वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस में दावा किया कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और इसके लक्षण साफ़ दिखने लगे हैं। उन्होंने इसके पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि महँगाई पर क़ाबू पा लिया गया है और महंगाई दर पहले के अनुमान से कम है। उन्होंने कहा कि महँगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे ही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी बैंकों ने पहले से ज़्यादा कर्ज दिए हैं, इनमें से ज़्यादातर कर्ज उद्योग-धंधे से जुड़े लोगों ने लिए हैं। इससे यह साफ़ है कि अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और लोग पैसे लगा रहे हैं। इसके साथ ही निवेश बढ़ा है, विदेशी निवेश में भी बढ़ोतरी हुई है। निर्मला सीतारमण ने बताया कि बैंकों ने इस दौरान कितने का कर्ज दिया है, इसकी जानकारी लेने के लिए वह 19 सितंबर को सरकारी बैंकों के प्रमुख के साथ बैठक करेंगी।
वित्त मंत्री ने इसके पहले दो बार अलग अलग समय कई बड़ी घोषणाएँ की थीं ताकि अर्थव्यवस्था को सहारा दिया जा सके। उन्होंने स्टार्ट अप कंपनियोें से लेकर ऑटो उद्योग को सहारा देने की बात कही थीं और उससे जुड़ी घोषणाएँ की थीं। यह कहा गया था कि सरकार अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को 70 हज़ार करोड़ रुपये देगी। निर्मला सीतारमण ने मोटर कार और अन्य उद्योगों की मदद के लिए कई सुधारों का एलान भी किया। वित्त मंत्री ने दुनिया भर में उद्योगों में मंदी है, लेकिन भारत में विकास दर अमेरिका और चीन से बेहतर है।
उन्होंने 30 दिनों में जीएसटी रिफंड, बैंकों में 70 हजार करोड़ की पूंजी डालने, फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स पर बढ़े सरचार्ज को वापस लेने का ऐलान किया था।इस समय सरकार विपक्ष के निशाने पर है और सरकार के सामने यह चुनौती है कि इस आर्थिक सुस्ती से कैसे निपटा जाए। पिछली तिमाही में विकास दर घटकर 5 फीसदी पर आ गई। इसके बाद सरकार की नीतियों को लेकर विपक्ष घेरने का मौका नहीं छोड़ रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को इस संकट के लिए ज़िम्मेदार ठहराया।
वित्त मंत्री ने इसके बाद बैंकों के विलय का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि 10 सरकारी बैंकों को मिला कर 4 बैंक बनाए जाएँगे। इससे बैंकों का कन्सोलिडेशन होगा जो आगे चल कर बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करेगा।