से पहले ही इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। इस शख़्स का नाम धर्मेन्द्र चातुर है।
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि ट्विटर को नए डिजिटल या सोशल मीडिया नियमों के पालन करने के कई मौक़े दिए गए लेकिन उसने जानबूझकर सरकार की बात नहीं मानी।