फ़ेसबुक का रवैया पक्षपातपूर्ण, मोदी -बीजेपी का खुल कर किया समर्थन?

08:42 pm Aug 31, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

फ़ेसबुक का भारत में असली चेहरा अब धीरे- धीरे बेनक़ाब हो रहा है। अब एक बार फिर यह आरोप लग रहा है कि भारत में वह खुलकर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है और उनकी पार्टी और सरकार की सोशल मीडिया पर मदद कर रहा है। फेसबुक दावा करता है कि वह हर देश में निष्पक्ष रहता है, न तो वह किसी पार्टी का समर्थन करता है और न ही किसी नेता का। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर अख़बार वाल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में उसके दावे की क़लई खोल दी है।

मोदी को खुला समर्थन

वाल स्ट्रीट जर्नल ने एक दूसरी रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक़ फेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर आंखी दास पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और अपनी ही कंपनी के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप लगाये हैं।

अमेरिकी पत्रिका वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि कंपनी के कर्मचारियों के आपसी संचार के लिए बने ग्रुप पर आंखी दास ने पोस्ट किया, 'हमने उनके (नरेंद्र मोदी) के लिए सोशल मीडिया की चिनगारी सुलगाई और बाकी तो इतिहास बन गया।'

आंखी दास के कहने का मतलब यह है कि फ़ेसबुक ने नरेंद्र मोदी को उनके सोशल मीडिया कैंपेन में समर्थन किया और वह चुनाव जीत गए।

बीजेपी को प्रशिक्षण 

इसी तरह अक्टूबर 2012 में दास ने कहा था, 'मोदी की बीजेपी टीम को चुनाव के पहले हमने प्रशिक्षित किया' और 'गुजरात में हमें कामयाबी मिली'।

वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक़, पूरी दुनिया में चुनाव के समय निष्पक्ष रहने की कसम खाई जाती है और आंखी दास ने जो कुछ कहा, वह इसका उल्लंघन है।

भारत का जॉर्ज बुश!

गुजरात चुनाव के बाद नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्तर पर नेता बन कर उभरे और पार्टी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना कर पेश किया। एक बार फिर फ़ेसबुक ने उनके लोगों को प्रशिक्षण दिया और उनकी हर तरह से मदद की।

फ़ेसबुक में ही काम करने वाली केटी हरबर्थ ने कहा कि आंखी दास ने 2013 में नरेंद्र मोदी को 'भारत का जॉर्ज डब्लू बुश' कहा था। कंपनी के एक आंतरिक पोस्ट में इन दोनों महिलाओं के साथ नरेंद्र मोदी की तसवीर भी प्रकाशित की गई थी।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस खबर में यह भी कहा है कि आंखी दास ने नरेंद्र मोदी की तारीफ़ करते हुए कहा था कि वह 'दबंग' हैं जिन्होंने कांग्रेस की पकड़ ख़त्म कर दी।

बीजेपी की लॉबीइंग

इतना ही नहीं, फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर ने 2014 में आंतरिक पोस्ट में यह भी कहा था कि उन्होंने बीजेपी के लिए लॉबीइंग की है। उन्होंने लिखा, 'बस अब वे आगे बढ़ें और यह चुनाव जीत जाएं।'

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, आंखी दास ने आतंरिक पोस्ट में भारत के विपक्ष के बारे में अपमानजनक बातें भी कहीं। उन्होंने ऐसे ही एक आंतरिक पोस्ट में कहा था, 

'इंडियन नैशनल कांग्रेस के साथ तुलना कर उन्हें छोटा मत कीजिए। ओह! यह नहीं लगना चाहिए कि मैं किसी का पक्ष ले रही हूँ।'


आंखी दास, पब्लिक पॉलिसी डाइरेक्टर, फ़ेसबुक के आंतरिक पोस्ट का एक अंश

बीजेपी शीर्ष नेतृत्व से नज़दीकी

आंखी दास ने यह भी साबित कर दिया कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ उनके नज़दीकी रिश्ते हैं। यह इससे जाहिर होता है कि उन्होंने एक आंतरिक पोस्ट में चुनाव के नतीजों के आने के एक दिन पहले ही उसकी भविष्यणवाणी कर दी और बताया कि किसे कितनी सीटें मिलेंगी।

आंखी दास बीते दो हफ़्तों से विवाद के केंद्र में हैं। उन पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने, बीजेपी की मदद करने और बीजेपी के नेताओं की हेट स्पीच को हटाए जाने से रोकने के आरोप लगे हैं।

बीजेपी नेताओं की हेट स्पीच!

इससे पहले भी वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी पहले की एक खबर में कहा था कि आंखी दास ने तेलंगाना के बीजेपी विधायक टी राजा सिंह की हेट स्पीच को यह कह नहीं हटने दिया कि इससे कंपनी का भारत में कारोबार प्रभावित होगा।

तेलंगाना के एक मात्र बीजेपी विधायक टी राजा सिंह ने फ़ेसबुक पोस्ट में कहा कि 'रोहिंग्या शरणार्थियों को गोली मार दी जानी चाहिए।' उन्होंने मुसलमानों को 'विश्वासघाती' क़रार दिया और धमकी दी कि वह 'मसजिदों को ढहा देंगे।' फ़ेसबुक कंपनी में नफ़रत फैलाने वाले पोस्ट पर नज़र रखने वाले लोगों ने इस पोस्ट को पकड़ लिया, अधिकारियों को इसके बारे में बताया और कहा कि इस तरह के पोस्ट को हटा दिया जाना जाहिए। इस पोस्ट को हटाने के लिए सिंह को 'ख़तरनाक व्यक्ति' घोषित करना पड़ता।

वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, आंखी दास ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि इससे भारत में कंपनी के कामकाज पर बुरा असर पड़ेगा। वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के बाद मशहूर  टाइम मैगज़ीन ने भी एक खबर छापी कि फेसबुक ने असम के एक बीजेपी विधायक शिलादित्य देव की एक हेट स्पीच को आपत्तियों के बाद भी नहीं हटाया था। अब सवाल यह उठता है कि फेसबुक मोदी सरकार और बीजेपी पर इतना मेहरबान क्यों हैं और क्यो वह निष्पक्षता के दावे के बाद बीजेपी की मदद करने पर उतारू है