19 थानों को छोड़ पूरा मणिपुर अशांत क्षेत्र घोषित
मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) अभी लागू रहेगा। मणिपुर सरकार ने इसे 1 अक्टूबर से 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है।
बुधवार को इसको लेकर जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है कि 'अशांत' घोषित इस क्षेत्र में घाटी के 19 पुलिस स्टेशन शामिल नहीं हैं। इस तरह से राज्य के 19 थानों को इस कानून से अलग रखा गया है।
जिन 19 थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम से अलग रखा गया है, उनमें इंफाल, लेंफेल, सिटी, सिंग्जमेई, सेकमई, लामसांग, पत्सोई, वांगोई, पोरोमपट, हेंगेंग, लामलाई, इरिलबुंग, लेमखोंग, थोबुल, बिष्णुपुर, नांबोल, मोइरोंग, काकचिंग और जिरिबम थाना क्षेत्र शामिल हैं। राज्य सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने मौजूदा कानून और व्यवस्था की स्थिति के मद्देनजर यह फैसला लिया है।
बुधवार को जारी "अशांत क्षेत्र" अधिसूचना हिंसा प्रभावित मणिपुर में 1 अक्टूबर से लागू होगी। यह छह महीने के लिए लागू है। जिसके बाद मणिपुर में स्थिति का आकलन कर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इसे समय-समय पर बढ़ाया जा सकता है।
मणिपुर के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करें पीएमः खड़गे
दो लापता किशोरों की हत्या की पुष्टि करने वाली तस्वीरों सामने आने के बाद मणिपुर में फिर से अशांति फैल गई है। इसको लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पीएम मोदी से राज्य के मुख्यमंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है।उन्होंने कहा है कि 147 दिन से मणिपुर के लोग पीड़ित हैं, लेकिन पीएम मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है।
इस हिंसा में छात्रों को निशाना बनाए जाने की भयावह तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब यह स्पष्ट है कि इस संघर्ष में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को हथियार बनाया गया था।
उन्होंने लिखा है कि खूबसूरत राज्य मणिपुर को भाजपा के कारण युद्ध के मैदान में बदल दिया गया है!अब समय आ गया है, पीएम मोदी भाजपा के अक्षम मणिपुर मुख्यमंत्री को बर्खास्त करें। किसी भी आगे की उथल-पुथल को नियंत्रित करने के लिए यह पहला कदम होगा।
सीबीआई अधिकारियों की टीम करेगी जांच
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में बताया गया है कि मणिपुर में बीते दिनों दो लापता मैतेई किशोरों की हत्या की पुष्टि करने वाली तस्वीरों के सामने आने के बाद फिर से अशांति फैल गई है।इन दोनों युवाओं की दो तस्वीरें सामने आई है जो इस बात की पुष्टि कर रही हैं कि उनकी हत्या कर दी गई है।इन मौतों के कारण मंगलवार को पूर्वोत्तर राज्य के घाटी इलाकों में मैतेई समुदाय ने ताजा विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। घटना की जांच के लिए स्पेशल डायरेक्टर समेत 10 सीबीआई अधिकारियों की टीम आज मणिपुर पहुंचेगी।
29 सितंबर तक स्कूल बंद रखने का आदेश जारी
इन मृत युवाओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इसमें दिखा था कि इन दोनों छात्र-छात्राओं का शव जमीन पर पड़ा है और लड़के का सिर कटा हुआ था। हालांकि इन दोनों के शव अब तक नहीं मिले हैं। अंतिम बार ये दोनों एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में दिखे थे।इसके बाद ये गायब हो गए थे। मणिपुर में इस तनाव के कारण सरकार ने स्कूलों को 27 से 29 सितंबर को बंद रखने का आदेश जारी किया है।
मंगलवार को मणिपुर में इस हत्याकांड पर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हो गई थी। इस झड़प में 40 से अधिक छात्र घायल हो गए थे।
इंडिया टुडे एनई की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को मणिपुर पुलिस ने बताया कि जब सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को यहां मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर बढ़ने से रोकने की कोशिश की तो उनकी पुलिस से झड़प हो गई। घायल प्रदर्शनकारियों का विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया गया।
इससे पहले मंगलवार को 6 जुलाई को लापता हुए दो मैतेई छात्रों की क्रूर हत्याओं पर विरोध दर्ज कराने के लिए हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए।
छात्रों के साथ हुए ऐसे जघन्य अपराध का विरोध करते हुए वे सुबह करीब 11 बजे से ही सड़कों पर उतर आए थे। इसमें बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं थे।
उन्होंने राजभवन और फिर सीएम बंगले की ओर बढ़ने की कोशिश की हालांकि, पुलिसकर्मियों ने उन्हें राजभवन से करीब 50 मीटर की दूरी से आगे बढ़ने से रोक दिया। उन्हें रोकने के लिए पुलिस कर्मियों ने कई राउंड आंसू गैस और स्मोक बम दागे।
प्रदर्शनकारियों ने हमें न्याय चाहिए, हम निर्दोष छात्रों की क्रूर हत्याओं की निंदा करते हैं और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दो जैसे नारे लगाते हुए आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया।
3 मई से जारी है जातीय संर्घष
मणिपुर में 3 मई से जारी जातीय संर्घष के बाद से अब तक करीब 175 से अधिक लोग मारे गए हैं। सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं। वहीं हजारों की संख्या में लोग अपने घरों से विस्थापित हो चुके हैं।इस हिंसक संघर्ष की शुरुआत तब हुई थी जब जब मैतेई समुदाय एसटी का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। इसके बाद भड़की हिंसा में दोनों ही समुदायों के लोग मारे गए हैं।
मणिपुर हिंसा पर देश और दुनिया का ध्यान तब गया जब 19 जुलाई को वहां की दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ था। यह 4 मई की घटना थी। इसके वीडियो ने देश भर में लोगों का आक्रोशित कर दिया था। संसद से लेकर सड़क तक इसका विरोध हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने भी मणिपुर सरकार को फटकार लगाई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई दिशा निर्देश दिए थे।