लोकसभा चुनाव प्रक्रिया के बीच क़रीबियों के यहां आयकर छापे से बेहद ख़फ़ा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ‘टिट फॉर टेट’ के ‘मोड’ में आ गये हैं। शिवराज सरकार में हुए हज़ारों करोड़ से ज़्यादा के कथित ई - टेंडर घोटाले से जुड़े मामले की फ़ाइल, सरकार बनते ही खुल गई थी। लेकिन राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो अब इस मामले में बाक़ायदा एफ़आईआर करने जा रहा है। कमलनाथ सरकार ने शिवराज सरकार के अन्य घोटालों को लेकर भी अब तेज गति से जांच पूर्ण करते हुए ‘हर सप्ताह’ एक नई एफआईआर करने की ‘रणनीति’ को अंतिम रूप दे दिया है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मध्य प्रदेश सरकार और चुनाव आयोग को सूचित किए बग़ैर रविवार तड़के मुख्यमंत्री के क़रीबियों के यहां कार्रवाई की थी। कमलनाथ सरकार में सलाहकार रहे उनके क़रीब 35 बरस पुराने सहयोगी राजेन्द्र मिगलानी, ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ और अन्य संबंधियों समेत आधा दर्जन से अधिक लोगों के यहां छापे मारे गए। भोपाल, इंदौर, दिल्ली और गोवा में छापे डाले गये। सीबीडीटी रेड के कुछ घंटों बाद भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने ट्वीट किया था कि छापे में 281 करोड़ का गोलमाल मिला है। विजयवर्गीय के ट्वीट के बाद सीबीडीटी ने अपने अधिकारिक प्रेस नोट में यही आंकड़ा बताया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के क़रीबियों के यहां छापे का ज़िक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभाओं और टीवी चैनलों को दिये इंटरव्यू में भी किया।
मोदी ने चुनावी सभा और चैनलों को इंटरव्यू के दौरान तंज कसते हुए कहा, ‘चौकीदार को चोर बोलने वालों के ठिकानों से करोड़ों की काली कमाई मिल रही है। कमल नाथ को उन्होंने ‘भ्रष्टनाथ’ तक बता डाला।’ कमल नाथ और कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने छापे की कार्रवाई पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए केन्द्र की सरकार और मोदी को घेरा है।
जैसे को तैसा?
दोनों और से बयानबाजी पूरे उफ़ान पर है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के आला सूत्रों के अनुसार, आईटी छापों के बाद कमलनाथ सरकार अब ‘जैसे को तैसा’ के मूड में है। सरकार में आने के पहले जिन मुद्दों को मध्य प्रदेश कांग्रेस शिवराज सरकार के ख़िलाफ़ चुनावी हथियार बनाये हुए थी, उनमें से एक मुख्य मामले ‘ई-टेंडर’ घोटाले के जरिये पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उनकी काबीना के कई सदस्यों और भाजपा मानसिकता वाले नौकरशाहों की घेराबंदी करने वाली है।
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ई-टेंडर घोटाले को लेकर एफ़आईआर करने वाला है। मुख्यमंत्री द्वारा ई.ओ.डब्ल्यू. को ‘फ्री हैंड’ दे दिये जाने के संकेत भी सूत्रों ने दिये हैं।
संकेतों के अनुसार, एफ़आई आर के बाद तत्कालीन सरकार से जुड़े नेताओं और घोटाले में लिप्त पाये जा रहे लोगों (टेंडर प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने के लिये कथित तौर पर दोषी ओस्मो आईटी सोल्यूशन तथा मददगार नौकरशाहों) के यहां राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की छापामारी का सिलसिला शुरू हो सकता है।
ये विभाग है निशाने पर
लोक निर्माण, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी और जल संसधान विभाग पहली नजर में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के निशाने पर हैं।
ई-टेन्डरिंग में गड़बड़ी
ब्यूरो ने प्रारंभिक जांच में 3 हज़ार करोड़ रूपयों का ठेका देने में ई-टेडरिंग से जुड़ी तमाम अनियमिताएं पकड़ी हैं। ई-टेडरिंग में गड़बड़ियों की शिकायतों की जांच केन्द्र सरकार की कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट) से कराई जा चुकी है। सर्ट ने अपनी जांच की रिपोर्ट में अनेक गड़बड़ियां स्वीकारी हैं। मध्य प्रदेश का आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो सर्ट की रिपोर्ट के आधार पर ही प्राथमिकी दर्ज कर रहा है।
.....तो 20 दिन पहले दर्ज हो जाता मामला
सूत्रों का कहना है कि सर्ट ने मध्यप्रदेश की नई सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट जनवरी में सौंप दी थी। ईओडब्ल्यू ने समस्त पहलुओं पर विचार करने के बाद एफआईआर की तैयारी कर ली थी। मार्च के दूसरे सप्ताह में मामला दर्ज होने की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई थीं, लेकिन आखिर समय में मिले उच्च स्तर के निर्देश के बाद एफ़आईआर दर्ज होते-होते रह गई थी।
आईडी-पासवर्ड ना बदलने से हुआ ‘खेल’
सूत्र बताते हैं कि ई-टेंडर बनाने वाली एंटारेस कंपनी ने ई टेंडर पोर्टल की परफारमेंस टेस्टिंग का काम ओस्मो आईटी सोल्यूशन को दिया था। टेस्टिंग के लिए ओस्मो को आईडी और पासवर्ड दिया गया था।
ओस्मो को बाद में बीच से हटा दिया गया था, लेकिन कंपनी मूल आईडी और पासवर्ड बदलना भूल गई थी। कंपनी की कथित भूल का ओस्मो ने जमकर दुरूपयोग किया और हजारों करोड़ के टेंडरों में छेड़छाड़ होती रही।
टेंडरों में हेरफेर करने संबंधी ओस्मो के खिलाफ पुख़्ता सबूत जांच में मिले बताये गये हैं।
आगाज़ ई-टेडरिंग से
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार भाजपा शासनकाल के कथित काले कारनामों को लेकर एफ़आईआर दर्ज करने का आगाज़ ई-टेडरिंग घोटाले से करने जा रही है। इसके बाद आधा दर्जन अन्य मामलों को लेकर भी सरकार की एफआईआर करने की तैयारी है। जिन अन्य मामलों को लेकर एफ़आईआर की संभावनाएं जताई जा रही हैं, उनमें माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में ज़बरदस्त अनियमितताओं, जन अभियान परिषद में भर्तियां, सांसद निधि के दुरूपयोग समेत शिवराज सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार के आधा दर्जन बड़े मामले शामिल बताये जा रहे हैं।
'गीदड़ भभकियों से बीजेपी नहीं डरती'
शिवराज सरकार में प्रवक्ता रहे पूर्व मंत्री और मध्य प्रदेश बीजेपी के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा का कहना है, ‘शिवराज सरकार ने हर काम, नियम और क़ायदे से किया है। कमलनाथ सरकार की गीदड़ भभकियों से बीजेपी डरने वाली नहीं है।’
'ज़र्रे-ज़र्रे में भ्रष्टाचार'
पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह कई अवसरों पर कह चुके हैं कि तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हर तरफ ज़बरदस्त भ्रष्टाचार हुआ है। सिंह का दावा तो यह भी रहा है कि - ‘नई सरकार को ज़र्रे-ज़र्रे में भ्रष्टाचार के सबूत मिल रहे हैं।’