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जेवर हवाईअड्डा : मोदी करेंगे भूमि पूजन, ज़मीन को लेकर हाई कोर्ट में मामला

जेवर हवाईअड्डा : मोदी करेंगे भूमि पूजन, ज़मीन को लेकर हाई कोर्ट में मामला

जेवर हवाईअड्डे का शिलान्यास होने को है, पर भूमि अधिग्रहण के ख़िलाफ़ इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुक़मा दायर कर दिया गया है। लेकिन क्यों?

क्या उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 की तैयारियाँ शुरू करने के पहले आनन फानन में जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की परियोजना पर काम शुरू कर दिया गया? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूपी चुनाव का प्रचार अभियान विधिवत शुरू करें, इसके पहले ही जेवर हवाई अड्डे का काम शुरू करने की अफरातफरी में भूमि अधिग्रहण किया गया?

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि गुरुवार को प्रधानमंत्री भूमि पूजा व शिलान्यास करें, उसके कुछ घंटे पहले तक कई किसानों को न तो मुआवज़ा की कोई रकम मिली, न ही उनसे ज़मीन लेने के बाद वैकल्पिक ज़मीन दी गई, उनके तात्कालिक रूप से रहने का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया।

ऐसे समय जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पहले चरण की 5,730 करोड़ रुपए की परियोजना का शिलान्यास कर रहे होंगे, कुछ दूरी पर ही कुछ किसान खुले आसमान के नीचे अपने छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों के साथ ठिठुर रहे होंगे।

वजह साफ है, उनकी ज़मीन ले ली गई, उस पर शुरुआती काम शुरू हो गया, पर उन्हें कुछ नहीं मिला, न पैसा, न ज़मीन, न सिर छुपाने को जगह। 

रूही गाँव

मोदी गुरुवार को जिस जगह भूमि पूजन करेंगे, वहाँ से कुछ मीटर की दूरी पर है रूही गाँव। इस गाँव के ज़मीन का अधिग्रहण हो गया और उसके 100 बासिंदों को वहाँ से खदेड़ दिया गया, उनके घर तोड़ दिए, ज़मीन समतल कर दिया गया। 

इन बाशिंदों में से ज़्यादातर थोड़ी दूर पर प्लास्टिक के टेंट बना कर रह रहे हैं। वहां एक टेन्ट में रहने वाले ओम पाल ने 'एनडीटीवी' से कहा, "मेरी फ़ाइल तीन महीने से रुकी हुई है। वह सरकारी बाबुओं के हाथ में है।"

ओमपाल जैसे और लोग भी हैं। राम स्वरूप का 90 मीटर में बना पक्का मकान था, वे भी अब प्लास्टिक के टेन्ट में रहने को मजबूर है। 

नांगल शरीफ़ गाँव

रूही से कुछ दूरी है पर है नांगल शरीफ़। इस गाँव के 15 लोगों की ज़मीन जेवर हवाई अड्डे के लिए ली गई। उन सबका घर ढहा दिया गया, वे खुद प्लास्टिक के घर बना कर रह रहे हैं। पूरे इलाक़े में न बिजली है न पानी।

ऐसे ही एक टेन्ट में रहते हैं हसन मुहम्मद। उनका कहना है कि उन्हें मुआवजा तो मिला है, पर ज़मीन का पट्टा नहीं दिया गया है। वे अपनी पत्नी व बच्चों के साथ एक प्लास्टिक टेन्ट में रहते हैं। 

उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "मुझे साढे पाँच लाख रुपए मिले, पर जमीन नहीं दी गई हालांकि मेरे तमाम कागजात सही हैं। अब मैं कहा जाऊँ?"

 - Satya Hindi

जिन लोगों को 50 मीटर ज़मीन दी गई है, वे भी वहीं रहने को मजबूर हैं। पहले उनका घर था, मवेशी थे, अब वे वहां से दूर 50 मीटर के घर में मवेशी कहाँ  रखें, सवाल यह है। 

हाई कोर्ट में मामला दर्ज

जेवर हवाई अड्डे की वजह से बेघर हुए खेड़ा दयानतपुर गाँव के अजय प्रताप सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुक़दमा दायर कर दिया है। उन्होंने याचिका में कहा है कि उन्हें भूमि अधिग्रहण क़ानून के प्रावधानों के अनुरूप मुआवजा नहीं दिया गया है। 

उन्होंने कहा

यह कभी नहीं होता कि आपका घर तो ग्रामीण इलाक़ा माना जाए, पर आपकी खेती की जमीन को शहरी घोषित कर दिया जाए। मेरे घर को ग्रामीण इलाक़ा बता कर सर्कल रेट का चार गुणा दिया गया, पर खेती की ज़मीन को शहरी इलाक़ा घोषित कर सर्कल रेट का दूना पैसा ही दिया गया।


अजय प्रताप सिंह, याचिकाकर्ता

क्या कहना है विधायक का?

जेवर के बीजेपी विधायक बेघर हुए किसानों की दिक्क़तों को समझते हैं। वे यह मानते हैं कि जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए ज़मीन का अधिग्रहण जल्दबाजी में किया गया और किसानों को उचित मुआवजा और ज़मीन का पट्टा नहीं मिला।

जेवर हवाई अड्डे का विरोध कोई किसान नहीं कर रहा है, पर उनका कहना है कि सरकार उन्हें वैकल्पिक जमीन व मुआवजा दे दे और फिर ज़मीन पर जो करना हो, करे। पर इसका उल्टा हुआ है। 

उनसे ज़मीन ले ली गई, घर ढहा दिए गए, भूमि समतल कर दी गई। पर कुछ को मुआवज़ा नहीं मिला है तो कुछ को ज़मीन नहीं और किसी को कुछ भी नहीं। ऐसे में वे क्या करें, सवाल यह है। 

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