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किसान आंदोलन: केंद्र का यही रूख़ रहा तो सियासी नुक़सान तय- सत्यपाल मलिक

किसान आंदोलन: केंद्र का यही रूख़ रहा तो सियासी नुक़सान तय- सत्यपाल मलिक

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार भले ही लापरवाह दिख रही हो लेकिन मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक उसे लगातार आगाह कर रहे हैं।

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार भले ही लापरवाह दिख रही हो लेकिन मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक उसे लगातार आगाह कर रहे हैं। मलिक ने कहा है कि किसान आंदोलन का जल्दी से जल्दी हल निकलना चाहिए। 

एनडीटीवी के इस सवाल पर कि क्या किसान आंदोलन से बीजेपी को सियासी नुक़सान हो सकता है, मलिक ने कहा कि सरकार का यही रूख़ रहेगा तो बहुत बड़ा सियासी नुक़सान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हम पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को खो देंगे लेकिन अगर हम समझदारी से काम करेंगे तो इन जगहों के लोग हमारे साथ ही रहेंगे। 

मलिक ने कहा कि गांवों में बहुत ज़्यादा नाराज़गी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों को बुलाकर बातचीत शुरू करनी चाहिए। 

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन को 110 से ज़्यादा दिन हो चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दो महीने से किसानों और सरकार के बीच बातचीत तक नहीं हुई है और ऐसे में मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है।

मलिक की बात इसलिए भी गंभीर है क्योंकि वह किसान आंदोलन से खासे प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आते हैं और सियासत में लंबा वक़्त गुजारने के कारण निश्चित रूप से वहां की सियासी नब्ज को समझते हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा में हालात ये हैं कि बीजेपी के नेताओं का गांवों में निकलना मुश्किल हो गया है। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान सहित बीजेपी के कई नेताओं का अपने ही इलाक़ों में जोरदार विरोध हो रहा है। 

मलिक ने कुछ दिन पहले कहा था कि किसानों का अपमान नहीं किया जाना चाहिए और सरकार को एमएसपी को क़ानूनी मान्यता दे देनी चाहिए। मलिक ने कहा था कि किसी कुतिया की भी मौत हो जाती है तो सरकारें उसके लिए भी संवेदना संदेश भेजती हैं जबकि 250 किसान बॉर्डर पर मर गए हैं और कोई कुछ नहीं बोला। उनके इस बयान को लेकर काफी चर्चा भी हुई। 

किसान आंदोलन पर देखिए चर्चा- 

‘1 मिनट में पद छोड़ दूंगा’

मलिक ने एनडीटीवी से कहा कि जब सरकार और पार्टी के नेताओं को यह लगेगा कि वह उनके लिए नुक़सानदेह हैं और उनके कहने पर वे एक मिनट नहीं लगाएंगे और पद छोड़कर बाहर आ जाएंगे और फिर बिना गवर्नर रहे सब बोल देंगे। मलिक ने कहा कि उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की है। मलिक इससे पहले जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रह चुके हैं। 

चुनावी राज्यों में घूम रहे किसान 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार को लाल आंखें दिखा रहे किसान नेता इन दिनों चुनावी राज्यों के दौरे पर हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, दर्शन पाल, मंजीत सिंह, हिमांशु तिवारी, अविक साहा और योगेंद्र यादव इन चुनावी राज्यों में हो रही किसान महापंचायतों में जा रहे हैं। किसान नेता लोगों से अपील कर रहे हैं कि वे किसी भी दल को वोट दें लेकिन बीजेपी को वोट न दें। 

26 मार्च को भारत बंद 

आंदोलन को धार देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि सरकार को चेताने के लिए 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया गया है। 26 मार्च को किसान आंदोलन को चार महीने भी पूरे हो रहे हैं। किसान नेताओं ने कहा है कि इस दिन पूरे देश में हड़ताल रहेगी और सभी दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। 

इसके अलावा 28 मार्च को होलिका दहन वाले दिन किसान तीनों कृषि क़ानूनों की कॉपी जलाएंगे। किसानों की मांग तीनों कृषि क़ानूनों को ख़त्म करने के साथ ही एमएसपी को लेकर गारंटी का क़ानून बनाने की है। 

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