इसकी पूरी आशंका है कि कोरोना संक्रमण अब सबसे भयावह रूप से भारत में फैले क्योंकि इसे रोकने के जो उपाय दूसरे देशों में किए जा रहे हैं, वे यहाँ शायद कारगर न हों।
ये उपाय पर्याप्त नहीं!
भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के 147 मामले पाए गए हैं और 3 लोगों की मौत हो गई है। संक्रमण रोकने के लिए सीमाओं को बंद कर दिया गया है, बाहर से आने वाले यात्रियों की पूरी जाँच की जा रही है और जिनमें संक्रमण के लक्षण पाए जाते हैं, उन्हें अलग-थलग किया जा रहा है।पर कई विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए ये उपाय पर्याप्त नहीं हैं।
बहुत अधिक जनसंख्या वाले शहरों और लुंजपुंज पड़ी स्वास्थ्य सेवाओं वाले देश में जाँच करने, सामाजिक कार्यक्रम रोकने व लोगों को अलग-थलग करने जैसे उपायों से बहुत लाभ नहीं होगा।
10 गुणी होगी तादाद
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से ख़ास बात करते हुए इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रीसर्च के सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड रीसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व प्रमुख टी. जैकब जॉन ने कहा है कि 15 अप्रैल तक भारत में प्रभावित लोगों की तादाद 10 गुणे बढ़ सकती है।उन्होंने कहा, 'लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यह हिमस्खलन जैसा है। जैसे जैसे समय बीत रहा है कि हर हफ़्ते इस हिमस्खलन का आकार बढ़ता ही जा रहा है।' डॉक्टर जॉन नेशनल एचआईवी-एड्स शोध केंद्र और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज के प्रमुख भी रह चुके हैं।
महाराष्ट्र में 'लॉक डाऊन'
सबसे अधिक चिंता महाराष्ट्र को लेकर है, जहाँ सबसे ज़्यादा शहरीकरण हुआ है। यहां कोरोना संक्रमण के 39 मामले पाए गए हैं, जो देश में सबसे अधिक है। सरकार ने लगभग पूरे राज्य में ही लॉकडाउन कर रखा है।सभी सार्वजनिक जगहों को बंद कर दिया गया है, विश्वविद्यालयों की परीक्षाएं टाल दी गई हैं, निजी कंपनियों से कहा गया है कि उनके कम से कम आधे कर्मचारी घर से काम करें।
इस मु्द्दे पर महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया से कहा :
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'फ़िलहाल, महाराष्ट्र संक्रमण के दूसरे स्टेज में है। पर यदि हमने इस संक्रमण को रोकने की कोशिश नहीं की तो यह तीसरे चरण में चला जाएगा, जिसमें प्रभावित लोगों की संख्या बहुत बढ़ जाएगी। हमें इस रोग को हर हाल में रोकना होगा।'
राजेश टोपे, स्वास्थ्य मंत्री, महाराष्ट्र
जनसंख्या का असर
बहुत बड़ी जनसंख्या के अलावा घनत्व भी चिंता का विषय है। विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि यहाँ प्रति वर्ग किलोमीटर 420 लोग रहते हैं। सबसे अधिक जनसंख्या चीन में है, पर घनत्व के हिसाब से भारत की स्थिति चीन से बदतर है। चीन में प्रति वर्ग किलोमीटर 148 लोग ही रहते हैं।
चिंता की दूसरी बात यह है कि भारत में झु्ग्गी-झोपड़ियों की तादाद बहुत ज़्यादा है और कम आय वर्ग के लोग बेहद बुरी स्थितियों में छोटे-छोटे घरों में ठुंसे हुए रहते हैं।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बात करते हुए नई दिल्ली में टी. एच. चान स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ के प्रोफ़ेसर के. श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि जनसंख्या की वजह से भारत की स्थिति दूसरों से अधिक चिंताजनक है। उन्होंने कहा :
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'सामाजिक तौर पर दूरी बनाने की बात को काफी बढ़ा-चढ़ा कर कहा जा रहा है, पर यह शहरी मध्यवर्ग तक ही सीमित है। यह शहर में रहने वाले लोगों और ग़रीबों में बहुत ही मुश्किल है क्योंकि वे छोटे-छोटे घरों में किसी तरह रहते हैं। दूसरी बात यह है कि ये लोग घर से दूर काम करते हैं और ऐसे में सामाजिक दूरी नहीं बरती जा सकती।'
के. श्रीनाथ रेड्डी, प्रोफ़ेसर, टी. एच. चान स्कूल ऑफ़ पब्लिक हेल्थ
क्या है ट्रेंड
पूरी दुनिया में कोरोना से अब तक 1,83,000 लोग प्रभावित हुए हैं और 7,800 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पर इसमें यह ट्रेंड देखा गया है कि शुरू में कोरोना के फैलने की रफ़्तार कम थी और उससे कम लोगों की ही मौत हुई। पर बाद में यह तेजी से बढ़ा और स्थिति इतनी भयावह हो गई है।टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़, रेड्डी का कहना है कि देश की लचर स्वास्थ्य सेवा सबसे अधिक चिंता की बात है। सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर पूरे सकल घरेलू उत्पाद का सिर्फ 3.7 प्रतिशत खर्च करती है, जो दुनिया में न्यूनतम है।
यह उस देश में हो रहा है, जहाँ सबसे घनी आबादी है, ग़रीबी है, लोग छोट-छोटे घरों में रहते हैं। इसलिए भारत के लिए अधिक परेशान होने की बात है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इतना सब कुछ होने के बावजूद सामाजिक स्तर पर जिस तरह की जागरुकता होनी चाहिए, नहीं है। नतीजा भायवह होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।