कश्मीर पर प्रोपेगेंडा फैला रहा विदेशी मीडिया, पूरी आज़ादी: पुलिस अफ़सर
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक शीर्ष अफ़सर ने कश्मीर में हालात ख़राब होने के विदेशी मीडिया के दावे को ग़लत बताया है। शीर्ष पुलिस अफ़सर इम्तियाज़ हुसैन ने ऐसे लोगों की निंदा की है जो घाटी में लोगों के मारे जाने की झूठी ख़बरें फैला रहे हैं। बता दें कि केंद्र और राज्य प्रशासन के दावों के उलट कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने कहा था कि घाटी में प्रतिबंधों में ढील दिये जाने के बाद श्रीनगर सहित कुछ इलाक़ों में लोग सड़कों पर उतरे हैं और उन्होंने प्रदर्शन भी किये हैं। पहले केंद्र सरकार ने भी इन ख़बरों को नकारा था लेकिन बाद में सरकार ने माना कि छिटपुट घटनाएँ हुई हैं। बता दें कि अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही राज्य के कई इलाक़ों में अभी भी कर्फ्यू लगा हुआ है। लेकिन हुसैन ने विदेशी मीडिया के दावों को पूरी तरह नकारते हुए कहा है कि कश्मीर में कोई प्रतिबंध नहीं है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अफ़सर इम्तियाज़ हुसैन ने मंगलवार को ट्वीट किया कि 4 अगस्त के बाद से कश्मीर में अभी तक सिर्फ़ चार लोगों की मौत हुई है। बता दें कि 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म कर दिया था और राज्य को दो हिस्सों में बाँट दिया था और तभी से वहाँ कर्फ्यू लगा हुआ है और बड़ी संख्या में जवान तैनात हैं।
इम्तियाज़ ने कहा कि घाटी में जो चार लोग मारे गए हैं, उनमें से एक आतंकवादी था और दूसरा सिपाही और दोनों ही बारामुला में हुई एक मुठभेड़ में मारे गए थे। इसके अलावा पाकिस्तानी आतंकवादियों ने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी जबकि पाकिस्तान के कहने पर भड़के दंगाइयों ने एक ट्रक ड्राइवर की पत्थरों से मार-मारकर हत्या कर दी थी।
Also one terrorist and one policeman killed in a gunfight in Baramulla. Total 04 killings since August 04.
— Imtiyaz Hussain (@hussain_imtiyaz) August 27, 2019
There is no so called siege or lockdown. People are free to move and there is huge rush on roads. https://t.co/7tIWnPqSUY
हुसैन ने अपने ट्वीट में बीबीसी उर्दू, अल ज़ज़ीरा और न्यूयार्क टाइम्स को भी टैग किया है। बता दें कि बीबीसी, रॉयटर्स और अल जज़ीरा के हवाले से ख़बर आई थी कि 16 अगस्त को शुक्रवार के दिन जब नमाज़ के लिये कर्फ़्यू में ढील दी गयी थी तो सैकड़ों की संख्या में लोग सौरा इलाक़े में इकट्ठा हो गये थे और वे श्रीनगर के प्रमुख चौराहे की तरफ़ बढ़ने लगे थे। भीड़ को आगे बढ़ने से रोकने के लिये पुलिस ने आँसू गैस के गोले छोड़े थे, पैलेट गन का इस्तेमाल किया था और हवा में गोलियाँ चलाई थीं। अल जज़ीरा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि 10 हज़ार लोगों ने प्रदर्शन किया था। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एएफ़पी ने भी ख़बर दी थी कि जब लोग श्रीनगर की सड़कों पर उतरे तो पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ था।
हुसैन का बयान ऐसे समय में आया है जब जम्मू-कश्मीर के मसले पर गृह मंत्रालय में बुधवार को उच्च स्तरीय बैठक होने वाली है। ख़बरों के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर में स्कूल और कॉलेजों के खुलने से और छात्रों के स्कूलों में आने के कारण धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। लैंडलाइन और मोबाइल सेवाएँ भी राज्य के कई इलाक़ों में बहाल कर दी गई हैं। प्रशासन ने ईद के दिन के बाद से ही प्रतिबंधों में ढील देनी शुरू कर दी थी।
हुसैन ने ट्विटर पर लिखा कि घाटी में किसी भी तरह की कथित रोकटोक या बंदी की स्थिति नहीं है। लोग घूमने-फिरने के लिए स्वतंत्र हैं और सड़कों पर काफ़ी भीड़ है।
बता दें कि मंगलवार को ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के जनसंपर्क निदेशक सहरिश असगर ने कहा है कि जिन इलाक़ों में प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है, वहाँ हाई स्कूल फिर से खुलेंगे। असगर ने कहा कि बृहस्पतिवार से 10 पुलिस थानों को खोला जायेगा जबकि जिन इलाक़ों से प्रतिबंध हटा लिया गया है, वहाँ लोग दुकानें खोल सकते हैं।
असगर ने यह भी कहा कि मंगलवार शाम से ही 15 और टेलीफ़ोन एक्सचेंज में सेवाएँ बहाल कर दी गई हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, राज्य के शिक्षा निदेशक यूनिस मलिक ने कहा, ‘हम पहले ही प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को खोले जाने की घोषणा कर चुके हैं और जिन इलाक़ों में प्रतिबंध ख़त्म किये जा चुके हैं, बुधवार से (आज) वहाँ हाई स्कूलों के खोले जाने की घोषणा कर रहे हैं।’मलिक ने कहा कि घाटी में 3,037 प्राथमिक और 774 माध्यमिक स्कूलों को फिर से खोला जा चुका है और पिछले एक हफ़्ते में स्कूलों में टीचरों की उपस्थिति में काफ़ी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि हम स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ाने के पूरे प्रयास कर रहे हैं।