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किसानों का भारत बंद: शंभू सीमा पर सुरक्षा बलों ने आंसू गैस छोड़ी

किसानों का भारत बंद: शंभू सीमा पर सुरक्षा बलों ने आंसू गैस छोड़ी

प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए पूरे देश भर में प्रदर्शन कर रहे हैं। जानिए, पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शन के दौरान क्या हुआ।

किसान नेताओं और सरकार के बीच सकारात्मक बातचीत के बीच शुक्रवार को भारत बंद रखा गया। लेकिन इस बीच पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को आंसू गैस का सामना करना पड़ा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा बलों ने आँसू गैस से उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की। यह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, किसान संघों के प्रमुखों और केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, अर्जुन मुंडा और नित्यानंद राय के बीच शुक्रवार तड़के संपन्न हुई तीसरे दौर की वार्ता के बाद हुआ है।

वार्ता के बाद प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहने की संभावना जताई गई थी। लेकिन शंभू सीमा पर हलचल रही। पंजाब के प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा के साथ राज्य की सीमा पर स्थित दो स्थानों शंभू और खनौरी पर रुके हुए हैं, जब वे बैरिकेड की ओर बढ़े तो हरियाणा पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। किसानों का आंदोलन शुक्रवार को चौथे दिन में प्रवेश कर गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने लगभग 50 ट्रेड यूनियन नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया है, जो आंदोलनकारी किसानों की मांगों के समर्थन में लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे थे। 

अपनी फसलों के लिए एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित 12 मांगों को लेकर किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया। इसमें उनके साथ मज़दूर यूनियन भी हैं। किसानों ने इसे ग्रामीण भारत बंद नाम दिया। बंद सुबह छह बजे से लेकर शाम 4 बजे तक रहा। इसके मद्देनज़र कई जगहों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। गौतम बौद्ध नगर पुलिस ने तो किसान संघों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के मद्देनजर जिले भर में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लागू करने की घोषणा की थी। 

एसकेएम का हिस्सा भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने पहले से किसानों की कई अधूरी मांगों का हवाला देते हुए 16 फरवरी को भारत बंद का आह्वान किया था। किसान नेताओं ने कहा कि उनकी यूनियन द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान किसानों को सरकार पर मांगों के लिए दबाव बनाने के लिए एक दिन के लिए अपना काम बंद करने के लिए कहा गया।

बीकेयू के नेता पवन खटाना ने गुरुवार को पीटीआई से कहा था, 'किसानों से कहा गया है कि वे शुक्रवार को खेतों में काम न करें या किसी भी खरीदारी के लिए बाजार न जाएं। व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों से भी कल हड़ताल में शामिल होने का आह्वान किया गया है।'

किसान नेता ने कहा था कि प्रदर्शनकारी अपने क्षेत्रों में बने रहेंगे और दिल्ली की ओर मार्च नहीं करेंगे। इस बीच, यहां व्यापारियों के एक वर्ग ने प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार से मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए बातचीत करने का आग्रह किया है।

ग्रामीण इलाक़ों में औद्योगिक गतिविधियों को भी बंद रखा गया। देश भर में कई जगहों पर प्रमुख मार्गों पर जाम लगा रहा।

भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि ग्रामीण भारत बंद करने की अपील की गई। उन्होंने कहा था कि किसानों से अपील की है, 16 फरवरी को वे गन्ने की छोल और तोल दोनों बंद रखें, इस दिन वह खेतों में न जाएँ और व्यापारी भी दुकानों को बंद रखें।

आंदोलनकारी संगठन ने आम लोगों से जुड़ी आवश्यक सेवाओं को प्रभावित न करने का आश्वासन दिया था। ग्रामीण क्षेत्र से गुजरने वाली ऐम्बुलेंस और स्वास्थ्य सेवा पर इसका असर नहीं रहा।

भारत बंद में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों और ट्रेड यूनियनों ने पिछली पेंशन योजना को समाप्त करने और आठवें वेतनमान आयोग की स्थापना करने का अपना इरादा जताया है। बैंक खुले रहे और सामान्य रूप से कामकाज चला।

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