केंद्रीय बजट को किसानों ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। किसानों के बड़े संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गांवों में बजट की प्रतियां जलाने का आह्वान किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तीखा हमला करते हुए एसकेएम ने उन पर केंद्रीय बजट 2024-25 में किसानों और श्रमिकों की कीमत पर कृषि के कॉर्पोरेटीकरण को तरजीह देने का आरोप लगाया।
एसकेएम ने आरोप लगाया कि बजट में किसानों और श्रमिकों के व्यापक ऋण माफी की लंबे समय से लंबित मांग की उपेक्षा की गई है, जबकि आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, देश में हर दिन 31 किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
एसकेएम नेताओं ने कई क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जहां बजट कृषि समुदाय की जरूरतों और मांगों को पूरा करने में विफल रहा, जबकि बहुराष्ट्रीय निगमों (एमएनसी) और अति-अमीर लोगों को लाभ पहुंचा रहा है। एसकेएम से जुड़े किसान संगठनों के नेताओं ने पहले ऑनलाइन मीटिंग की और अपने विचारों का आदान-प्रदान इस मुद्दे पर किया। इसके बाद एसकेएम ने अपना प्रेस नोट जारी किया।
एसकेएम ने कहा- “कोई एमएसपी (@C2+50 पीसदी) नहीं, कोई न्यूनतम मजदूरी नहीं, मनरेगा में कोई वेतन वृद्धि नहीं, खाद सब्सिडी में कटौती, 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में ले जाने से खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी, और सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र में 30 लाख रिक्तियों पर कोई भर्ती नहीं होगी। किसानों और श्रमिकों के लिए कोई व्यापक ऋण माफी नहीं, लेकिन बहुराष्ट्रीय कंपनियों को 5 प्रतिशत टैक्स में कटौती और कॉर्पोरेट्स पर कोई टैक्स नहीं। एसकेएम राष्ट्रीय सहयोग नीति का विरोध करता है, केंद्रीय सहयोग मंत्रालय को खत्म करने की मांग करता है। यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण के लिए कुछ नहीं कर पाया है।”
एसकेएम ने खेती के कॉरपोरेटाइजेशन की दिशा में बढ़ने की निंदा करते हुए कहा कि यह राज्य सरकारों के अधिकारों को कमजोर करता है और संविधान के संघीय चरित्र का उल्लंघन करता है। कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने और निजी क्षेत्र के अनुसंधान और विकास को वित्तपोषित करने पर बजट के जोर को पिछले दरवाजे से विवादास्पद कृषि कानूनों को फिर से लागू करने के तरीके के रूप में देखा गया।
एसकेएम को किस बात पर ज्यादा आपत्ति हैः
- बजट में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को 5 फीसदी टैक्स कटौती की पेशकश।
- अमीरों पर कोई नया टैक्स नहीं।
- 67 फीसदी जीएसटी सबसे गरीब 50 पीसदी आबादी से एकत्र किया जाता है।
- यह स्पष्ट रूप से किसान विरोधी और श्रमिक विरोधी पूर्वाग्रह को उजागर करता है।
कृषि लागत पर 50 फीसदी मार्जिन देने के वित्त मंत्री के दावे को एसकेएम ने असत्य करार दिया, जिसने एमएसपी पर एक श्वेत पत्र के माध्यम से पारदर्शिता की मांग की है। इसके अतिरिक्त, बजट में आरबीआई से महत्वपूर्ण अधिशेष हस्तांतरण के बावजूद किसानों और श्रमिकों के लिए व्यापक ऋण माफी की उपेक्षा की गई।
एसकेएम ने कहा कि उत्पादन लागत में वृद्धि और खाद्य सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए खाद सब्सिडी में कटौती और बीज, खाद और मशीनरी जैसे कृषि इनपुट पर जीएसटी जारी रखने की आलोचना की गई। 9.3 करोड़ में से 1 करोड़ किसानों के लिए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के कदम को कृषि उत्पादन के लिए हानिकारक माना गया।
एसकेएम नेताओं ने आलोचना की कि बजट में न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह, 30 लाख सरकारी रिक्तियों में भर्ती और मनरेगा के तहत वेतन वृद्धि की मांगों को नजरअंदाज कर दिया गया है। यह आवारा पशुओं के खतरे के कारण फसल के नुकसान, गन्ना किसानों के बकाया और विभिन्न कृषि क्षेत्रों के लिए अच्छे उपाय देने में भी विफल रहा।